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पीजीआई में ‘वर्ल्ड वॉयस डे’ पर गूंजा स्वास्थ्य का संदेश

03:09 PM Apr 13, 2025 IST
पीजीआई में ‘वर्ल्ड वॉयस डे’ पर गूंजा स्वास्थ्य का संदेश
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  • रॉक गार्डन से सुखना लेक तक वॉकाथॉन
  • नाटक से दी बीमारी की चेतावनी
  • हर दर्शक तक पहुंचा ‘स्वस्थ आवाज़’ का संदेश

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

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चंडीगढ़, 13 अप्रैल
वो आवाज़, जो हर सुबह हमें उठाती है, क्या हम कभी उसकी सेहत के बारे में सोचते हैं? पीजीआईएमईआर (PGIMER) ने 'वर्ल्ड वॉयस डे' के मौके पर इस महत्वपूर्ण लेकिन अनसुने पहलू को सामने लाया। शनिवार को ओटोलारिंजोलॉजी विभाग ने स्पीच और हियरिंग यूनिट के साथ मिलकर एक प्रभावशाली जागरूकता अभियान आयोजित किया, जिसमें वॉकाथॉन, साइक्लोथॉन, नुक्कड़ नाटक और जन-संवाद के ज़रिए ‘स्वस्थ आवाज़’ का संदेश दिया गया।

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स्वस्थ आवाज़ के लिए कदम और पैडल

रॉक गार्डन से शुरू हुआ यह उत्सव करीब 50 प्रतिभागियों के जोश के साथ साइक्लोथॉन और वॉकाथॉन के रूप में बढ़ता चला गया। जब यह कारवां सुखना लेक पहुंचा, तो राहगीरों ने उत्सुकता से इस पहल पर ध्यान दिया। यह यात्रा उस आवाज़ की थी, जो कभी बीमार होकर हमारी दुनिया से गुम हो जाती है, लेकिन अब हमें इसे संजोने की आवश्यकता है।

नाटक में बोले ‘अवाज़’ के दर्द

सुखना लेक पर छात्रों द्वारा प्रस्तुत एक संवेदनशील नुक्कड़ नाटक ने दर्शकों को झकझोर दिया। इस नाटक में वोकल नोड्यूल्स, प्यूबेरफोनिया और लारिंजियल कैंसर जैसी आवाज़ से जुड़ी बीमारियों के दर्द को प्रभावशाली तरीके से दर्शाया गया। यह नाटक केवल बीमारी के बारे में नहीं था, बल्कि इलाज और समाधान का संदेश भी दे रहा था।

जन-जन तक पहुंचा संदेश

नाटक के बाद विशेषज्ञों ने पेम्फलेट्स बांटे और जनता से संवाद किया, जिससे आवाज़ की समस्याओं और सही देखभाल के बारे में लोगों के मन में उठ रहे सवालों का समाधान मिला। इस दौरान हर मुस्कान, हर सवाल और हर 'धन्यवाद' से यह स्पष्ट हो गया कि अभियान का उद्देश्य सफल हो चुका है।

सिनेमाघरों तक पहुंचा अभियान

इस जागरूकता को और भी अधिक फैलाने के लिए चंडीगढ़ और मोहाली के सभी पीवीआर सिनेमाघरों में विशेष वीडियो चलाए जा रहे हैं। यह पहल दर्शाती है कि पीजीआई की मुहिम केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि यह हर नागरिक तक पहुंचने का प्रयास है।

विशेषज्ञों ने बताया क्यों है ये दिन खास

ईएनटी विभाग की प्रमुख डॉ. जयमंती ने कहा, “वर्ल्ड वॉयस डे एक चिकित्सकीय पहल नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का उत्सव है, जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आवाज़ भी देखभाल की हकदार है।” डॉ. बनुमती और डॉ. अनुराग ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को उनकी आवाज़ की अहमियत से रूबरू कराना है।

अब आवाज़ की जिम्मेदारी हम सबकी

यह कार्यक्रम सिर्फ एक दिन की घटना नहीं, बल्कि एक सोच थी। यह हमें यह समझाने आया कि हमारी आवाज़ सिर्फ संवाद का जरिया नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। गायक हों, शिक्षक हों, वक्ता हों या आम नागरिक—हर किसी के लिए आवाज़ की सेहत मायने रखती है।

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