विश्वास का धन
एक ख्याति प्राप्त रईस समुद्री जहाज़ से यात्रा कर रहा था। बातों -बातों में एक सहयात्री को पता चल गया कि वह पांच लाख रुपये लेकर व्यापार करने जा रहा है। सहयात्री के मन में लालच आ गया। उसने शोर मचा दिया कि मेरे पांच लाख रुपये किसी ने चुरा लिए हैं। जहाज़ पर सभी की तलाशी ली गई। जब उस व्यक्ति की बारी आई तो जहाज़ के कप्तान ने कहा कि आप एक रईस आदमी हैं, आप किसी का पैसा क्यों चुराएंगे। अत: आपकी तलाशी रहने देते हैं। रईस आदमी ने ज़ोर देकर कहा कि उसकी तलाशी अवश्य ली जाए। जब तलाशी ली गई तो उसके पास से रुपये नहीं मिले। बाद में सहयात्री ने हैरान होकर पूछा कि आपके पास पांच लाख रुपये थे, आपने कहां छिपा दिए? रईस आदमी उत्तर दिया कि मैंने रुपये समुद्र में फेंक दिए। धन तो फिर से कमाया जा सकता है लेकिन विश्वास को पुन: पाना कठिन है। सहयात्री अपने किए पर लज्जित था।
प्रस्तुति : नीरोत्तमा शर्मा