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...मां धरती तो तुम थे मेरा आसमान

11:04 AM Jun 03, 2024 IST
गुरुग्राम में रविवार को साहित्यकार डॉ. नलिनी भार्गव के आवास पर आयोजित काव्य गोष्ठी में मौजूद अतिथिगण। -हप्र

गुरुग्राम, 2 जून (हप्र)
साहित्यकार डॉ. नलिनी भार्गव के शिक्षाविद् पिता रामेश्वर प्रसाद भार्गव की जयंती पर रविवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान डॉ. नलिनी ने कहा कि पिता को जन्मदिवस पर शिक्षा से संबंधित कार्य द्वारा ही श्रद्धांजलि देना सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। यहां पहुंचे कवियों ने काव्यपाठ किए। वरिष्ठ लेखक, संस्थापक महासचिव सुरुचि साहित्य कला परिवार के मदन साहनी ने किया। वरिष्ठ कवि, लेखक व साहित्यकार त्रिलोक कौशिक ने सरस्वती वंदना से शुभारंभ किया। दूरदर्शन के पूर्व निर्माता, निर्देशक, मीडियाकर्मी, कवि व साहित्यकार डॉ. अमरनाथ अमर ने काव्य पाठ किया।
उन्होंने सुनाया-जब सूरज आग बरसाने लगे, कंठ प्यास से सूखने लगे, मन प्राण झुलसने लगे, जीवन की सारी खुशियां, उमंगें मुरझाने लगें, तब तुम मुझे अपने आंचल की नम ठंडी छांव देना। लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने सुनाया-थक गया हूं उसको बुलाकर, जा बसा है जो दूर जा कर। रौनकें शहरी भुला कर, बस गया है गांव जा कर। रामेश्वर प्रसाद भार्गव की नातिन शिवानी भार्गव ने सेक्यूलरिज्म व तुष्टिकरण की राजनीति पर व पुत्री डॉ. नलिनी भार्गव ने पिता पर कविता पढ़ी। उन्होंने सुनाया-मां धरती तो तुम थे मेरा आसमान, मेरा अभिमान और स्वाभिमान। प्रसिद्ध कवयित्री ममता किरण ने सुनाया- कि वो एक झूठ की दहलीज से लिखा कागज, हुआ जो पेश तो शर्मिंदा ही हुआ कागज। हिमांगी त्रैमासिक पत्रिका की संस्थापक व संपादक डॉ. सुनीति रावत ने कविता पढ़ी। कवयित्री व वनकाम हरियाणा की महासचिव शकुंतला मित्तल ने कविता पढ़ी। वरिष्ठ कवि राजेश्वर वशिष्ठ, सुजीत, कवि हिरेन्द्र, कवयित्री रानी श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, अनंत सप्रे ने कविता पाठ किया।

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