पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती ही प्रभावी
रोहतक, 7 अक्तूबर (हप्र)
प्राकृतिक खेती को पूरे राष्ट्र में एक मिशन के रूप में स्थापित करने के लिए विशेष रूप से छात्राओं को आगे आना होगा। जब राष्ट्र की बेटियां प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करेंगी, तो जन-जन में प्राकृतिक खेती का प्रभावी संदेश जाएगा।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अभिलाषा कन्या छात्रावास परिसर में यह आह्वान किया। विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती से संबंधित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग, भूमिजल के गिरते स्तर, जमीन को बंजर होने से रोकने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती ही प्रभावी इलाज है। उन्होंने विस्तारपूर्वक प्राकृतिक खेती के महत्व तथा इसके लाभ को उपस्थित जन से साझा किया। इस संबंध में उन्होंने जागरूकता लाने के उद्देश्य से दो लघु फिल्में भी दिखाई।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि रसायन आधारित खेती भारत की कृषि भूमि को बंजर बना रही है, साथ ही भूमि जल स्तर को घटा रही है। राज्यपाल ने महष्ज्र्ञि दयानंद विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती संबंधित सर्टिफिकेट प्रोग्राम प्रारंभ करने की पहल को खूब सराहा। उनका कहना था कि पूरे राष्ट्र में बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्राकूतिक खेती से उपजी फसलें और सब्जियां लाभदायक रहेंगी। उन्होंने कन्या छात्रावास परिसर में प्राकृतिक खेती का अवलोकन किया और छात्राओं के साथ प्राकृतिक सब्जियों के पौधे लगाए।
एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि पूरे भारत में प्राकृतिक खेती बारे वैल्यू बेस्ड सर्टिफिकेट प्रोग्राम प्रारंभ करने वाला एमडीयू देश का पहला विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कम्यूनिटी आउटरिच के तहत प्राकृतिक खेती को ग्रामीण क्षेत्र व्यापक तौर पर प्रचारित और प्रसारित करेगा।