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भाजपा के कृष्ण बेदी की टिकट घोषित होने से रोचक हुआ नरवाना का चुनाव

09:25 AM Sep 11, 2024 IST
भाजपा के कृष्ण बेदी की टिकट घोषित होने से रोचक हुआ नरवाना का चुनाव

नरवाना, 10 सितंबर (निस)
नरवाना से भाजपा के कृष्ण बेदी की टिकट घोषित होने नरवाना का चुनाव रोमांचक होगा। प्रदेश में भाजपा अपनी दूसरी सूची जारी कर चुकी है। जिसमें नरवाना विधानसभा से पूर्व में मंत्री रहे कृष्ण बेदी को टिकट दी गई। गौरतलब है कि कृष्ण बेदी का पैतृक गांव नरवाना उपमंडल का गांव कलौदा खुर्द है। इससे पहले वह रादौर से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उस चुनाव में वह हार गए थे। 2014 में उन्होनें शाहबाद विधानसभा से चुनाव लड़ा और वहां जीत हासिल की। पिछले 2019 में भी भाजपा की टिकट पर शाहबाद से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। 57 वर्षीय कृष्ण बेदी प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री रह चुके है। इसके अलावा कृष्ण बेदी भाजपा के प्रदेश महामंत्री के पद पर भी रहे है।
2019 में वे हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर के राजनीतिक सचिव के पद पर भी रहे। गत लोकसभा चुनावों के दौरान भी अम्बाला से उनके लोकसभा चुनाव लडऩे की चर्चा थी। जब उन्होंने राजनीतिक सचिव पद से इस्तीफा भी दे दिया था मगर लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा। नरवाना में वैसे तो भाजपा के उम्मीदवार रामनिवास सुरजाखेड़ा माने जा रहे थे। रामनिवास सुरजाखेड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के काफी करीब भी रहे और भाजपा सरकार का समय-समय पर उन्होनें समर्थन भी किया और कई जगह मंच भी सांझा किया। जहां तक नरवाना की बात है पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां से जजपा के रामनिवास विधायक बने थे। उन्होंने भाजपा की संतोष रानी दनौदा को हराया था। रामनिवास सुरजाखेड़ा ने लगभग 30 हजार मतों से यहां से जीत हासिल की थी। इससे पहले नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को भाजपा का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन विधायक एक दिन पहले ही निर्दलीय चुनाव लडऩे के संकेत दे चुके है।

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बेदी ने पूरी करवाई थी बरसों पुरानी पानी की मांग

लगभग 8 साल पूर्व 2018 में नरवाना उपमंडल के गांव कर्मगढ, धरौदी, खानपुर, फरैणकलां, फरैणखुर्द, लोन, बेलरखां, हमीरगढ आदि लगभग एक दर्जन गांवों की पानी की समस्या को दूर करवाया था। जो नरवाना के किसानों की लगभग 50 वर्षो से मांग चली आ रही थी। नरवाना के इन गांवों को पहले यमुना से वाया मुंदड़ी पानी आता था जो 42 दिनों में एक सप्ताह पानी आता था जिस कारण खेतों को पूरा पानी नहीं मिलता था इसलिए अपनी मांग को मनवाने के लिए किसानों ने गांव में स्थायी रूप से धरना दे दिया था जो 48 दिनों तक चला था।

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