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खनन कारोबारी है पीएसी का एक सदस्य, कैसे होगी निष्पक्ष जांच

12:36 PM Jun 21, 2023 IST

यमुनानगर/जगाधरी, 20 जून (हप्र/निस)

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जिले में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार जी-जान से जुटी हुई है। सरकार द्वारा गत वर्ष टास्क फोर्स बनाकर खनन जोन में अलग-अलग जगह नाके लगा अवैध खनन पर अंकुश लगाने का काम किया है, जिससे काफी हद तक अवैध खनन पर नकेल कसी गई है और अवैध खनन से जुड़े लोगों पर भारी जुर्माना संबंधित विभाग द्वारा किया गया है।

इसी के साथ ही अवैध खनन एवं ओवरलोडिंग से जुड़े सैकड़ों वाहन भी इंपाउंड किए गए हैं। हरियाणा विधानसभा द्वारा जिसमें लोक लेखा समिति (पीएसी) बनाई गई है, जिसमें मौजूदा विधायकों को शामिल किया गया है। उक्त समिति 21 जून को सुबह 11 बजे यमुनानगर खनन जोन का दौरा कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।

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प्रदेश की अलग-अलग पार्टियों के 10 विधायक अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे तो उसमें सच के सिवा कुछ नहीं होगा और दोषियों पर तुरंत ही कार्रवाई होगी। परंतु लोक लेखा समिति के दौरे से पूर्व ही समिति की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगता दिखाई दे रहा है, क्योंकि यमुनानगर खनन जोन का दौरा करने वाली लोक लेखा समिति में शामिल एक सदस्य पिछले 25 वर्षों से खनन कारोबार से जुड़ा हुआ है। समिति के सदस्य एक विधायक का नजदीकी रिश्तेदार पिछले कई वर्षों से विधायक का खनन कारोबार संभाल रहा है। विधायक के रिश्तेदार ने खनन पट्टों के अलावा एक एमडीएल 1015 भी बनवाया था और इसी के तहत खनन का फर्जी ई-रवाना का कारोबार धड़ल्ले से कर रहा था।

वर्ष 2021 में इस व्यक्ति द्वारा 2 लाख 60 हजार मीट्रिक टन की फर्जी परचेज अपने एमडीएल में दिखाकर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। फर्जी ई-रवाना परचेज जम्मू-कश्मीर मणिपुर, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार आदि देश के 25 से अधिक राज्यों की दिखाई गई थी।

इस धंधे का पता चलते ही विभाग द्वारा कार्रवाई की गई और उस समय के महानिदेशक खनन विभाग हरियाणा को सूचित किया गया। जांच करने पर तुरंत कार्रवाई करते हुए तत्कालीन डीजीएम खनन विभाग मोहम्मद शाइन द्वारा जुलाई, 2021 को पत्र संख्या 2437 जारी कर फर्म का पोर्टल बंद कर कड़ी कार्रवाई की गई।

उक्त फर्म का पोर्टल आज तक बंद है और विभागीय कार्रवाई चल रही है। सरकार से मांग करते हुए खनन कारोबारियों ने कहा कि लोक लेखा समिति के सदस्य इस विधायक को खनन संबंधी हर समिति एवं जांच से दूर रखा जाए ताकि लोक लेखा समिति (पीएसी) के सभी सम्मानित सदस्य निष्पक्ष जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।

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