बाजी जीतने का जुनून दे जाने वाली फिल्में
स्पर्द्धा मान
भी हाल ही में विक्रांत मैसी की फिल्म ‘12th’ फेल रिलीज हुई, जिसने सफलता के झंडे गाड़ दिए। एक छोटे से गांव का रहने वाला लड़का किस तरह अपने संघर्ष के दिनों में जीता है और अंततः अपनी परिस्थितियों से लड़कर सफलता प्राप्त करता है। यह न सिर्फ आज के बड़े होते बच्चों के लिए सीख है बल्कि हम जैसे बड़ों को भी यह प्रेरणा देता है कि मेहनत के बलबूते हम जीवन में कुछ भी पा सकते हैं। यह पहली बार नहीं है कि बॉलीवुड में ऐसी प्रेरणादायक फिल्म बनी है, इससे पहले भी कई ऐसी प्रेरक फिल्में बन चुकी हैं जिनसे हमें जीवन की जंग को जीतने और अपने सपनों को पूरा करने की सीख मिलती है।
इस लिस्ट में पहला नाम जो ध्यान में आता है, वह फिल्म है ‘थ्री इडियट्स’, जिसमें आमिर खान, माधवन और शरमण जोशी थे। यह फिल्म हमारे कम्फर्ट फूड की तरह है, जो हमें हमारी क्षमता का अहसास दिलाने के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए उकसाता है। इस फिल्म का एक डायलॉग अभी तक जेहन से निकलता नहीं है, जो यह कहता है कि ‘बच्चा काबिल बनो, कामयाबी तो झक मारकर पीछे आएगी’। ऐसी ही एक और फिल्म आई थी ‘गली बॉय’, जो एक फेमस रैपर की कहानी और अपने सपनों को पूरा करने की क्षमता के बारे में थी। यह फिल्म भी यही सीख देती है कि किसी के पास भी यह पॉवर नहीं है कि वह आपको आपकी क्षमता के बारे में बता दे।
जिंदगी के संघर्ष से लड़ने की जिद और खुद के लिए जीने का मौका देने वाली एक और फिल्म आई थी ‘क्वीन’, जिसने हमें यह सिखाया कि यादों को अपने दिल में कैद करके रखने से जो तकलीफ होती है, उससे पार पाना बेहद जरूरी है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि कुछ चीजें जाने देने के लिए ही होती हैं। इसके साथ ही फिल्म उन लड़कियों और उन लोगों को अपने लिए जीने की प्रेरणा देती हैं, जिनका यह मानना है कि शादी का मतलब ही जिंदगी में सेटल होना है। ‘क्वीन’ जैसी ही एक और फिल्म आई थी, जिसमें श्रीदेवी थीं। इस फिल्म का नाम ‘इंग्लिश विंग्लिश’ था, फिल्म का संदेश इतना खूबसूरत है कि हर आम महिला इससे रिलेट कर पाएगी। अपनी पहचान से इतर कुछ अलग करने का हुनर और जुनून सबके पास या तो होता ही नहीं है या कोई इसे पहचान नहीं पाता है लेकिन यह फिल्म उस तरह के तकरीबन हर बाड़े को तोड़ती नजर आती है।
बात जब महिलाओं की हो ही रही है तो हम भला फिल्म ‘डियर जिंदगी’ को कैसे भूल सकते हैं। फिल्म में कायरा और जग का रिश्ता सबसे अलग और खास है। नई तरह की जिंदगी के मापदंडों पर खरी उतरती यह फिल्म जग के अपरंपरागत तरीकों के बारे में है, जो कायरा की मदद करता है। जग यानी शाहरुख खान का डायलॉग ‘एक कुर्सी चुनने से पहले अगर हम इतनी सारी कुर्सियां देखते हैं, तो लाइफ पार्टनर चुनने से पहले क्या हमें ऑप्शन्स नहीं देखने चाहिए?’ आज के सभी लोगों के लिए सीख है, जिन्हें लगता है कि जिंदगी में सेटल होने का मतलब पार्टनर से है।
अभिनेत्री करीना कपूर को जिस फिल्म से सबसे ज्यादा नाम मिला, उस फिल्म का नाम ‘जब वी मेट’ है, और इस फिल्म का डायलॉग ‘मैं अपनी फेवरेट हूं’ ही अपने आपमें एक सीख है। यह फिल्म बेहद खूबसूरती से बताती है कि हर व्यक्ति के लिए खुद को प्यार करना कितना जरूरी है। और यह भी कि थोड़ा पागलपन और अपनी तरह का होना और व्यवहार करना बिल्कुल भी बुरा नहीं है। जिंदगी एक यात्रा है और आपको किसी को यह अनुमति नहीं देनी चाहिए कि वह आपकी यात्रा को प्रभावित कर सके। ‘इसी पल में जियो’ का संदेश देती हैं फिल्में ‘ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘ये जवानी है दीवानी’। हम अक्सर भविष्य के सुन्दर सपने देखते हुए वर्तमान में जीना भूल जाते हैं। जबकि सच तो यह है कि जीवन जीने को एक ही बार मिलता है औए इसलिए जरूरी है कि हम इसे भरपूर और खुलकर जियें।
लक्ष्य तक पहुंचने का जुनून
फिल्म ‘12th’ फेल असल जिंदगी पर बनी एक फिल्म है, जिसे लोगों ने खूब सराहा। कुछ-कुछ ऐसी ही फिल्म 2009 में आई थी, जिसका नाम ‘वेक अप सिड’ था। यह फिल्म आज के युवाओं के देखने और सीखने लायक है। युवाओं से अक्सर यह पूछा जाता है कि उनका क्या लक्ष्य है और अमूमन इसका सही जवाब उनके पास नहीं होता है। सिड की स्थिति भी ऐसी ही थी, जो सिर्फ अपनी जिंदगी को मजे से जीना चाहता था। लेकिन आएशा के साथ रहने पर उसे यह महसूस हुआ कि वह किस तरह से अब तक हर चीज को हल्के में लेता आया है। यह फिल्म हर उस आम लड़के-लड़की की कहानी है, जो मुड़े-तुड़े रास्तों पर चलकर अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं।a