3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी
पिहोवा, 7 अप्रैल (निस)
चैत्र चतुर्दशी के अवसर पर आज लगभग 3 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने मां सरस्वती के पावन पवित्र जल में स्नान किया तथा जाने अनजाने में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगी तीर्थ यात्रियों ने स्नान के बाद अपने-अपने पुरोहित पण्डो के पास जाकर अपने मृतक पूर्वजों पितरों के प्रति आस्था रखते हुए उनके लिए पिंडदान किया। तीर्थ यात्रियों ने पिंडदान के बाद सरस्वती तीर्थ पर दीप भी जलाए ताकि पितरों के स्वर्ग के रास्ते में उन्हें अंधेरा दूर हो।
उसके पश्चात तीर्थ यात्रियों ने भगवान कार्तिकेय मंदिर में जाकर तेल चढ़ाया ।तीर्थ यात्रियों ने बाबा दरगाह शाह के मंदिर में जाकर मिट्टी के घोड़े भी चढ़ाया। आज जैसे ही सुबह 4:00 बजे का समय हुआ मंदिरों में शंकर घडिय़ाल बजने लगे इसी के साथ ही श्रद्धालु सरस्वती तीर्थ की ओर उम्र पड़े सुबह सवेरे से ही लोगों ने स्नान करके अपने पितरों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके लिए पिंडदान किया तीर्थ यात्रियों ने अपने पुरोहित पदों के पास जाकर उनके वहीं खातों से अपने पूर्वजों के नाम सुनी तथा उनके पास अपने वंशावली दर्ज कराई । चैत्र चौदस मेले के दूसरे दिन सुबह होते ही हिंदू सिख एकता का दृश्य हजारों साल पुरानी परंपरा को बयां कर रहा था।
राजस्थान-हिमाचल और पंजाब से आने वाले कुछ परिवार पूरे एक साल इस मेले के आने का इंतजार करते है। इस मेले के जरिए ही इन परिवारों में दोस्ताना संबंध स्थापित हुए। कई परिवारों ने तो भाई चारा तक कायम कर लिया है।
हिंदू-सिख एकता का रहस्य पिहोवा में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी, छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद, नौवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर व 10वीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस पवित्र शहर में आए।
इस प्रकार भगवान शिव शंकर, भगवान श्री कृष्ण सहित अनेक देवी देवताओं ने इस धर्म नगरी में आए थे।
इस बार तीर्थ यात्रियों ने प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था के प्रति जबर्दस्त नाराजगी दिखाई पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के नाम पर कोई भी कर्मचारी दिखाई नहीं दिया जिस कारण जेब कतरों ने जमकर लोगों की जेब कटी वही भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भी वहां चलते रहे जिसके कारण यात्री चोटिल हुए।