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कुदरती उपाय करेंगे टॉक्सिन से बचाव

07:39 AM Feb 07, 2024 IST

शिखर चंद जैन
सी से छिपा नहीं है कि हमारे शहरों की हवाएं कितनी विषैली हो चुकी हैं। ज्यादातर बड़े शहरों का तो यह हाल है कि हम हवा के माध्यम से सुबह से रात तक इतना टॉक्सिन फेफड़ों और शरीर में निगल लेते हैं जिसकी मात्रा कई सिगरेटों के पीने जितनी हो जाती है। हवा ही नहीं, हमारा भोजन, कपड़े और कॉस्मेटिक्स भी फेफड़ों ,स्किन, बालों व अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव डाल रहे हैं। यही वजह है कि देश की आधी से ज्यादा जनसंख्या सर्दी-खांसी ,अस्थमा ,ब्रोंकाइटिस, कैंसर ,हार्मोन असंतुलन ,ऑटोइम्यूनिटी ,पेट की गड़बड़ी ,सिर दर्द ,माइग्रेन, मेमोरी लॉस और स्किन एलर्जी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है। यह सब जहरीले केमिकल्स के कारण हो रहा है। हम इनसे पूरी तरह दूर तो नहीं रह सकते लेकिन अपनी तरफ से ऐसी कोशिश कर सकते हैं कि इनके दुष्प्रभाव को कम कर सकें। विश्वविख्यात होलिस्टिक लाइफ कोच और अल्टरनेटिव मेडिसिन एक्सपर्ट ल्यूक कौटिन्हो ने सुझाए हैं कुछ प्रभावशाली तरीके-
साफ हवा में सांस
यद्यपि घर के बाहर के माहौल पर हमारा ज्यादा नियंत्रण नहीं होता और हम मास्क लगाकर या प्रदूषण से दूर रहकर ही सुरक्षित रहने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन घर में यथासंभव केमिकल युक्त परफ्यूम, फ्लोर क्लीनर, रूम फ्रेशनर, सिगरेट व अगरबत्ती के धुएं आदि से हमें दूर रहना चाहिए। फर्श की साफ-सफाई के लिए बेकिंग सोडा या विनेगर का इस्तेमाल व रूम फ्रेशनर के लिए एसेंशियल ऑयल का प्रयोग करें। घर में हिमालयन सॉल्ट लैंप व बी वैक्स कैंडल आदि जलाएं। वहीं उपयोगी इनडोर प्लांट्स लगाएं ताकि घर की हवा शुद्ध हो और ऑक्सीजन मिलती रहे।
ड्राई क्लीन से बचें
जरूरी न हो तो कपड़ों को ड्राई क्लीन करवाने से बचें। इनमें परक्लोरोएथिलीन नामक केमिकल होता है। यह कार्सिनोजेनिक होता है जिससे कैंसर का खतरा होता है। जरूरी हो और ड्राई क्लीन करवाएं तो क्लीनर से वापस आने पर इन कपड़ों को पहनने से पहले 24 घंटे खुली हवा में रख दें। लाते ही प्लास्टिक कवर से बाहर कर दें।
सही बर्तनों का इस्तेमाल
प्लास्टिक चाहे बीपीए फ्री हो या जितना भी अच्छी क्वालिटी का हो, भोजन में केमिकल रिलीज करना इसका स्वाभाविक गुण है। इसी तरह एल्युमिनियम फॉइल का इस्तेमाल भी सही नहीं होता है। खाने-पीने के लिए हमेशा कांच या मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करें। हां, कॉपर या सिल्वर के बर्तन पानी पीने के लिए अच्छे हैं। कास्ट आयरन भोजन पकाने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। वैसे आज के युग में भोजन के लिए स्टील के बर्तनों का प्रयोग भी सही है।
प्राकृतिक फैब्रिक का चुनाव
हमारी स्किन सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इसकी सुरक्षा हमारे लिए बेहद जरूरी है। पॉलिमर और नायलॉन जैसे सिंथेटिक कपड़ों से बचना चाहिए। ये न सिर्फ स्किन को सांस लेने से रोकते हैं बल्कि इनमें एजोडाइज ,क्लोरिनेटेड फेनॉल, फॉर्मल डिहाइड ,हेवी मेटल, रेसीडुएल पेस्टीसाइड, एलर्जेनिक डाई आदि नुकसानदायक केमिकल भी होते हैं। रिंकल फ्री फैब्रिक्स सेफ नहीं हैं। इनमें टेफलोन एवं अन्य केमिकल होते हैं। ऐसे में कॉटन,वुलेन और लिनेन जैसे नेचुरल फैब्रिक चुनें।
कॉस्मेटिक हो नैचुरल
लिपस्टिक, क्रीम, हेयर डाई, शैंपू व साबुन आदि तमाम हानिकारक केमिकलों से लैस होते हैं जो स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते हैं और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का सबब भी बन सकते हैं। बेहतर होगा कि नेचुरल टूथपेस्ट, दातुन, हिना, हर्बल शैंपू व इसेंशियल ऑयल आदि का प्रयोग करें। डियोड्रेंट के बदले एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करें। कृत्रिम सौंदर्य सामग्री से यथासंभव बचने की कोशिश करें।
सुरक्षित हो आपका भोजन
प्रोसेस्ड और केमिकल भरे डिब्बाबंद फूड से दूर रहें। कार्बोनेटेड ड्रिंक के बदले लेमन जूस व ऑरेंज जूस आदि का सेवन करें। ताजा फल-सब्जी अच्छी तरह धोकर साफ करके खाएं। बेहतर होगा आप विश्वसनीय स्रोत से ऑर्गेनिक सब्जी ,फल अनाज आदि की व्यवस्था कर लें। हमेशा ताजा व पका भोजन ही करें।

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