मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

मजहब की दीवार तोड़... पूजे जाते हैं शहीद

11:38 AM Aug 14, 2022 IST
Advertisement

सुरेंद्र मेहता/हप्र

यमुनानगर, 13 अगस्त

Advertisement

हरियाणा व उत्तर प्रदेश के बीच यमुना नदी के किनारे बसा एक ऐसा गांव जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई प्रतिदिन जाकर शीश नवाते हैं। गांव का नाम है गुमथला राव। यहां इबादत के स्वर नहीं सुनाई देते, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों की याद में इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगते हैं। यहां एक इंकलाब मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर का हर दिन एक उत्सव है। क्योंकि कभी भारत माता दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा कभी दुर्गा भाभी, राजगुरु, शहीद सुखदेव, शहीदे आजम भगत सिंह, लाला लाजपत राय, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, भीम राव अम्बेडकर, अशफाक उल्ला खान का जन्मदिन या पुण्यतिथि पर उत्सव मनाया जाता है। यहां ग्रामीणों के साथ-साथ राहगीरों और देश-प्रदेश के लोग शीश नवाते हैं।

क्रांतिकारियों, वीरांगनाओं की प्रतिमाएं और पोर्ट्रेट इस इंकलाब मंदिर की शोभा बढ़ा रहे हैं। इंकलाब मंदिर के संस्थापक एडवोकेट वरयाम सिंह दावा करते हैं कि ऐसा मंदिर पूरे देश में नहीं है। यहां होने वाले कार्यक्रमों में इंकलाब मंदिर की टीम के साथ-साथ क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति पहुंचते हैं तथा स्कूलों के बच्चे भी बढ़-चढ़कर कार्यक्रम में भाग लेते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 मैं स्थापित इस मंदिर में जहां केवल एक ही प्रतिमा थी वहीं अब कई प्रतिमाएं लग चुकी हैं ।

शहीदों की याद में स्थापित भारतवर्ष के इकलौते इंकलाब मंदिर में जहां आमजन शहीदों की प्रतिमाओं के समक्ष शीश नवाने पहुंचते हैं वहीं शहीदों के परिजन भी यहां आते हैं। शहीद मंगल पांडे के वंशज देवीदयाल पांडे व शीतल पांडे भी यहां आयोजित कार्यक्रमों में शिरकत कर चुके हैं। खेल मंत्री संदीप सिंह, आरएसएस के इंद्रेश कुमार, पूर्व राज्य मंत्री करण देव कंबोज, फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य आर मोहम्मद, पूर्व संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा, यमुनानगर के उपायुक्त रहे रोहताश सिंह खर्ब भी यहां शीश नवाने आए। यहां बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे भी आते हैं। यहां उन्हें क्रांतिकारियों के बारे में काफी जानकारी मिलती है। संस्थापक को यह कष्ट है कि अनेक क्रांतिकारियों को अब तक शहीद का दर्जा नहीं दिया गया।

Advertisement
Advertisement