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मरीजों को मुफ्त बांटा जाता है दड़बा की गौशाला का दूध और दही

07:39 AM Oct 18, 2023 IST
यमुनानगर के दड़बा की गौशाला।- हप्र

सुरेंद्र मेहता /हमारे प्रतिनिधि
यमुनानगर, 17 अक्तूबर
गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है और हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। माना जाता है कि गाय की सेवा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लेकिन, वर्तमान में बहुत से ऐसे लोग हैं जो गाय का दूध पीने के बाद जब वह दूध देना बंद कर देती हैं तो उसे छोड़ देते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के गाय की सेवा कर रहे हैं। ऐसी ही एक गौशाला है यमुनानगर के दड़बा में।
इस अनोखी गौशाला में आज भी सतयुग की तरह गाय की सेवा की जाती है। इस गौशाला की सबसे विशेष बात यह है कि यहां जितनी भी गाय हैं, उनके दूध या दूध से बना घी कभी बेचा नहीं जाता, बल्कि अस्पताल के मरीजों की सेवा में निःशुल्क लगा दिया जाता है। साथ ही किसी भी बीमार या बूढ़ी गाय को उसकी अंतिम सांस तक छोड़ा नहीं जाता, बल्कि परिवार के एक सदस्य की तरह सेवा की जाती है और हर संभव इलाज भी करवाया जाता है। इस गौशाला का रखरखाव जंगला वाला माताजी के मंदिर द्वारा किया जाता है। गौशाला के सेवादार नरेश उप्पल, राज कुमार ने बताया कि यह गौशाला एक तरह से मंदिर का ही हिस्सा है। यहां मौजूद सभी गायों के पीछे अलग-अलग कहानियां हैं। शहर के कई लोग इस गौशाला में गायों की सेवा करने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम नियमित रूप से आते हैं। गायों को सुबह शाम-स्नान आदि करवाकर ही मशीनों से दूध निकाला जाता है। यह गौशाला मंदिर मय वातावरण में चलाई जा रही है। लिहाजा सभी गाय सुबह-शाम भजन कीर्तन भी सुनती हैं। इन गायों का सारा दूध सिविल अस्पताल में जाता है, ताकि जरूरतमंद मरीजों को दूध दिया जा सके। नरेश उप्पल ने बताया की इस गौशाला से एक रुपये की चीज भी कभी बेची नहीं जाती चाहे दूध हो या फिर घी-मक्खन सारी सामग्री मानव सेवा में लगाई जाती है। अधिक गर्मी के समय में जहां मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को लस्सी पिलाई जाती है वहीं तैयार किया गया घी मंदिर की नियमित ज्योत में प्रयोग होता है। जबकि गोबर भी खाद बनाकर सेवा में ही दिया जाता है।

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