समुद्री परिवहन सुरक्षा
ऐसे वक्त में जब इस्राइल-हमास संघर्ष की तपिश समुद्री परिवहन को अपनी चपेट में लेने लगी है, भारतीय रक्षामंत्री का सख्त बयान आश्वस्त करने वाला है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापारिक जहाजों को धमकी देने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि भारतीय समुद्री जहाजों की सुरक्षा को चुनौती देने वालों को वह सबक सिखाएगा। निस्संदेह, यह इस दिशा में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को ही उजागर करता है। दरअसल, भारत हिंद महासागर क्षेत्र में एक सुरक्षा प्रदाता की भूमिका का भी निर्वहन करता है। साथ ही भारत सुनिश्चित करेगा कि समुद्री व्यापार सुगम व सुरक्षित हो सके। वहीं लाल सागर में लगातार बढ़ते तनाव के अरब सागर तक पहुंचने की आशंका को देखते हुए भारत नौसेना हाई अलर्ट पर है। भारत ने अपने व्यापारिक जहाजों को हूती आतंकवादियों से उत्पन्न खतरे से बचाने के लिये चार युद्धपोतों को समुद्र में उतार दिया है। ये युद्धपोत अरब सागर के एक बड़े समुद्री इलाके की निगरानी करेंगे। इनकी निगरानी के दायरे में अदन की खाड़ी का वह क्षेत्र भी शामिल है, जहां से हूती आतंकवादी अंतर्राष्ट्रीय समुद्र नौवहन को चुनौती देते रहते हैं। इसके अलावा उन्नत एयरक्राफ्ट पहले से इलाके की निगरानी कर रहे हैं। ये हवाई जहाज उन्नत तकनीक व यंत्रों के जरिये समुद्री गतिविधियों की निगरानी करके सुरक्षा प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे। दरअसल, ईरान समर्थित हूती लड़ाके लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को ड्रोन व मिसाइलों से हमले का शिकार बना रहे हैं। उनकी दलील है कि गाजा पर बमबारी रोकने के लिए इस्राइल से जुड़े जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है। बीते सप्ताह अरब सागर से मंगलुरु जाने वाले एमवी चेम प्लूटो और लाल सागर में सऊदी अरब से आ रहे क्रूड ऑयल कैरियर एमवी साईं बाबा पर हमले को भारत ने बड़ी गंभीरता से लिया है। निस्संदेह, गुजरात तट से दो सौ समुद्री मील दूर प्लूटो पर हुआ हमला भारतीय नौसेना के लिये एक चुनौती जैसा था।
दरअसल, इस हमले के बाद सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिये नौसेना ने समुद्री सुरक्षा से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से तालमेल बनाना जरूरी समझा। भारत की इस प्रतिक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी शामिल है क्योंकि भारत हिंद महासागर में सामान्य नौवहन सुनिश्चित करता है। दरअसल, जैसे-जैसे समुद्री सीमाओं पर चुनौतियां बढ़ रही हैं, भारत अपनी तैयारियों को तेज कर रहा है। हाल में उन्नत विध्वंसक मिसाइलों से लैस आईएनएस इम्फाल का जलावतरण इसी कड़ी का विस्तार है। यह भी नौसेना द्वारा विकसित व डिजाइन किये गए युद्धपोतों में शुमार है। वहीं अरब सागर में उतारे गये चार युद्धपोत अदन की खाड़ी में निगरानी करेंगे ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिवहन सुचारु रूप से संचालित हो सके। भारत का यह कदम जहां अपने हितों की रक्षा करने का है, वहीं क्षेत्र में एक बड़ा राष्ट्र होने के नाते उसे अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना है। लेकिन इसके साथ ही भारत लाल सागर में अमेरिकी नेतृत्व में तैनात उन युद्धपोतों के समूह से अलग है जो लाल सागर में इस्राइली हितों के संरक्षण के लिये जमा हैं। दरअसल, भारत की प्राथमिकता इस बात को लेकर है कि इस मार्ग से होने वाला उसका अधिकांश कारोबार और अस्सी फीसदी कच्चा तेल व गैस सुरक्षित भारत पहुंच सके। इसके अलावा भारत की जवाबदेही जहाजों की आवाजाही सुनिश्चित करने की अंतर्राष्ट्रीय बाध्यताओं की वजह से भी है। ऐसे वक्त में जब हूती विद्रोही लाल सागर में सौ से अधिक हमले करके एक दर्जन समुद्री जहाजों को क्षति पहुंचा चुके हैं, भारत की सजगता व सक्रियता स्वाभाविक है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इस्राइल व हमास का संघर्ष अब पश्चिमी एशिया से बाहर तक प्रभाव डालने लगा है। यही वजह है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देते हुए सऊदी अरब के प्रिंस से संवाद स्थापित किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नये साल में गाजापट्टी में स्थायी युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त होगा, ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिवहन सुचारु रूप से जारी रह सके।