राज्यसभा में पीएम मोदी के निशाने पर रही कांग्रेस, समूचे विपक्ष ने किया बहिर्गमन
नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा)
Narendra Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने विपक्षी दलों के ‘दुष्प्रचार और भ्रम की राजनीति' को ठुकरा दिया और प्रदर्शन (परफॉर्मेंस) को प्राथमिकता देते हुए भरोसे की राजनीति पर मुहर लगाई। वहीं, पीएम के संबोधन के दौरान विपक्ष नारेबाजी करता रहा। बाद में समूचे विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 10 साल सत्ता में रहने के बाद भी किसी एक सरकार की लगातार फिर से वापसी एक ‘असामान्य' घटना है।
उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार के आने वाले पांच वर्ष गरीबों के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्णायक हैं। उन्होंने इस लड़ाई में देश के विजयी होने के साथ ही देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का भरोसा भी जताया।
उन्होंने कहा, ‘‘10 वर्षों के अखंड, एकनिष्ठ, सेवाभाव से किए गए कार्य को देश की जनता ने जी भरकर समर्थन दिया है। देश की जनता ने खूब आशीर्वाद दिए हैं।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव में देशवासियों के दर्शाए गए विवेक बुद्धि पर गर्व होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि उन्होंने प्रोपेगेंडा (दुष्प्रचार) को परास्त कर दिया, देश की जनता ने परफॉर्मेंस (प्रदर्शन) को प्राथमिकता दी, भ्रम की राजनीति को देशवासियों ने ठुकरा दिया और भरोसे की राजनीति पर विजय की मुहर लगाई है।''
राष्ट्रपति के अभिभाषण को उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें देशवासियों के लिए प्रेरणा, प्रोत्साहन भी है और एक प्रकार से ‘सत्य मार्ग' को पुरस्कृत भी किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावी नतीजों के आने के बाद भी कुछ लोग जानबूझकर इससे अपना मुंह फेर कर बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया, उन्होंने हो-हल्ला कर देश की जनता के इस महत्वपूर्ण निर्णय पर छाया करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर पराजय भी स्वीकार हो रही है और दबे मन से विजय भी स्वीकार हो रही है।'' कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से नतीजे आए हैं तब से इस सदन के एक सदस्य उनकी सरकार को ‘एक तिहाई सरकार' बता रहे हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसीलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के आने वाले पांच वर्ष गरीबों के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्णायक वर्ष हैं और यह देश गरीबी के खिलाफ लड़ाई में विजयी होकर रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 10 वर्ष के अनुभव के आधार पर बहुत विश्वास से यह कह सकता हूं।'' प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जब देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा तो इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ने वाला है। विकास के विस्तार के अनेक अवसर उपलब्ध होने वाले हैं। जब ऐसा होगा, तब भारत के हर स्तर पर इसका सकारात्मक प्रभाव तो होगा ही, लेकिन वैश्विक परिवेश में अभूतपूर्व प्रभाव पैदा होने वाला है।''
मोदी ने कहा, ‘‘हम आने वाले कालखंड में नए स्टार्ट-अप, नयी कंपनियों का वैश्विक उभार देख रहे हैं। हमारे टीयर 2 और टीयर 3 स्तर के शहर भी ग्रोथ इंजन की बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।''
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान 26 जनवरी को संविधान दिवस मनाए जाने के फैसले का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि संविधान की प्रति हाथ में लेकर ‘घूमने वाले' लोगों ने इसका भी विरोध किया था।
सदन में मौजूद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर आपत्ति जताई और आसन से अपना पक्ष रखने का आग्रह किया। हालांकि सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी शुरु कर दी। प्रधानमंत्री ने हंगामे के बीच ही अपना संबोधन जारी रखा।
कांग्रेस की मानसिकता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसकी मानसिकता अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी है और इसी वजह से उसने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का भी अपमान किया।
प्रधानमंत्री मोदी संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस की मानसिकता अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) विरोधी है जिसके कारण पार्टी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का अपमान करती रही। इसी मानसिकता के कारण उसने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को भी अपमानित करने, उनका विरोध करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जो कोई नहीं कर सकता है।''
प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का रवैया ऐसा रहा है कि जब-जब हार की स्थिति होती है तो दलित नेताओं को आगे कर दिया जाता है और वह परिवार बच कर निकल जाता है।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘...आपने देखा होगा लोकसभा में स्पीकर (अध्यक्ष) के चुनाव का मसला हुआ, उसमें भी पराजय तय थी लेकिन आगे किसको किया - एक दलित को बलि चढ़ाने का खेल खेला, उनको मालूम था कि वह पराजित होने वाला है लेकिन उन्हें आगे किया।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में कांग्रेस ने सुशील कुमार शिंदे को आगे किया जबकि पराजय तय थी। उन्होंने कहा कि 2017 में राष्ट्रपति चुनाव में हार तय थी उन्होंने मीरा कुमार को लड़ा दिया।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘.... इस बीच हमारे कांग्रेस के लोग भी खुशी में मगन हैं। मैं समझ नहीं पाता हूं कि इस खुशी का कारण क्या है? इस पर कई सवाल हैं? क्या यह खुशी हार की हैट्रिक पर है? क्या यह खुशी ‘नर्वस 90' के शिकार होने पर है? क्या यह खुशी एक और असफल ‘लॉन्च' की है?''
मोदी ने कहा, ‘‘मैं देख रहा था जब खड़गे उत्साह, उमंग से भरे नजर आ रहे थे। शायद खड़गे जी ने अपनी पार्टी की बड़ी सेवा की है क्योंकि यह पराजय का ठीकरा है, जिन पर फूटना चाहिए था उनको उन्होंने बचा लिया और खुद दीवार बनाकर खड़े हो गए।''
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस का रवैया ऐसा रहा है कि जब-जब ऐसी स्थिति आती है तो दलित को, पिछड़ों को ही यह मार झेलनी पड़ती है और वह परिवार बचकर निकल जाता है।''
पेपर लीक पर प्रधानमंत्री ने कहा : दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए कदम उठाये जा रहे
नीट-यूजी सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में विपक्ष पर कोई सकारात्मक सुझाव देने के बजाय केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में देश के युवाओं को आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों में दोषियों को ‘‘सख्त से सख्त'' सजा दिलवाने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी अपेक्षा थी कि चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्य दलीय अपेक्षाओं से ऊपर उठकर पेपर लीक के विषय पर अपनी राय रखते।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से इतना संवेदनशील मुद्दा, मेरे देश के नौजवानों के भाग्य से जुड़ा मुद्दा भी, इन्होंने (विपक्षी सदस्यों ने) राजनीति की भेंट चढ़ा दिया। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।''
मोदी ने देश के युवाओं को यह आश्वासन दिया कि उन्हें धोखा देने वालों को सरकार नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे देश के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिले, इसके लिए एक के बाद एक कदम उठाये जा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि इन गड़बड़ियों के खिलाफ संसद में एक कानून भी सरकार ने बनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम पूरी प्रणाली को मजबूती दे रहे हैं ताकि मेरे देश के नौजवानों को आशंका भरी स्थिति में भी न रहना पड़े। पूरे विश्वास के साथ वे अपने सामर्थ्य को प्रदर्शित करें और अपने हक को प्राप्त करें, इस बात को लेकर हम काम कर रहे हैं।''
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उच्च सदन में विपक्ष के कई सदस्यों ने नीट परीक्षा के प्रश्न पत्र कथित रूप से लीक होने से छात्रों एवं उनके अभिभावकों को होने वाली परेशानियों को उठाते हुए सरकार पर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया था। राष्ट्रपति अभिभाषण में भी प्रश्नपत्र लीक के मुद्दे का उल्लेख किया गया था।
मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में प्रदेश की सरकार के साथ मिलकर स्थिति को सामान्य करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने सभी से राजनीति से ऊपर उठकर वहां की स्थिति को सामान्य बनाने में सहयोग की अपील की और साथ ही ‘आग में घी डालने' वालों को आगाह भी किया कि वे ऐसी हरकतें बंद करें।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। वहां जो कुछ भी घटनाएं घटी हैं, उनमें 11,000 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की गई है। मणिपुर छोटा सा राज्य है फिर भी 11,000 प्राथमिकी...। वहां 500 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं।''
उन्होंने कहा, ‘‘इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार कम होती जा रही हैं। इसका मतलब शांति की आशा रखना... शांति पर भरोसा करना संभव हो रहा है।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मणिपुर के अधिकतर हिस्सों में आम दिनों की तरह स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और दूसरे संस्थान खुल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे देश के अन्य भागों में परीक्षाएं हुईं, वैसे ही मणिपुर में भी परीक्षाएं हुईं और बच्चों ने अपनी विकास यात्रा जारी रखी है।
मोदी ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकार सभी से बातचीत करके शांति की खातिर सौहार्दपूर्ण रास्ता खोलने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। छोटी-छोटी इकाइयों को जोड़कर ताने-बाने को बनाना एक बहुत बड़ा काम है और यह शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है।''
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1993 में मणिपुर में ऐसे ही, घटनाओं का क्रम चला था और इतना तीव्र और व्यापक चला था... वह पांच साल लगातार चला था...यह सारा इतिहास समझकर, हमें बहुत समझदारी पूर्वक स्थितियों को ठीक करने का प्रयास करना है। जो भी इसमें सहयोग देना चाहता है, हम सभी का सहयोग भी लेना चाहते हैं... हम सामान्य स्थिति को बरकरार रखने और शांति लाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं।''
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा, ‘‘हम सभी को राजनीति से ऊपर उठकर वहां की स्थिति को सामान्य बनाने में सहयोग करना चाहिए। यह हम सबका कर्तव्य है।''
उन्होंने कहा, ‘‘जो भी तत्व मणिपुर की आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं मैं उन्हें आगाह करता हूं कि यह हरकतें बंद करें। एक समय आएगा जब मणिपुर ही उनको खारिज करेगा।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग मणिपुर का इतिहास जानते हैं, उनको पता है कि वहां सामाजिक संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है और उस संघर्ष की मानसिकता की जड़ें बहुत गहरी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसको कोई नकार नहीं सकता है।'' प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस के शासनकाल में मणिपुर में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था।
उन्होंने कहा, ‘‘इतने छोटे से राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है... कुछ तो मुसीबतें होंगी। और यह हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है लेकिन फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां पर जिस प्रकार की हरकतें हो रही हैं...।''
मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों में ऐसा नहीं होता था लेकिन मणिपुर में हिंसा फैलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री स्वयं कई दिनों तक राज्य में रहे और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तो हफ्तों तक वहां रहे और बार-बार वहां जाकर संबंधित लोगों को जोड़ने का प्रयास करते रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक नेतृत्व तो है ही लेकिन सरकार के सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी वहां लगातार जाते हैं, संपर्क करते हैं और समस्या के समाधान के लिए हर प्रकार से प्रयासों को बल दिया जा रहा है।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय मणिपुर में बाढ़ का भी संकट है और केंद्र सरकार, राज्य सरकार के साथ मिलकर पूरा सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आज ही एनडीआरएफ के दो दल वहां पहुंचे हैं। केंद्र व राज्य मिलकर इसकी भी चिंता कर रहे हैं।''
प्रधानमंत्री मोदी के जवाब के बीच में ही विपक्ष ने किया बहिर्गमन
राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बीच में ही कांग्रेस सहित विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया। प्रधानमंत्री जब चर्चा का जवाब दे रहे थे तो पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से कुछ कहने की अनुमति मांगी।
आसन की ओर से यह अनुमति नहीं दिये जाने पर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे। उनकी नारेबाजी के बीच भी जब प्रधानमंत्री ने अपना भाषण जारी रखा तब खरगे सहित कांग्रेस एवं विपक्ष के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये।
विपक्षी सदस्य जब उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर जा रहे थे तब प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती। ...जिनके हौसले नहीं हैं ...उन्होंने जो सवाल उठाये उसके जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष उच्च सदन को अपमानित कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की जनता ने हर प्रकार से उन्हें इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हंगामा और भाग जाना... यही उनके नसीब में लिखा है।''
विपक्ष के बहिर्गमन को ‘‘अत्यंत दर्दनाक और पीड़ादायक'' करार देते हुए उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने यह अनुरोध किया था कि नेता प्रतिपक्ष को चर्चा के दौरान बिना रोक-टोक, बोलने का ‘सुअवसर' दिया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘आज वे (विपक्ष) सदन को छोड़कर नहीं गये हैं, मर्यादा छोड़कर गये हैं। आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है। उन्होंने आज मेरा और आपका अनादर नहीं किया है बल्कि उस शपथ का अनादर किया है जो संविधान के तहत ली गयी है।'' सभापति ने कहा कि भारत के संविधान के लिए इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि यह उच्च सदन है और इसको देश का मार्गदर्शन करना होता है। धनखड़ ने कहा कि वह विपक्षी सदस्यों के इस आचरण की भर्त्सना करते हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के इस व्यवहार से देश के 140 करोड़ लोग आहत होंगे। उन्होंने कहा कि सदन में कल देर रात तक चर्चा चली और विपक्ष ने जब अपनी बात पूरी कह ली हो तो उसे सत्ता पक्ष की बात सुननी चाहिए।
सभापति ने कहा, ‘‘उन्होंने भारतीय संविधान को चुनौती दी है, उसकी भावना को आहत किया है। मैं इस कुर्सी पर बैठकर बहुत दुखी हूं कि संविधान का इतना मजाक, इतना अपमान... । भारत का संविधान हाथ में रखने की किताब नहीं है बल्कि जीने की किताब है।'' उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वह आत्मचिंतन करें, अपने दिल को टटोलें तथा अपने कर्तव्यों का पालन करें।