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मुंबई में सबसे ज्यादा अरबपतियों का बसेरा

07:11 AM Mar 27, 2024 IST
मुंबई में सबसे ज्यादा अरबपतियों का बसेरा
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मुंबई, 26 मार्च (एजेंसी)
भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई ने अरबपतियों की संख्या के मामले में चीन के बीजिंग को पीछे छोड़ दिया है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक अरबपति मुंबई में रहते हैं। ‘हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट’ के अनुसार, मुंबई में कुल 92 अरबपतियों के आवास हैं, जबकि बीजिंग में यह संख्या 91 है।
सूची के अनुसार, भारत में 271 अरबपति हैं, जबकि चीन में यह संख्या 814 है। वैश्विक भारत में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करने वाली एक रिपोर्ट के कुछ दिन बाद अमीरों की यह सूची आई है। हुरुन की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी ने 115 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ सबसे अमीर भारतीय के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा है। अंबानी की संपत्ति में पिछले साल 40 प्रतिशत या 33 अरब डॉलर का इज़ाफा हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतम अडाणी, जिनकी किस्मत कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़े घोटाले का आरोप लगाने वाली एक शॉर्ट सेलर रिपोर्ट के बाद खराब हो गई थी, कुछ नुकसान की भरपाई करने में सक्षम रहे और पिछले साल उनकी नेटवर्थ में 62 फीसदी का इजाफा हुआ।
वैश्विक स्तर पर, अंबानी 231 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ एलन मस्क के नेतृत्व वाली सूची में दसवें सबसे अमीर हैं। अडाणी 15वें स्थान पर हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने नए अरबपतियों के मामले में भी चीन को पीछे छोड़ दिया। भारत से सूची में 94 नए नाम शामिल हुए, जबकि चीन से 55 नए नाम शामिल हुए। इसमें कहा गया है कि वित्तीय राजधानी मुंबई में पिछले साल 27 अरबपति जुड़े, जबकि बीजिंग में सिर्फ 6 अरबपति जुड़े। वैश्विक आर्थिक चुनौतियों को मात देते हुए भारत की कुल संपदा पिछले साल 51 प्रतिशत बढ़ी है।
दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल करने के लिए भारत सालाना 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहा है, जबकि रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में कई चुनौतियों का सामना करने के कारण चीन की वृद्धि धीमी हो गई है। रिपोर्ट में मुंबई को ‘धन केंद्र’ कहा गया है, जिसमें बताया गया है कि अधिकतम शहर में लोगों के स्वामित्व वाली संपत्ति में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि बीजिंग में 28 प्रतिशत की गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष के दौरान केवल 24 भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में गिरावट देखी गई, जबकि 573 चीनी अरबपतियों की संपत्ति में गिरावट देखी गई।

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