मोदी चट्टान की तरह मजबूत, कुछ नहीं कर सकेंगे ‘बादल-बदलियां’
अगले आम चुनाव को लेकर विपक्ष जहां केंद्र की मोदी सरकार की घेराबंदी में जुट चुका है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी जीत की ‘हैट्रिक’ लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा की मनोहर सरकार पर भी बड़ा दारोमदार है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जहां विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए दम ठोक रहे हैं, वहीं पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा की दस सीटों पर फिर से परचम लहराने की बड़ी जिम्मेदारी उन्हें दी है। नौ वर्षों के कामकाज, विपक्ष के सवाल, गठबंधन, एसवाईएल और एक साथ चुनाव जैसे विभिन्न मुद्दों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल की बेबाक बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
मुख्य अंश
- हम जात-पात में विश्वास नहीं करते, खत्म हो चुका है क्षेत्रवाद और भाई-भतीजावाद का दौर
यासी मौसम बड़ा अजीबो-गरीब है। बिहार से विपक्ष के घनघोर बादल (विपक्षी एकजुटता) उठ रहे हैं। कभी भी फट सकते हैं, बिजली कड़क सकती है। आपको खौफ नहीं हो रहा?
बादल, बदलियां (विपक्ष) अपनी जगह हैं। इनके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। जब हिमालय जैसा पर्वत सामने खड़ा हो तो उसमें छोटी-मोटी पहाड़ियों, बादल-बदलियों को रुकना ही पड़ता है। हमारे नरेंद्र मोदी चट्टान की तरह मजबूत खड़े हैं। छोटी-मोटी पार्टियों के इकट्ठे होने का मतलब यह तो जरूर है कि उनके सामने शेर खड़ा है। उन्हें डर लगता है। इसलिए वे अपने अस्तित्व को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। ये कोशिशें चाहे पटना से हों या कहीं और से, कोई फर्क नहीं पड़ता।
इन दिनों आप काफी एक्टिव हैं। रैलियां कर रहे हैं, जनसंवाद कर रहे हैं। थकान नहीं होती?
जब प्रदेश के पौने तीन करोड़ लोगों का साथ हो, तो थकान किस बात की। लक्ष्य मजबूत है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय कहा करते थे, चलते रहो-चलते रहो ndash; लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होगी। हम भी चले ही जा रहे हैं।
आपका जजपा से गठबंधन है। नया लक्ष्य ‘एकला चलो’ का तो नहीं?
देखिए, लोकतंत्र में आवश्यकता होती है जनसमर्थन की। जनता हमारे साथ है तो हम कहां अकेले हैं। जनसमर्थन का परीक्षण चुनावों में होता है। 2014 में केंद्र में सरकार बनी और मोदी जी बहुत बड़े बहुमत से आए। हरियाणा में भी हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आए। फिर 2019 में केंद्र में फिर से सरकार रिपीट हुई। हमारे यहां विधानसभा चुनावों में थोड़ी सी कमी रह गई। हमने गठबंधन किया। वह चल रहा है। मुझे लगता है कि आज भी जनता का समर्थन केंद्र में मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार बनाने के लिए है। हरियाणा में लोकसभा की 10 की 10 सीटों को जीतने का लक्ष्य है। हम हरियाणा में भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे।
मतलब साफ है, भाजपा सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी?
बिल्कुल। हमारा लक्ष्य तो सभी दस सीटों को जीतने का है।
तो फिर जजपा समर्थन करेगी?
यह विषय हमारा नहीं है। केंद्र के स्तर पर निर्णय होना है। दो चुनाव – 2014 और 2019, हमने अकेले लड़े हैं। हमारे यहां पार्लियामेंटरी बोर्ड इस बारे में फैसले करता है। वहीं बैठकर निर्णय होगा।
मोदी के साथ आपकी घनिष्ठता है। तो यह समझा जा सकता है कि तीसरी पारी, अबकी बार फिर मनोहारी?
देखिए, मुख्यमंत्री का फैसला मेरे-आपके कहे से नहीं होता। वैसे भी भाजपा में इस तरह की संस्कृति नहीं है। हमारे यहां कोई नेता या कार्यकर्ता यह क्लेम करने का आदी भी नहीं है। इस तरह के महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्र ही निर्णय करता है। अब पार्लियामेंटरी बोर्ड तय करेगा कि अगली बार किसे रहना है। 2014 में मुझसे भी कई लोगों से पूछा कि आप मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे। पहले से छह-सात उम्मीदवार हैं। मेरा मानना है कि सभी नब्बे विधायक भी अगर मन में यह इच्छा रखें तो उसमें भी क्या बुराई है।
पता लगा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने आपको लोकसभा की सभी 10 सीट जीतने का टास्क दिया है?
प्रदेश में जो भी मुख्य दायित्व वाला व्यक्ति होता है, यह उसकी जिम्मेदारी होती है। जहां भी प्रदेशों में मुख्यमंत्री हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि लोकसभा की सभी सीटों पर चुनाव जीतें। ऐसे ही हरियाणा में मेरा दायित्व है कि हम सभी 10 सीटें जीतें।
दिल्ली के बाद पंजाब में भी प्रचंड बहुमत वाली ‘आप’ अब हरियाणा में एक्टिव है। क्या भविष्य देखते हैं?
आम आदमी पार्टी को लोग अच्छे से समझ चुके हैं। हरियाणा में उनका न तो भविष्य था, न है और न ही होगा। विधानसभा व निकाय चुनावों में मुंह की खानी पड़ी। इनका कोई सिस्टम नहीं है। हरियाणा का व्यक्ति स्वाभिमानी है। यहां के लोग प्रलोभन में नहीं आएंगे। मैं लोगों के बीच भी जाकर पूछता हूं, लोग मुफ्त की योजनाओं के खिलाफ हैं। आपकाे बता दूं कि प्रदेश में 5 हजार ऐसी महिलाएं हैं, जो सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं। 10 से 70 हजार रुपये महीना कमा रही हैं।
आपके अब तक के कार्यकाल का कैसा अनुभव रहा? आगे क्या लक्ष्य हैं?
मैं मानता हूं कि अभी तक का कार्यकाल बहुत अच्छा रहा। मैं बेहतर इसलिए मानता हूं क्योंकि 2014 में चुनाव लड़ते समय जो बातें तय की थीं, उन्हें मैं पूरा कर पाया हूं। प्रदेश से भ्रष्टाचार को खत्म किया है। भयमुक्त समाज दिया है। भाई-भतीजावाद को खत्म किया है। सबका साथ-सबका विकास और हरियाणा एक-हरियाणवी एक की विचारधारा के साथ हम आगे बढ़े हैं। जितना संतोष मुझे है, उतना ही प्रदेश की जनता को भी है। गरीब परिवार की सहायता करके उन्हें आगे बढ़ाने के लक्ष्य में हम काफी कामयाब हुए हैं। गरीबों के उत्थान के लिए काम किए हैं और आगे भी करेंगे।
अंत्योदय तो शब्द ही भाजपा का है। समाज की दूरियों को कैसे कम करेंगे?
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने यह शब्द दिया था। उनका मानना था कि सुखी समाज की कल्पना करते हैं तो उसमें सबसे पहले, सबसे अंत में खड़े व्यक्ति के बारे में सोचना होगा। चाहे वह आर्थिक, सामाजिक या शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा हो, उसे आगे लेकर आना है। अगर ऐसा नहीं किया तो पीछे वाला पीछे रह जाएगा और आगे वाला आगे बढ़ता चला जाएगा। इससे दूरियां बढ़ेंगी और समाज में खाई भी। हमने इस खाई को खत्म करने का काम किया है। रोजगार के अवसर दिए हैं। शिक्षा मुहैया करवाई है और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए योजनाएं बनाई हैं।
कांग्रेस को परिवारवाद की पार्टी कहते हैं। आरोप तो यह भी लगता है कि भाजपा का भी परिवार है। संघ परिवार। क्या कहेंगे?
परिवार की बहुत सी कल्पनाएं हैं। कहा गया है, ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम! उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम! यानी जो छोटी सोच के लोग होते हैं, वो मेरा है, तेरा है, उसी में उलझे रहते हैं। उदार हृदय वालों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है। कांग्रेस की परिवारवाद, भाई-भतीजावाद, क्षेत्रवाद और इलाकावाद की राजनीति लोगों ने देखी है। भाजपा का परिवार विस्तृत है। देश है। साफ-साफ कह दूं कि अब ‘वाद संस्कृति’ का दौर खत्म हो चुका है। अब पूरा प्रदेश और बच्चा-बच्चा हमारा परिवार है। हरियाणा की ढाई-पौने तीन करोड़ जनता ही मेरा परिवार है। जहां तक बात आरएसएस की है तो हमारे यहां मेरा भाई, मेरा बेटा-बेटी, बहन और रिश्तेदार को नहीं पूरे देश और हर वर्ग-धर्म को अपना परिवार माना जाता है। इस तरह के परिवारवाद की संस्कृति कांग्रेस में है। तभी तो कांग्रेस का लघु परिवार है।
एसवाईएल निर्माण क्यों नहीं हो पा रहा। रेणुका, लखवार और किशाऊ डैम का क्या स्टेटस है?
एसवाईएल का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हरियाणा के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी आ चुका है। मैं मानता हूं कि लागू करने को लेकर भी फैसला हरियाणा के हक में ही आएगा। पंजाब को आदेश मिलेगा कि नहर का निर्माण कराया जाए। इसके लिए एजेंसी तय होगी। हिमाचल प्रदेश के जरिये एसवाईएल नहर का पानी लाने का ऑफिशियल कोई एजेंडा नहीं है। वर्तमान में जितना पानी है, हम उसका ठीक से प्रबंधन कर रहे हैं ताकि लोगों की जरूरत को पूरा किया जा सके। दक्षिण हरियाणा में हमने टेल तक पानी पहुंचाया है। रेणुका, किशाऊ और लखवार डैम के लिए कोशिश कर रहे हैं। किशाऊ डैम को लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की केंद्र के स्तर पर कुछ आपत्तियां हैं। इनके दूर होते ही एमओयू होगा और काम शुरू होगा। बाकी दोनों डैम के एमओयू हो चुके हैं और काम शुरू करवाया जा चुका है। इनके बनने के बाद यमुना में सात से आठ महीने पर्याप्त पानी मिलेगा। ऐसे में तीन-चार महीने बचेंगे, वे भी सर्दियों के। उसमें हम काम चला लेंगे। पानी बचाने पर हम बहुत काम कर रहे हैं। पानी का रियूज, रिसाइकिल और रिचार्ज की योजनाएं बनाई हैं।
हरियाणा में एक्टिव दिख रही आम आदमी पार्टी काे आप किस तरह से लेते हैं?
असल में पंजाब में एक वैक्यूम था। वहां लोग अकाली दल से परेशान थे और कांग्रेस को भी वोट नहीं देना चाहते थे। हम (भाजपा) अकालियों के साथ लगे रहे। हरियाणा में 1996 में हमने खुद को आगे बढ़ाने का काम किया। 18 वर्षों की मेहनत के बाद अपने बूते सत्ता में आए। पंजाब में अभी ऐसी स्थिति नहीं ला पाए। समय लगेगा। पंजाब में आप की सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है। अब सूरजमुखी को ही ले लें। हम 1000 रुपये भावांतर भरपाई के दे रहे हैं और 4800 से 5000 रुपये में खरीद रहे हैं। ऐसे में किसान को 6 हजार रुपये प्रति एकड़ मिल रहे हैं। पंजाब में सूरजमुखी का भाव 4200 से 4300 रुपये प्रति क्विंटल है। हमारी एजेंसीndash; हैफेड ने भी पंजाब से सूरजमुखी खरीदी है। वह इसलिए क्योंकि वहां सस्ती है और हमारे यहां महंगी ताकि बैलेंस बना रहे। पंजाब सरकार ने न कर्मचारियों की सहायता की, न किसानों की और ना ही आम लोगों की। हरियाणा में आप का न कोई स्थान था, न है और न रहेगा।
हां, हम बनाएंगे सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज
मुख्यमंत्री ने गर्व से कहा, ‘हां हमने सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान किया था। इससे पीछे नहीं हटे हैं। काम कर रहे हैं। हम पूर्व की सरकार की तरह घोषणाओं में नहीं, काम करने में विश्वास करते हैं। कांग्रेस सरकार की घोषणाओं को भी हमने पूरा किया है।’ उन्होंने कहा कि करनाल में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज पर कांग्रेस ने महज 140 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इनमें इस पर 470 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। भिवानी में बनाए जा रहे मेडिकल कॉलेज पर 270 करोड़ खर्च हो चुके हैं। कांग्रेस ने इसकी घोषणा तो की, लेकिन एक पैसा खर्च नहीं किया। हमने इस पर 479 करोड़ खर्च भी कर दिए। जींद में बन रहे मेडिकल कॉलेज पर 214 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। ये तीनों मेडिकल कॉलेज सालभर में बनकर तैयार हो जाएंगे। इसी तरह से कैथल, यमुनानगर, सिरसा, पलवल और चरखी दादरी में मेडिकल कॉलेज बनाने का निर्णय लिया है। नूंह के मेडिकल कॉलेज में डेंटल कॉलेज भी स्थापित किया जाएगा। करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में 373 करोड़ की लागत से दूसरे फेज पर काम शुरू हो चुका है। कुटेल (करनाल) में करीब 800 करोड़ की लागत से मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। कांग्रेस सरकार ने चिकित्सा शिक्षा पर 10 वर्षों में केवल 903 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि हम अभी तक 2287 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
गलतियों को करेंगे ठीक, कॉलेजों की होगी मैपिंग
नयी शिक्षा नीति पर सीएम ने कहा कि इसे हरियाणा में 2025 तक लागू कर दिया जाएगा। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े कॉलेजों ने इसी साल से लागू कर दिया है। रोहतक यूनिवर्सिटी कैम्पस में लागू हो चुकी है और कॉलेजों में अगले साल से लागू होगी। अगले साल प्रदेशभर में नीति लागू करने की योजना है। कांग्रेस के 10 वर्षों के राज में 45 नये कॉलेज बने। वहीं भाजपा सरकार में अभी तक 72 कॉलेज बने हैं। इनमें भी 50 कॉलेज केवल बेटियों के लिए हैं। कुरुक्षेत्र विवि को हुड्डा सरकार ने 414 करोड़ रुपये दिए तो हमने 1381 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कांग्रेस ने 10 वर्षों में शिक्षा पर 1778 करोड़ खर्च किए। वहीं हमने अभी तक 5386 करोड़ खर्च किए हैं। पूर्व की सरकार ने अनाप-शनाप स्कूल-कॉलेज खोल दिए। हम उनके गलत निर्णयों को भी ठीक कर रहे हैं। इसके लिए स्कूलों व कॉलेजों की मैपिंग करवाई जा रही रही है। हमारी कोशिश है कि विद्यार्थियों को घर के नजदीक शिक्षा मिले। अगर दूर जाना है तो ट्रांसपोर्ट सुविधा दी है। बस चलाई हैं, थ्री-व्हीलर की जरूरत है तो उसका प्रबंध किया है।
भाजपा पहले इनेलो के साथ भी रही। अब जजपा के साथ है। आगे की क्या संभावनाएं हो सकती हैं ?
राजनीति में समीकरण अहम होते हैं। जब मल्टी पार्टी सिस्टम है तो लोगों के बीच जाने के लिए अच्छे लोगों का ग्रुप बनता है। हमारा लक्ष्य देश व प्रदेश को नुकसान पहुंचाने वालों को दूर रखने के लिए अपना पक्ष मजबूत करना है। इसके लिए समझौते होते हैं। आगे भी हो सकते हैं। कांग्रेस ने देश को जिस तरह का नुकसान पहुंचाया, उन्हें दूर करने के लिए अपने विचार के लोगों को साथ लेकर हम चलते हैं। पटना (विपक्ष की बैठक का संदर्भ) में विचारों से किसी का समर्थन नहीं है। उन्हें भय लगता है कि नरेंद्र मोदी को हटाना किसी के बस की बात नहीं। जनता सब समझती है, उन्हें समर्थन नहीं मिलेगा। हमारे पास भी एनडीए है। हम जनता की भलाई व हित के लिए इकट्ठे होते हैं। यूपीए के लोगों के कोई विचार व सिद्धांत नहीं हैं। एनडीए विचारों के नाते एक दिशा में आगे बढ़ती है। रही बात, आगे संबंध बनने की तो राजनीति में संभावनाओं के द्वार कभी बंद नहीं होते।
सवाल उठते हैं कि राजनीति में आरएसएस के लोग एक्टिव रहते हैं?
आरएसएस एक संस्कार देने की कार्यशाला है। उसमें जो जाता है, उसमें देशभक्ति, ईमानदारी, अनुशासन पैदा होता है। शारीरिक विकास भी होता है। संस्कारित होकर व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में जाता है तो अच्छा ही काम करता है। केवल राजनीति में आते हैं, ऐसा भी नहीं है। राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में जा रहे हैं। आरएसएस के लोग आदिवासी क्षेत्रों में जाकर काम करते हैं। बस्तियों में जाकर काम कर रहे हैं। आरएसएस से संस्कारित लोग संघ के गुणों को लेकर ही काम करेंगे।
आपकी सरकार में भी पेपर लीक हुए, आयोग के अधिकारी पकड़े गए, है कोई सफाई?
पहले तो भ्रष्टाचार को समझना होगा। यह अलग-अलग लेवल का है। या कहूं कि इसकी भी कैटेगरी हैं। इनमें जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी और जनता भी शामिल है। यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हमारे यहां शासन करने वाले लाेग भ्रष्टाचार से दूर हैं। हमारी पार्टी या किसी नेता पर आरोप नहीं। वे (पूर्ववर्ती) हमेशा भ्रष्टाचार में सने रहे। सभी को पता है कि कैसे-कैसे लोग ट्रांसफर, भर्तियों व सीएलयू में पैसे लेते थे। कांग्रेस में भ्रष्टाचार हुआ और उस पर पर्दा डाल दिया जाता था। पर्दा डालने के बाद वे भ्रष्टाचार को छुपाकर रखते थे। हमारे सामने कोई भी बात आई तो हमने उस पर पर्दा नहीं डाला, बल्कि उसे उजागर किया। कार्रवाई भी की है। पेपर लीक में हमने 650 लोगों को पकड़ा। यह कोई आसान काम नहीं है। हमने भ्रष्टाचार खत्म करने में साहस दिखाया। हमारे समय में अगर किसी लेवल पर गड़बड़ी भी हुई तो उन भर्तियों को ही रद्द कर दिया। कांग्रेस के समय में कोर्ट से 11 परीक्षाओं को रद्द किया गया। हमारे कार्यकाल में कोर्ट से एक भी परीक्षा रद्द नहीं हुई। हमें कहीं भी लगा तो हमने तो खुद ही परीक्षा और पेपर रद्द कर दिए।
हमेशा निष्पक्ष रहा है ट्रिब्यून ग्रुप
ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह की तारीफ करते हुए सीएम ने कहा, मैं जब भी ट्रिब्यून को देखता हूं, पढ़ता हूं या सुनता हूं तो मन उत्साह से भर जाता है। जब देश आजाद नहीं था, तब सरदार दयाल सिंह मजीठिया जी ने इसकी शुरुआत की। उस समय से निष्पक्ष रूप से ट्रिब्यून ग्रुप चल रहा है। बिना किसी मालिक के एक संस्था के रूप में बहुत अच्छे से काम हो रहा है। मैं मैनेजमेंट, ट्रस्ट के लोगों और ट्रिब्यून के सभी कर्मचारियों को बधाई देता हूं।
बेहद प्रभावित हूं संत कबीर से
सीएम मनोहर लाल चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास का नाम संत कबीर कुटीर रख चुके हैं। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैं संत कबीर के जीवन से बहुत प्रभावित हूं। उनकी शिक्षा पर चलने की कोशिश करता हूं। उनका प्रसिद्ध दोहा- ‘कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’, सुनाते हुए सीएम मनोहर लाल ने अपनी बातचीत को विराम दिया।
हरियाणा में जाट व गैर जाट की बड़ी राजनीति होती है। आपकी गाड़ी जीटी रोड पर दौड़ती रहेगी या फिर आप यहां उदारवादी नीति अपनाएंगे?
2014 में पहली बार जब मैंने विधानसभा चुनाव लड़ा तो कहा था कि ‘हरियाणा एक-हरियाणवी एक।’ मैं हरियाणा के सभी लोगों को एक साथ लेकर चलता हूं। हमने थ्री ‘सी’ पर चोट की है। यानी क्राइम, करप्शन और कास्ट बेस्ड पॉलिटिक्स। कास्ट बेस्ड पॉलिटिक्स को तो हमने आने के बाद खत्म किया। ये विपक्ष के लोग चलाते रहते हैं जाट और गैर-जाट, हमने कभी भी ऐसा नहीं किया। हमारे यहां तो बड़े-बड़े पदों पर सभी प्रकार के लोग हैं। चाहे उसमें एससी हों, जाट हों, ब्राह्मण हों, पंजाबी हों या पिछड़ा वर्ग के लोग हों। हमारे यहां लोग जाति नहीं योग्यता के आधार पर आगे बढ़ते हैं। रोटेशन के आधार पर काम होता है। यह नहीं कि किसी एक जाति को पकड़ कर चलें। हमारे यहां सभी प्रकार के लोग हैं। कभी ऐसा नहीं होता कि किसी व्यक्ति को जाति देखकर आगे बढ़ाया जाए या पीछे खींचा जाए।