For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

मोहन भागवत बोले- अंधविश्वास तो होता है, लेकिन आस्था कभी अंधी नहीं होती 

03:29 PM Jul 20, 2024 IST
मोहन भागवत बोले  अंधविश्वास तो होता है  लेकिन आस्था कभी अंधी नहीं होती 
Advertisement

पुणे, 20 जुलाई (भाषा)

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को दावा किया कि 1857 के बाद अंग्रेजों ने देशवासियों की अपनी परंपराओं और पूर्वजों में आस्था को कम करने का व्यवस्थित तरीके से प्रयास किया। भागवत ने कहा कि अंधविश्वास तो होता है, लेकिन आस्था कभी अंधी नहीं होती।

Advertisement

उन्होंने कहा कि कुछ प्रथाएं और रीति-रिवाज, जिनका पालन किया जा रहा है, वे आस्था हैं। उन्होंने कहा कि कुछ प्रथाएं एवं रिवाज गलत हो सकते हैं और उन्हें बदलने की जरूरत होती है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘अंग्रेजों ने 1857 के बाद (जब ब्रिटिश राजशाही ने भारत पर औपचारिक रूप से शासन करना शुरू किया) हमारे मन से आस्था को खत्म करने के लिए व्यवस्थित प्रयास किए... हमारी अपनी परंपराओं और पूर्वजों में जो आस्था थी, उसे खत्म कर दिया।''

Advertisement

भागवत ने जी बी देगलुरकर की पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा कि भारत में मूर्ति पूजा होती है जो आकार से परे जाकर निराकार से जुड़ती है।

उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए निराकार तक पहुंच पाना संभव नहीं है, इसलिए उसे एक-एक कदम करके आगे बढ़ना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘इसी लिए मूर्तियों के रूप में एक आकार बनाया जाता है।''

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि मूर्तियों के पीछे एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि भारत में मूर्तियों के चेहरों पर भावनाएं होती हैं, जो दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलतीं।

उन्होंने कहा, ‘‘राक्षसों की मूर्तियों में दर्शाया जाता है कि वे किसी भी चीज को अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लेते हैं। राक्षसों की प्रवृत्ति हर चीज को अपने हाथ में रखने की होती है। हम अपनी मुट्ठी में बंद (अपने नियंत्रण में) चीजों की रक्षा करेंगे। इसलिए वे राक्षस हैं।''

उन्होंने कहा कि लेकिन भगवान की मूर्तियां धनुष को भी कमल की तरह पकड़े नजर आएंगी। उन्होंने कहा कि साकार से निराकार की ओर जाने के लिए एक दृष्टि होनी चाहिए और जो लोग आस्था रखते हैं, उनके पास वह दृष्टि होगी।

Advertisement
Tags :
Advertisement
Advertisement
×