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national conference in Brahmakumaris : आध्यात्मिकता से ही होती है सत्य, असत्य की पहचान : जस्टिस रंजन गोगोई

04:00 AM Dec 22, 2024 IST
national conference in brahmakumaris   आध्यात्मिकता से ही होती है सत्य  असत्य की पहचान   जस्टिस रंजन गोगोई
ओआरसी में नेशनल ज्यूरिस्ट कॉन्फ्रेंस में बोलते राज्यसभा सांसद एवं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई। -निस
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नारनौल, 21 दिसंबर (निस) national conference in brahmakumaris : ब्रह्माकुमारीज संस्था आध्यात्मिकता के द्वारा विश्वभर के लोगों को प्रेरित कर रही है। उक्त विचार राज्यसभा सांसद एवं पूर्व मुख्य न्यायाधीश (ex chief justice of india Ranjan gogoi ) रंजन गोगोई ने जनपद गुरुग्राम के ग्राम भोड़ा कलां स्थित ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में न्यायविदों के लिए आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
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स्वस्थ एवं न्याययुक्त समाज के लिए आध्यात्मिक शक्ति विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति के कारण ही ब्रह्माकुमारीज संस्था सिंध के एक छोटे से स्थान से आज विश्व के अनेक देशों में व्यापक हो गई। जस्टिस गोगोई ने कहा कि आध्यात्मिकता जीवन को उपयुक्त लक्ष्य प्रदान करती है। सत्य और असत्य की पहचान आध्यात्मिकता के द्वारा ही होती है। आध्यात्मिकता हमें दिव्य गुणों से भरती है। आध्यात्मिकता से ही प्रशासनिक व्यवस्थाओं में बेहतर सुधार लाया जा सकता है।

राजयोग से कर सकते हैं न्याय सम्मत समाज का निर्माण  (national conference in brahmakumaris)

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ज्यूरिस्ट विंग के उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.डी.राठी ने प्रभाग द्वारा की जा रही सेवाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राजयोग के माध्यम से हम स्वस्थ एवं न्याय सम्मत समाज का निर्माण कर सकते हैं। ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने संस्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी न किसी प्रकार से नियमों के उल्लंघन करने से ही स्वास्थ्य पर भी उनका असर पड़ता है।

आध्यात्मिकता चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है। प्रकृति के नियमों के साथ खिलवाड़ ही बीमारियों को आह्वान करना है। संस्था के प्रमुख महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन ने माउंट आबू से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दुःख-अशांति का मूल कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे मनोविकार हैं। आध्यात्मिक चेतना के द्वारा ही इन मनोविकारों पर विजय पाई जा सकती है।

राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी ने कहा-तब लोग मर्यादित थे Rajyogini bk pushpa didi 

ज्यूरिस्ट विंग की अध्यक्ष राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब भारत में सभी लोग मर्यादित थे। जिसको ही हम स्वर्ग कहते हैं। वहां किसी भी प्रकार के दंड की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। आज की स्थिति का मूल कारण ही अमर्यादित समाज है। जिस कारण सामाजिक मूल्यों का ह्रास हो चुका है। न्याय भी समाज की व्यवस्था बनाने में मदद करता है। लेकिन न्याय व्यवस्था के बावजूद समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसलिए आध्यात्मिकता ही सही मार्ग दर्शन कर सकती है।

ज्यूरिस्ट विंग की राष्ट्रीय संयोजिका एडवोकेट बीके लता ने राजयोग का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि आत्मिक अनुभूति ही सुख-शांति का माध्यम है। देह का अभिमान ही मनुष्य को दुःख का अनुभव कराता है। कार्यक्रम में सीएजी के उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जयंत सिंहा, आरसीटी के ज्यूडिशियल मेंबर उमेश शर्मा एवं दिल्ली एनसीटी के प्रशासक जनरल एवं आधिकारिक ट्रस्टी सुमित जिड़ानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। न्याय क्षेत्र से जुड़े 550 से भी अधिक लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की।

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