कृषि कानूनों पर मेरे विचार निजी, पार्टी के रुख को प्रदर्शित नहीं करते : कंगना
शिमला, 25 सितंबर (एजेंसी)
भाजपा सांसद कंगना रणौत ने वर्ष 2021 में निरस्त किये गये कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग संबंधी अपना बयान बुधवार को वापस ले लिया और कहा कि ये उनके विचार ‘निजी’ हैं और पार्टी के रुख को प्रदर्शित नहीं करते हैं।
अभिनय से राजनीति में आयीं कंगना ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वह अब केवल कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा सदस्य भी हैं एवं उनका बयान अपनी पार्टी की नीतियों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने विवादास्पद कानूनों पर अपने बयान से संभवत: कई लोगों को निराश किया है और उन्हें इस बात पर खेद है। भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई ने भी मंडी की सांसद रणौत के बयान से दूरी बना ली है। रणौत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि किसान कानूनों पर मेरे विचार निजी हैं और इन विधेयकों पर पार्टी के रुख को नहीं प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने अपना एक वीडियो बयान भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि जब किसानों के कानूनों का प्रस्ताव आया, तब हममें से कई ने उनका समर्थन किया। लेकिन बहुत ही संवेदनशीलता एवं सहानुभूति से हमारे सम्मानीय प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को वापस ले लिया। रणौत ने 68 सेकंड के इस वीडियो में कहा, ‘यदि मैंने अपने शब्दों एवं विचारों से किसी को निराश किया है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।’
उन्होंने मंडी में मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि इन तीन कृषि कानूनों का केवल कुछ राज्यों में विरोध हुआ। उन्होंने कहा था, ‘किसान भारत की प्रगति के शक्तिस्तंभ हैं। केवल चंद राज्यों में ही उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध किया। मैं हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि किसानों के हित में इन कृषि कानूनों को वापस लाया जाए।’
उन्होंने कहा था कि देश प्रगति के मार्ग पर है और कृषि कानूनों की बहाली से बेहतर वित्तीय स्थायित्व एवं किसानों का विकास सुनिश्चित होगा एवं अंतत: कृषि क्षेत्र को लाभ होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये बयान इस बात का संकेत हैं कि सत्तारूढ़ दल इन तीन कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है।
उसने कहा कि हरियाणा उसका मुंहतोड़ जवाब देगा। कंगना रणौत का बयान ऐसे समय में आया है जब राजनीतिक दल पांच अक्तूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। हरियाणा में खासकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का बड़ा प्रदर्शन हुआ था जो इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे थे। किसानों के विरोध के बाद तीन कृषि कानूनों को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी फिा से सांसद कंगना रणौतकी टिप्पणी से पीछे हट गईं। जबकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि भाजपा ने रणौत को ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं किया है और न ही उनका रुख पार्टी के विचारों को प्रतिबिंबित करता है।
पहले भी पार्टी ने उनके बयान को लेकर बनायी थी दूरी
पिछले महीने भी भाजपा को किसान प्रदर्शन के बारे में रणौत के एक बयान को लेकर दूरी बनानी पड़ी थी। रणौत ने कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शव लटके हुए पाये गये और बलात्कार किये गये थे। भाजपा ने उनके बयान की निंदा की थी और स्पष्ट किया था कि पार्टी के नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की उन्हें न तो अनुमति दी गयी है और न ही उन्हें अधिकृत किया गया है। सत्तारूढ़ दल ने तब एक बयान में कहा था, ‘भारतीय जनता पार्टी ने कंगना रणौत को भविष्य में इस प्रकार का कोई बयान नहीं देने का निर्देश दिया है।’