भारतीय कृषि में बड़ा बदलाव लाएगा प्राकृतिक खेती मिशन : मोदी
चंडीगढ़, 26 नवंबर (ट्रिन्यू)
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि देश के किसानों, भूमि, पर्यावरण और नागरिकों के स्वास्थ्य कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की ऐतिहासिक पहल कर भारत में एक स्वर्णिम युग की शुरुआत की है। आचार्य देवव्रत ने मंगलवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से भेंट कर प्राकृतिक कृषि को मिशन मोड में पूरे देश में लागू करने के लिए उनको धन्यवाद दिया। देवव्रत ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम हमारे किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक नयी दिशा तय करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन भारतीय कृषि में बड़ा बदलाव लाएगा। उन्होंने कहा, ‘इस प्रयास के माध्यम से हम मिट्टी के स्वास्थ्य का पोषण कर रहे हैं, जैव विविधता की रक्षा कर रहे हैं और अपने कृषि भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं। यह टिकाऊ खेती और किसानों की समृद्धि के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।'
प्राकृतिक खेती को देशभर में लागू करने के लिए कुल 2481 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया है, जिसमें 1584 करोड़ केंद्र और 897 करोड़ राज्यों द्वारा खर्च किए जाएंगे। दस हजार जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। किसानों के उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए एक सरल प्रमाणन प्रणाली और समर्पित सामान्य ब्रांडिंग की व्यवस्था की जाएगी।
स्वास्थ्यवर्धक, सुरक्षित खाद्य पदार्थ होंगे उपलब्ध
आचार्य देवव्रत ने कहा, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से सभी के लिए स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध होंगे। देश के किसानों की खेती की लागत बिल्कुल कम होगी और बाहरी इनपुट पर निर्भरता घटाने में देश को बड़ी मदद मिलेगी। मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता में सुधार होगा। स्वस्थ मृदा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और संरक्षण होगा। देश में विविध फसल प्रणाली को प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना से प्राकृतिक खेती का विस्तार होगा, ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों के माध्यम से एक करोड़ किसानों तक प्राकृतिक खेती पहुंचेगी और देश के 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का क्रियान्वयन होगा।