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पहाड़ों में भारी बरसात से यमुना में आया एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी

10:13 AM Sep 27, 2024 IST
हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली की ओर डायवर्ट किया गया बाढ़ का पानी। -निस

पवन बटार/निस
छछरौली, 26 सितंबर
मानसून सीजन बीत जाने के बाद मौसम ने अचानक करवट ली और पहाड़ियों पर हुई जोरदार बरसात से यमुना नदी का जलस्तर बढ़कर 99538 क्यूसेक पर पहुंच गया है। चालू सीजन में यह अधिकतम बताया गया है। शिवालिक की पहाड़ियों पर हुई भारी बारिश से बरसाती नदियां कलेसर की सूकरों नदी, नागल ड्रेन, सोम नदी पूरे उफान पर बही। मानसून सीजन बीत जाने के बाद अचानक मौसम में आए बदलाव के कारण हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड की पहाड़ियों पर भारी बरसात हुई। यमुना नदी के कैचमेंट एरिया उत्तराखंड व हिमाचल में कई जगहों पर मूसलाधार बरसात से ऐसे हालात बने मानो जैसे बादल फट गया हो। हथिनी कुंड कंट्रोल रूम से मिली
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के कालसी में 233.2 मिमी,पोंटा साहिब के गंगूवाला में 320.02 मिमी, हरिपुर में 244 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई। इसी तरह सभावाला में 56.6 जटान बैराज पर 92.5 मिलीमीटर व पोंटा साहिब में 160 मिली मीटर बरसात हुई। हथिनी कुंड कंट्रोल रूम के मुताबिक सुबह 6 बजे यमुना नदी का जलबहाव बढ़कर 99 हजार 538 क्यूसेक के अधिकतम बिंदु पर पहुंच गया।
सिंचाई विभाग के मुताबिक यमुना का जल बहाव एक लाख क्यूसेक हो जाने पर बाढ़ का खतरा शुरू हो जाता है। बैराज से नहरों की जलापूर्ति बंद कर दी जाती है लेकिन बाढ़ का स्तर एक लाख क्यूसेक से नीचे होने के कारण यूपी की पूर्वी नहर हरियाणा की पश्चिमी नहर की आपूर्ति जारी रही। सितंबर महीने में कई बार खतरे के निशान से ऊपर बही यमुना मानसून सीजन बीत जाने के बाद कई बार सितंबर महीने में यमुना नदी में भीषण बाढ़ आई। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 29 सितंबर 1924 में 7 लाख क्यूसेक, 25 सितंबर 1947 को 7 लाख क्यूसेक, 3 सितंबर 1978 को रिकॉर्ड 7 लाख 9239 क्यूसेक की भीषण बाढ़ में ताजेवाला हैड क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद हथिनी कुंड में ढाई सौ करोड़ की लागत से नए बैराज का निर्माण किया गया। 25 सितंबर 1988 को यमुना नदी में 5 लाख 75522 क्यूसेक , 5 सितंबर 1995 को 5 लाख 38338 क्यूसेक, 8 सितंबर 2010 को 6 लाख 7076 क्यूसेक की भीषण बाढ़ आई। इसी प्रकार 13 सितंबर 2002 को 2 लाख 71871 क्यूसेक की बाढ़ आई। 13 सितंबर 2010 को 2 लाख 65 944 क्यूसेक की बाढ़ आई, 20 सितंबर 2010 को 7 लाख 44507 क्यूसेक की भीषण बाढ़ आई। सितंबर महीने में दर्जनों बार यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बही।

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