मारुति का खरखौदा प्लांट शुरू, पहली कार बनी ब्रेजा
हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 26 फरवरी
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने आईएमटी खरखौदा स्थित अपने नए प्लांट में 25 फरवरी से कार उत्पादन शुरू कर दिया है। इस बहुप्रतीक्षित संयंत्र की आधारशिला 28 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से रखी थी। अब इस प्लांट से पहली कार कंपैक्ट एसयूवी ब्रेजा का उत्पादन शुरू हो चुका है।
खरखौदा प्लांट के पूरी क्षमता से काम करने पर इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.5 लाख वाहनों तक होगी। इस नए संयंत्र के शुरू होने से हरियाणा में ऑटोमोबाइल उत्पादन को और मजबूती मिलेगी। मारुति के अन्य संयंत्रों को मिलाकर कंपनी की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता अब 26 लाख वाहनों तक पहुंच गई है।
स्थानीय रोजगार को मिलेगा बढ़ावा :
मारुति का यह नया प्लांट न केवल उत्पादन बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर हजारों कुशल और अर्धकुशल श्रमिकों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल से जुड़े सहायक उद्योगों को भी लाभ मिलेगा, जिससे क्षेत्र के आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
जमीन के दामों में उछाल
मारुति के आने के बाद खरखौदा में जमीनों के दामों में जबरदस्त उछाल आया है। प्लांट की आधारशिला रखे जाने के समय जहां प्रति एकड़ भूमि का भाव 1.5 से 2 करोड़ रुपये था, अब यह बढ़कर 5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कुछ प्राइम लोकेशन पर यह दर 8 से 10 करोड़ रुपये तक भी पहुंच गई है।
निवेश के बढ़ेंगे अवसर
मारुति के निवेश के बाद खरखौदा में औद्योगिक विकास के नए अवसर सामने आए हैं। अन्य औद्योगिक घराने भी अब यहां जमीन की तलाश में जुट गए हैं, जिससे रियल एस्टेट बाजार में तेजी आ रही है। मारुति के कर्मचारी भी व्यवसायिक और रिहायशी प्लॉटों की खरीद-फरोख्त में रुचि दिखा रहे हैं।
और प्लांट लगेंगे
मारुति के साथ-साथ सुजुकी और यूनो मिंडा जैसी कंपनियां भी खरखौदा में अपने प्लांट स्थापित कर रही हैं, जिससे औद्योगिक विकास और रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं।
बेहतर होगी परिवहन सुविधा
मारुति प्लांट के पास से गुजरने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे, एनएच-334बी और आर्बिटल रेल कॉरिडोर की सुविधा होने के कारण कच्चा माल लाने और तैयार कारों को देशभर में भेजने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
किराए से बढ़ेगी आय
मारुति के आने से खरखौदा में किराये का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी के बड़े अधिकारी सोनीपत और गुरुग्राम के पॉश इलाकों में रह रहे हैं, जबकि श्रमिक वर्ग स्थानीय स्तर पर कमरे किराए पर लेकर रह रहे हैं, जिससे स्थायी आय के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।