पबनावा, बंदराना के मनरेगा मजदूरों ने की नारेबाजी
कैथल, 30 जून (हप्र)
गांव पबनावा व बंदराना के मनरेगा मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत काम मिलना गले की फांस बन चुका है। इसके विरोध में मनरेगा मजदूर 1 जुलाई को बीडीपीओ कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रोष जताएंगे। दूसरी तरफ मनरेगा मजदूरों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी ऑनलाइन शिकायत भेजकर संबंधित विभाग के अन्य कर्मचारियों द्वारा तंग करने एवं काम न देने के आरोप लगाए हैं।
मनरेगा मजदूर उषा रानी, रामरति, सुमन, कमलेश, बलविंद्र कौर, गुड्डी देवी, रानी, सुदेश, रीना, राजेंद्र, महेंद्र सिंह, बबली, देशराज, विक्रम, रघुबीर सिंह, सुखबीर सिंह, प्रेम, सुनीता, संतोष, मूर्ति, पूनम, मुकेश, सुमन, कृष्णा, राजो, सरोज बाला, सुखदेवी आदि ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में कहा कि मनरेगा के तहत बीडीपीओ कार्यालय ढांड द्वारा एक वर्ष के बाद बड़ी मुश्किल से काम तो मुहैया करवा दिया गया, लेकिन विभाग के अन्य कर्मचारियों की मनमर्जी के चलते हाजिरी के लिए मोबाइल रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है। मनरेगा मजदूरों ने कहा कि गांव पबनावा व बंदराना के मनरेगा मजदूरों ने वर्ष 2023 के जून माह से कम की मांग की हुई थी, बार-बार बीडीपीओ दफ्तर ढांड में एक अधिकारी से मिलते रहे, लेकिन हमें हर बार झूठे आश्वासन मिलते रहे। मनरेगा मजदूरों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पुरजोर मांग करते हुए कहा कि गांव बंदराना व पबनावा के मनरेगा मजदूरों को काम दिलवाया जाए।
आज हो जाएगा समस्या का हल : बीडीपीओ
इस बारे में बात करने पर ढांड बीडीपीओ जगजीत सिंह ने कहा कि गांव पबनावा व बंदराना के मनरेगा मजदूरों की काम बाबत आ रही परेशानी को 1 जुलाई दिन सोमवार को दूर कर दिया जाएगा और मजदूरों को कल से ही काम मुहैया करवा दिया जाएगा। मनरेगा मजदूरों द्वारा जो अन्य शिकायत की गई है उसकी जांच कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
अधिकारी-कर्मचारी कर रहे मनमर्जी
मनरेगा मजदूरों ने आरोप लगाया कि विभाग के अन्य अधिकारी अपने चहेते मेटों को बार-बार काम दे रहे हैं जबकि हम मजदूरों का काम देने के नाम पर सिर्फ एक ही रटारटाया जवाब मिलता है कि सरकारी विभाग द्वारा कोई काम बाबत पत्र नहीं आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ देर बाद अधिकारी अपने चहेतों मेटों का काम निकाल देता है जबकि सभी मजदूरों को काम की जरूरत है। अपने चहेते मेटों के सभी मजदूरों का मस्टररोल जारी किया जाता है, लेकिन उनकीलेबर में से बहुत से मजदूरों के मस्टररोल जारी नहीं किए जाते हैं। बहुत से मनरेगा मजदूरों के साथ भेदभाव किया जाता है।