भारत की समृद्धि में योगदान बढ़ाते प्रवासी
जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम, अबू धाबी में भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय भारत और संयुक्त अरब अमीरात मिलकर 21वीं सदी का नया इतिहास लिख रहे हैं। आप यहां जो मेहनत कर रहे हैं, उस ऊर्जा से भारत भी आगे बढ़ रहा है। भारत के बढ़ते हुए सामर्थ्य ने दुनिया को भी स्थायित्व और समृद्धि की उम्मीद दी है। दुनिया को लगा है कि भारत एक भरोसेमंद ग्लोबल ऑर्डर स्थापित करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। आज दुनिया के हर बड़े मंच पर भारत की आवाज सुनी जाती है। आज का मजबूत भारत कदम-कदम पर अपने लोगों के साथ खड़ा है। बीते 10 वर्षों में जहां भी विदेशों में बसे भारतीयों को समस्या आई, भारत सरकार ने तेज़ी से एक्शन लिया है। यूक्रेन, सूडान, यमन और दूसरे संकटों के दौरान फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित निकाल कर भारत लाया गया है। आज भारतीय समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का है।
वस्तुतः प्रवासी भारतीय भारत की नई ऊर्जावान शक्ति हैं। यूएई में करीब 35 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं और इन्होंने वर्ष 2023 में अपनी कमाई में से 20 अरब डॉलर से अधिक रेमिटेंस भारत भेजी है। इस समय जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में ऊंचाई प्राप्त कर चुका है। आगामी पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने की डगर पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में यूएई सहित दुनियाभर के प्रवासी भारतीय अपनी मातृभूमि के लिए अधिक तत्परता के साथ योगदान देने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ रिपोर्ट 2023 के मुताबिक विदेश में कमाई करके अपने देश में धन भेजने के मामले में वर्ष 2023 में भारतीय प्रवासी दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 में प्रवासी भारतीयों ने करीब 125 अरब डॉलर की धनराशि स्वदेश भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रेमिटेंस प्राप्त करने में भारत ने मेक्सिको, चीन और फिलिपींस को बहुत पीछे छोड़ दिया है। टॉप-5 रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देशों में भारत के अलावा मेक्सिको (67 अरब डालर), चीन (50 अरब डालर), फिलीपींस (40 अरब डालर) और मिस्र (24 अरब डालर) शामिल हैं। रिपोर्ट से यह बात भी उभरकर सामने आई है कि पहले जहां भारत से अकुशल श्रमिक कम आय वाले खाड़ी देशों में जाते थे, वहीं अब विदेश जाने वाले भारतीयों में हाई स्किल्ड लोगों की संख्या ज्यादा है जो अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे उच्च आय वाले देशों में जा रहे हैं। ऐसे में वे अधिक कमाई करके अधिक धन भारत भेज रहे हैं।
जहां वर्ष 2022 में प्रवासी भारतीयों ने 100 अरब डॉलर भेजी, वहीं 2021 में 87 अरब डॉलर की धनराशि स्वदेश भेजी थी। जब वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की ऋणात्मक विकास दर की स्थिति में पहुंच गई थी और दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आने के कारण भारतीय प्रवासियों की आमदनी में बड़ी कमी आई थी, फिर भी आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय प्रवासियों द्वारा वर्ष 2020 में भेजी गई 83 अरब डॉलर की बड़ी धनराशि से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला था। पिछले वर्ष 2023 में प्रवासियों द्वारा भेजी गई 125 अरब डॉलर की धनराशि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के मद्देनजर बड़ी अहम रही है। यह छोटी बात नहीं है कि प्रवासियों से धन प्राप्त करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की सूची में भारत वर्ष 2008 से अब तक पहले क्रम का देश बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि दुनिया के भारतीय समुदाय के विभिन्न वर्गों द्वारा भारत के विकास के लिए योगदान दिया जा रहा है। प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा डायस्पोरा है, जिसकी संख्या लगभग 3.2 करोड़ है। मोटे तौर पर प्रवासी भारतीयों में भारतवंशी (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन), नॉन रेसिडेंट इंडियन (एनआरआई) और ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) शामिल हैं। भारत के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भारतीय एनआरआई की संख्या करीब 1.34 करोड़ है और ये भारत में अपने संबंधित क्षेत्र में मतदान के पात्र हैं। सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय अमेरिका में रहते है। अमेरिका में विभिन्न प्रवासी समूहों में सबसे अधिक आय भारतीयों की है। भारतीय मूल के लोग अमेरिकी आबादी का एक प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं, वे संयुक्त राज्य अमेरिका के कर खजाने का 6 प्रतिशत हिस्सा हैं।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के कोने-कोने में भारतवंशी और प्रवासी भारतीयों की राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती ऊंचाइयां भारत के तेज विकास के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गई हैं। दुनिया के अनेक देशों में कई और भारतवंशी राजनेता अपने-अपने देशों को आगे बढ़ाते हुए विश्व के समक्ष भारत के चमकते हुए चेहरे हैं। साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं और हरसंभव तरीके से भारत के विकास में अपना अहम योगदान देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं, दुनिया के विभिन्न देशों में राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचने के साथ-साथ भारतवंशी व प्रवासी भारतीय वैश्विक, आर्थिक व वित्तीय संस्थानों आईटी, कंप्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में भी बहुत आगे हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों के लिए विदेशों की नई संस्कृति में ढलकर इस तरह की सफलता हासिल करना आसान नहीं होता है। ऐसे विभिन्न क्षेत्रों के चमकते सितारे अपनी चमक का लाभ मातृभूमि भारत के लिए भी विस्तारित कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न देशों में भारत को विकास की डगर पर आगे बढ़ाने के लिए भारत हितैषी संगठन काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष 2023 में भारत की जी-20 की अध्यक्षता और विगत 9-10 सितंबर को नयी दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘इंडियास्पोरा’ का अभूतपूर्व योगदान रहा है। इंडियास्पोरा भारत के विकास में अहम योगदान देने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में अमेरिका में स्थापित एक ऐसी गैर-लाभकारी संस्था है, जो करीब 20 देशों में सक्रिय रूप से मजबूती के साथ काम कर रही है। यह संगठन दुनियाभर के विभिन्न देशों के प्रवासी भारतीयों के लिए भी प्रेरणादायी बन गया है। इस संगठन का कहना है कि भारत सरकार द्वारा भारत के बढ़ाए गए गौरव और प्रवासी भारतीयों के लिए किए गए विशेष प्रयासों से भारतवंशियों तथा प्रवासियों का भारत के लिए सहयोग लगातार बढ़ा है। ऐसे में अब भारत के तेज विकास और भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के मद्देनजर भारतवंशियों व प्रवासियों द्वारा तन-मन-धन से आगे सहयोग करने के संकल्प के अभियान को ‘इंडियास्पोरा’ द्वारा दुनियाभर में आगे बढ़ाया जा रहा है।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।