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दवा नदारद बक्सा भारी, ऐसी रोडवेज की लारी

11:36 AM Jun 09, 2023 IST
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ललित शर्मा/हप्र

कैथल, 8 जून

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हरियाणा रोडवेज की अधिकतर बसों की हालत ठीक नहीं है। पुरानी की तो छोडि़ए साहब नई बसों में भी सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। कई बसों से तो फर्स्ट एड बॉक्स भी गायब है। रोडवेज की बसों में बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के अधिकारियों के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।

इससे कभी भी अपातकाल में रोडवेज की बसों में सफर कर रहे यात्रियों की जान मुसीबत में पड़ सकती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। रोडवेज बसों में यात्रियों की सुविधा, सुरक्षा के नाम पर सभी प्रकार के मानकों की अनदेखी की जा रही है। अधिकतर बसों से फस्ट एड बॉक्स भी नदारद हैं।

फर्स्ट एड बाक्सों की जब दैनिक ट्रिब्यून ने पड़ताल की तो ना केवल कैथल डिपो की बल्कि राज्य के अधिकतर जिलों के डिपों की बसों में गड़बड़ झाला मिला। कहीं एक्सपायर डेट की दवाइयंा है, कहीं दवाइयां नहीं नहीं, कहीं टूटे फूटे बाक्स है तो नई रोडवेज की बसों में अब तक फर्स्ट एड बाक्स रखे ही नहीं गए हैं। हैरान कर देने वाली तो यह कि रोडवेज की लारी में रखे फर्स्ट एड बाक्स में दवाइयां तो नहीं है लेकिन अापत्तिजनक सामग्री जरूर मिल जाती हैं।

ऐसा भी नहीं है कि यह समस्या केवल हरियाणा रोडवेज की प्राइवेट बसों में रखे फर्स्ट एड के बाक्स की दुदर्शा भी किसी से छीपी नहीं है। प्राइवेट बसों में बाक्स तो जरूर लगे हैं लेकिन किसी में एक्सपायर दवाइयां तो कोई खाली तो किसी में दिखावे के लिए रखी एक दो दवाई। मामूली तबीयत खराब होने से लेकर जख्मी होने की दशा में दी जाने वाली फर्स्ट एड सेवा हाशिये पर है। कई जगह बाक्स पर जमा धूल अरसे से उन्हें खोल तक न जाने की दुहाई दे रही है।

हरियाणा सरकार की राज्य परिवहन की बसों में लगाए गए फर्स्ट एड बॉक्स ने शायद ही किसी घायल को मरहम लगाई हो। वर्षों से बसों के ड्राइवर सीट के पास लगाए गए फर्स्ट एड बॉक्स दवाइयों के लिए तरस रहे हैं। कैथल डिपो की बात करें तो यह अब बसों की संख्या बढक़र 162 हो गई और 21 बसें और आने की उम्मीद है।

कभी अलाॅट नहीं हुआ

कैथल: कैथल डिपो जींद से कैथल चलने वाली बस में फर्स्ट एड बॉक्स ही गायब है। परिचालक सुनील से संवाददाता ने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें फर्स्ट एड बॉक्स अभी अलॉट ही नहीं हुआ है।

यार्ड मास्टर को करेंगे सूचित:

हिसार: हिसार डिपो की हांसी से चंडीगढ़ से चलने वाली बस में फस्ट एड बॉक्स के दर्शन नहीं हुए। चालक संदीप फर्स्ट एड बॉक्स से अनभिज्ञ थे। बात करने पर उन्होंने कहा कि वे इस बारे में डिपो पहुंचकर यार्ड मास्टर को सूचित करेंगे।

टूटा पड़ा है बॉक्स

सिरसा: सिरसा डिपो की सिरसा से हरिद्वार तक चलने वाली बस में फस्ट एड बॉक्स तो है लेकिन वह टूटा पड़ा है। बस में नाम का रखा फस्ट एड बॉक्स किसी के काम का नहीं है। चालक सुंदर सिंह कहते हैं कि इसे ठीक करवा लिया जाएगा।

कुरुक्षेत्र डिपो की कैथल से यमुनानगर चलने वाली बस से फस्ट एड बॉक्स नदारद था। चालक राकेश व परिचालक रविन्द्र से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बस में लंबे समय से फस्ट एड बॉक्स नहीं है। अगर विभाग लगाएगा तो उन्हें परेशानी नहीं है।

‘बैंग में रखी है 4-5 गोलियां’

पंचकूला: पंचकूला डिपो की भिवानी तक चलने वाली बस में फर्स्ट एड बॉक्स ही गायब है। चालक परिचालक से से काफी पूछताछ के बाद चालक पवन ने अपने बैग से चार पांच गोलियां पैरासिटामोल की निकाली। उन्होंने कहा कि ये गोलियां उन्होंने अपने पैसों से खरीद रखी है।

नयी बसों में नहीं लगाए फर्स्ट एड बॉक्स

कैथल: कैथल दिल्ली चलने वाली अधिकतर नई बसों में अभी तक फर्स्ट एड बॉक्स लगाए ही नहीं गए हैं। परिचालक राजबीर से बात की गई तो उन्होंने कह कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। विभाग बाक्स लगाएगा और हमें निर्देश देगा तो हम दवाइयां रख देंगे।

फर्स्ट एड बॉक्सेज़ में मिली आपत्तिजनक सामग्री

जींद : जींद डिपो की चंडीगढ़ से रोहतक चलने वाली बस के फर्स्ट एड बॉक्स के परखचे उड़े पड़े हैं। चालक के अपने पास एक प्लास्टिक का छोटा सा डिब्बा रख रहा है लेकिन उसमें रखी एक दो दवाई तो एक्पायर हो चुकी है। लेकिन डिब्बे में दवाई बेशक कम हो लेकिन इसमें आपत्तिजनक सामग्री आगे रखी है। चालक शमशेर ने बताया कि बाक्स तो टूटा पड़ा इसे बदल लेंगे। उन्हें यह मालूम नहीं है कि ये दवाइयां एक्पायर हो चुकी है।

जीएम बोले

रोडवेज जीएम अजय गर्ग ने कहा कि फर्स्ट एड बॉक्स बस के नाम से नहीं, संबंधित चालक को अलाट किया जाता है। उन्होंने 100 फर्स्ट एड बाक्स के लिए दवाइयां के आर्डर दिए हैं, बाकि आगे खरीदे जाएंगे। इसमें रूई, पट्टी, डिटोल, कोटन, पैनकीलर, कैंची, डिसप्रीन की गोली, गाज पीस आदि की सुविधा होगी।

‘मामला गंभीर’

हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के राज्य महासचिव सरबत पूनिया ने कहा कि यह उच्च अधिकारियों की लापरवाही है। यह यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। ये फारमेल्टी ना समझकर तुरंत प्रभाव से राज्यभर की बसों में स्थापित किया जाए और चालक परिचालकों को बकायदा इस बारे में प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।

हल्की चोट का इलाज नहीं बसों में अचानक ब्रेक लगने या झटका लगने से यात्री के चेहरे या शरीर में कहीं चोट आ जाए तो उसके लिए कोई प्रबंध नहीं है। कायदे से तो बस में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा होती है, लेकिन यहां तो फर्स्ट एड बॉक्स ही गायब है। यह बाक्स बसों में इसलिए रखा जाता है कि अगर कोई हादसा हो जाए तो प्रथम उपचार के बाद जख्मी को अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।

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