Navratri 7th Day : जब मां कालरात्रि ने पाप का अंत करने के लिए पिया थ राक्षस का खून, जानिए दिलचस्प कथा
चंडीगढ़, 3 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Navratri 7th Day : नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से काली माता के रूप में प्रतिष्ठित है, जो शक्ति, विनाश और परिवर्तन की देवी मानी जाती हैं। देवी कालरात्रि का रूप अत्यधिक शक्तिशाली है, जिनके दर्शन से व्यक्ति के अंदर समस्त बुराईयों का नाश और सकारात्मकता का संचार होता है। उनके नाम में ही 'काल' और 'रात्रि' शब्द समाहित हैं, जो समय व अंधकार को निरस्त करने का प्रतीक है।
देवी कालरात्रि का रूप
देवी कालरात्रि का रूप अत्यंत भयंकर होता है। उनके शरीर का रंग घने काले बादल की तरह होता है और आंखें प्रचंड लाल होती हैं, जो अज्ञान के अंधकार को दूर करती हैं। उनकी चार भुजाएं होती हैं, जिनमें से एक में वह बिजली जैसी शक्ति का प्रतीक डंडा पकड़े होती हैं। दूसरी में त्रिशूल रखती हैं, तीसरी में कटे हुए सिर को पकड़ती हैं और चौथी में वरमुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। उनका मुंह रक्त से सना हुआ होता है। उनके बाल खुले होते हैं, जो उनकी अपार शक्ति और क्रोध को दर्शाते हैं।
देवी कालरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि के 7वें दिन देवी कालरात्रि की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस दिन उपासक व्रत रखते हैं और सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनते हैं। देवी कालरात्रि की पूजा के लिए नीले या काले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाई जाती है। मां काली की खासतौर पर काले तिल, नींबू, नारियल, और सफेद चंदन से पूजा अर्चना की जाती है। देवी कालरात्रि की मंत्रोच्चार के साथ पूजा की जाती है, जिसमें प्रमुख मंत्र "ॐ क्लीं कालरात्र्यै नम:" है।
दैत्य रक्तबीज का किया वध
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इंद्रदेव ने शुंभ और निशुंभ के भाई नमुची का वध कर दिया था। इसका बदला लेने के लिए उन्होंने चंदा, मुंधा और रक्तबीज के साथ मिलकर स्वर्ग पर हमला कर दिया। उसके बाद देवी चंडी ने राक्षसी सेना का अंत कर दिया। वह चंदा, मुंडा और रक्तबीज का सामना नहीं कर पा रही थी। तब देवी चंडी के माथे से शक्ति के रूप में देवी कालरात्रि प्रकट हुई और उन्होंने चंदा-मुंडा का वध कर दिया। मगर, रक्तबीज को ब्रम्हा देव से वरदान प्राप्त था, जिसके कारण उनका खून जमीन पर गिरते ही उसके कई प्रतिरूप उत्पन्न हो जाते थे। ये देख मां कालरात्रि क्रोधित हो गई और वह राक्षसों का खून पीने लगी।
देवी कालरात्रि का महत्व
देवी कालरात्रि का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है बल्कि यह मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। वह व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक अशांति को शांत करती हैं और उसे भय से मुक्ति दिलाती हैं। देवी कालरात्रि की उपासना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। उनके आशीर्वाद से दुराचार, बुराई, और राक्षसी शक्तियों का नाश होता है।मनुष्य को अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति मिलती है।
मां कालरात्रि का स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
ऐसे करें देवी मां को प्रसन्न
देवी कालरात्रि को नीला रंग बेहद पसंद है। इसके अलावा मां को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या उससे बने लड्डू व खीर चढ़ाएं। साथ ही मां के चरणों में उनके प्रिय रातरानी यानि चमेली के फूल अर्पित करें। आप मां को 108 गुड़हल के फूलों से माला भी भेंट कर सकते हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।