निर्यात में विविधता से चुनौतियों का मुकाबला
हाल ही में 4 मई से सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। यह फैसला देश में प्याज के मौजूदा रबी पैदावार के अच्छे होने और बेहतर मानसून की वजह से इस वर्ष खरीफ के दौरान भी बढि़या पैदावार की संभावना को देखते हुए किया गया है। सरकार ने प्याज निर्यात की न्यूनतम कीमत 550 डॉलर प्रति टन तय की है और इस पर 40 फीसदी का निर्यात शुल्क भी लगेगा। इस फैसले की वजह से देश में प्याज की पैदावार करने वाले किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष दिसंबर, 2023 में केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 के खरीफ पैदावार की स्थिति को देखते हुए प्याज निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। इसका असर घरेलू बाजार में खास तौर पर दिखा है। इस दौरान देश में प्याज की कीमतें अमूमन स्थिर रही हैं। चूंकि वर्ष 2023-24 में 2.55 करोड़ टन प्याज उत्पादन की संभावना है। जो देश की मांग और निर्यात मांग को देखते हुए पर्याप्त है। अभी निर्यात प्रतिबंधित होने के बावजूद बांग्लादेश, भूटान, यूएई, श्रीलंका आदि को कुछ मात्रा में प्याज की आपूर्ति की गई है। निश्चित रूप से प्याज निर्यात से प्याज उत्पादक किसानों को लाभ होगा।
दरअसल, घटते हुए वैश्विक व्यापार और घटते हुए वैश्विक निर्यात के बीच भारत से निर्यात के सूझबूझपूर्ण निर्णय लिए जाने होंगे। यद्यपि भारत से पिछले कुछ वर्षों में लगातार रिकॉर्ड निर्यात हुए हैं, लेकिन अब भीषण होते हुए इस्राइल-ईरान टकराव से गहराती हुई नई वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच भारत को निर्यात बढ़ाने व आयात घटाने की विशेष रणनीति के साथ आगे आना होगा। खासतौर से हाल ही में 28 अप्रैल को प्रकाशित आर्थिक टैंक ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के वस्तु आयात में चीन की जो हिस्सेदारी बढ़कर 30 फीसदी के चिंताजनक स्तर पर पहुंचते हुए 101 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गई है, उसे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों से नियंत्रित करना होगा।
गौरतलब है कि हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से माल एवं सेवाओं का कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था। ऐसे में गत वित्त वर्ष में सेवा निर्यात 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 339.62 अरब डॉलर का रहा, जबकि वस्तु निर्यात 3.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 437.06 अरब डॉलर रहा। जहां पिछले वर्ष में कुल आयात 854.80 अरब डॉलर का रहा, वहीं वर्ष 22-23 में कुल आयात 898 अरब डॉलर मूल्य का रहा था। ऐसे में पिछले वर्ष आयात में कमी से कुल व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पिछले वर्ष में आयात में गिरावट की बड़ी वजह तेल का कम आयात था। कच्चे तेल की कीमतें कम रहने से बीते वर्ष में तेल के आयात पर करीब 16 फीसदी कम खर्च हुआ।
निश्चित रूप से बीते कुछ वर्षों में भारत के निर्यात का एक चमकदार पहलू सेवा निर्यात है। भारत डिजिटल माध्यम से मुहैया करायी गयी सेवाओं के निर्यात में वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है। डिजिटल माध्यम से सेवा निर्यात के तहत कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर शिक्षा, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, गेमिंग, मनोरंजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि के लिए दक्ष ऑपरेटर, कुशल प्रोग्रामर और कोडिंग विशेषज्ञ द्वारा दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं। भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) की तेजी से नई स्थापनाओं के कारण भी सेवा निर्यात बढ़ रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वर्ष 2015-16 से लगाकर वर्ष 2022-23 के बीच भारत में जीसीसी की संख्या 60 फीसदी बढ़कर 1,600 से अधिक हो गई है। विश्व व्यापार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल माध्यम से जुड़ी हुई सेवाओं के तेजी से बढ़ते निर्यात के कारण इस क्षेत्र में भारत जर्मनी और चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में अमेरिका, ब्रिटेन और आयरलैंड के बाद चौथे क्रम पर आ गया है।
इस समय भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों में अमेरिका, यूएई, यूरोपीयन यूनियन, ब्रिटेन, सिंगापुर, मलेशिया, बांग्लादेश, नीदरलैंड, चीन व जर्मनी शामिल हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत से दवाओं का निर्यात 2023-24 में 27.9 अरब डॉलर पहुंच गया है। 2022-23 के दौरान यह आंकड़ा 25.4 अरब डॉलर रहा था। सरकार द्वारा प्रमुख दवा सामग्री और जेनेरिक दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए जो दो उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं शुरू की गई हैं, उनका लाभ दवा निर्यात में मिलने लगा है। आईफोन के निर्यात में भी भारत उभरकर दिखाई दे रहा है। आईफोन निर्माता कंपनी एपल ने पिछले वर्ष में भारत से 10 अरब डॉलर के आईफोन का निर्यात किया, जो अभी तक का रिकॉर्ड है। कंपनी ने पीएलआई योजना के तहत पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में जो फोन बेचे, उनकी कीमत 2022-23 में बिके आईफोन की कीमत से दोगुनी करीब एक लाख करोड़ रुपये रही है। भारत में यह पहला मौका है, जब किसी कंपनी ने इतनी अधिक कीमत का अपना कोई उपभोक्ता उत्पाद निर्यात किया है। एपल दुनियाभर में वैल्यू चेन रखने वाली पहली ऐसी कंपनी है, जिसने भारत को घरेलू बाजार के बजाय निर्यात के लिए अपना केंद्र बना लिया है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि युद्धजनित आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत के लिए वैश्विक व्यापार और निर्यात बढ़ाने हेतु मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की अहमियत और बढ़ गई है। भारत ने अब तक तीन एफटीए किए हैं। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मई 2022 में लागू द्विपक्षीय कारोबार में पिछले दो वर्षों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। यूएई, भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य, तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और चौथा सबसे बड़ा निवेशक देश है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के साथ भी हुए एफटीए से भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा है। विगत 10 मार्च को भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) के बीच निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया गया एफटीए भी अत्यधिक उपयोगी है।
दुनिया में भू राजनीतिक मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं, उससे कच्चे तेल के दाम के साथ–साथ आपूर्ति संकट बढ़ने की चिंताएं मुंहबाएं खड़ी हैं। इससे भारत के वैश्विक व्यापार व निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में भारत को निर्यात बढ़ाने व चीन से आयात घटाने की नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। देश में उच्च ब्याज दरों और मांग में कमी के कारण निर्यात के मोर्चे पर जूझ रहे छोटे निर्यातकों को कम ब्याज दरों पर ऋण मुहैया कराने व बैंक को इसके बदले सरकार से मुआवजा दिए जाने के लिए लागू की गई इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम (आईईएस) की जो अवधि 30 जून, 2024 को समाप्त हो रही है, उसे एक वर्ष के लिए और आगे बढ़ाया जाना लाभप्रद होगा।
जिस तरह विकसित अर्थव्यवस्था वाले कई देश लम्बे समुद्री आवागमन से पहुंचने वाले दूरदराज के देशों की बजाय अपने तट के आसपास के देशों में कारोबार पर जोर दे रहे हैं, वैसी रणनीति पर भारत को भी ध्यान देना होगा। यद्यपि भारत को दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा निर्यात में तुलनात्मक रूप से बढ़त हासिल है लेकिन यह बात ध्यान में रखी जानी होगी कि अब सेवा निर्यात के क्षेत्र में भी लगातार प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में भारत से डिजिटल सेवा निर्यात में तेजी से वृद्धि के लिए सेवाओं की गुणवत्ता, दक्षता, उत्कृष्टता तथा सुरक्षा को लेकर और अधिक प्रयास करना होंगे।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।