करनाल के रण में उतरने वाले मनोहर लाल हैं तीसरे पूर्व सीएम
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
करनाल, 4 अप्रैल
करनाल संसदीय सीट पर इस बार पूरे देश की नजरें हैं। यह प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन चुकी है। लगातार करीब साढ़े नौ वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल इस बार करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कर्ण की नगरी – करनाल में यह तीसरा मौका है – जब पूर्व मुख्यमंत्री यहां से चुनावी रण में हैं। उनसे पहले प्रदेश के पहले सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा और उनके बाद पूर्व सीएम चौ. भजनलाल भी करनाल से सांसद रहे चुके हैं।
करनाल पर इसलिए भी इस बार हरियाणा व अन्य राज्यों की नजरें टिकी हैं, क्योंकि सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल – दोनों ही इस बार चुनाव लड़ रहे हैं। मनोहर लाल को भाजपा ने संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा है, वहीं सीएम नायब सिंह सैनी, मनोहर के इस्तीफे के बाद खाली हुई करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कह सकते हैं कि इस बार कर्ण की नगरी में मनोहर लाल, नायब सैनी के चुनावी रथ के सारथी होंगे। बेशक, करनाल संसदीय सीट पर सबसे अधिक नौ बार कांग्रेस चुनाव जीती है, लेकिन यहां भाजपा का भी प्रभाव रहा है।
एक रोचक पहलू यह भी है कि करनाल से लगातार चार बार सांसद बनने का रिकार्ड आज तक भी पंडित चिरंजीलाल शर्मा के नाम दर्ज है। चिरंजी लाल शर्मा पहली बार 1980 में करनाल से सांसद बने। इसके बाद उन्होंने 1984, 1989 और 1991 में भी करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वहीं उनके पुत्र और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा 2019 के चुनावों में कांग्रेस टिकट पर भाजपा के संजय भाटिया के हाथों साढ़े 6 लाख से भी अधिक मतों के अंतर से चुनाव हारे। मनोहर लाल ने पहली बार 2014 में करनाल से विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस क्षेत्र के लोगों ने उनकी सादगी, स्पष्टवादिता और बेदाग छवि को अपनाया और अच्छे मार्जन से जीत दिलवाई। चुनावी नतीजों के बाद उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। 2019 में भी मनोहर लाल ने लगातार दूसरी बार करनाल से जीत दर्ज की। 12 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पद और 13 मार्च को करनाल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
इसके तुरंत बाद भाजपा ने उन्हें करनाल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। करीब साढ़े नौ वर्षों के कार्यकाल के दौरान मनोहर लाल अकेले करनाल नहीं बल्कि प्रदेशभर में अपनी अलग छवि बनाने में कामयाब रहे। प्रदेश में भाजपा के वे बड़े चेहरे बन गए। इससे भी बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री पद छोड़ने और किसी नये को मौका देने की पेशकश भाजपा नेतृत्व के सामने उन्होंने साल-डेढ़ साल पहले ही कर दी थी। आमतौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद नेता इसे छोड़कर राजी नहीं होते लेकिन मनोहर लाल ने इसकी मिसाल कायम करते हुए एक झटके में पद को छोड़ दिया।
विपक्ष के योद्धाओं का इंतजार : भाजपा द्वारा करनाल में हेवीवेट प्रत्याशी मनोहर लाल को टिकट दिए जाने के बाद विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। मुख्य विपक्षी दल – कांग्रेस अपने उम्मीदवार ही तय नहीं कर पा रही है। मनोहर लाल को चुनौती देने के लिए कांग्रेस जातिगत समीकरण साधने की जुगत में है, लेकिन कोई मजबूत चेहरा अभी तक मिला नहीं है। वहीं साढ़े चार वर्षों से भाजपा के साथ गठबंधन सहयोगी रही जननायक जनता पार्टी भी उम्मीदवार उतारने का ऐलान तो कर चुकी है, लेकिन अभी तक चेहरे पर निर्णय नहीं हो पाया है। इनेलो के साथ भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।
1977 में पंडित भगवत दयाल बने थे सांसद
1977 में पूर्व मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा करनाल से सांसद बने थे। उन्होंने लोकदल की टिकट पर चुनाव जीता था। उनके बाद भूतपूर्व सीएम चौ. भजनलाल ने 1998 में कांग्रेस टिकट पर करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि भजनलाल एक बार करनाल से चुनाव हारे भी। अब मनोहर लाल तीसरे पूर्व मुख्यमंत्री हैं जो करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
यह अपनी तरह का पहला उदाहरण
बिना विधायक रहे मुख्यमंत्री और मंत्री बनने के प्रदेश में कई उदाहरण हैं, लेकिन एक ही जगह से मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने का पूरे प्रदेश में यह पहला उदाहरण है। पूर्व सीएम मनोहर लाल करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं उनकी जगह खाली हुए करनाल हलके में हो रहे उपचुनाव में सीएम नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ेंगे। मनोहर लाल और नायब सैनी के बीच बरसों पुराने रिश्ते हैं। नायब सैनी, मनोहर लाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। मनोहर लाल की सिफारिश पर ही भाजपा नेतृत्व ने नायब सैनी के हाथों में प्रदेश की कमान सौंपी है। ऐसे में अब नायब सैनी के चुनाव में मनोहर लाल ही सारथी के तौर पर अहम भूमिका निभाएंगे। महाभारत में जिस तरह से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उसी प्रकार नायब सैनी पूर्व सीएम मनोहर लाल से सलाह लेकर उनकी नीतियों को आगे बढ़ाने का प्रण ले चुके हैं।
मनोहर लाल को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
सीएम पद से मनोहर लाल ने जिस दिन इस्तीफा दिया था, उसी दिन यह तय हो गया था कि भाजपा नेतृत्व उन्हें अब केंद्र में बड़ा काम देने की तैयारी में है। करनाल संसदीय क्षेत्र के लोगों में भी इसकी चर्चा है। शायद, यही कारण हैं कि मनोहर लाल के प्रति लोगों का लगाव कम होता नजर नहीं आ रहा है। उनके बिना मुख्यमंत्री हुए भी लोगों का उनसे मिलना लगातार जारी है। बृहस्पतिवार को पूरा दिन करनाल स्थित भाजपा कार्यालय में मौजूद रहे। इस दौरान बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों के लोगों ने उनसे मुलाकात की। बड़ी बात यह है कि लोगों ने खुद ही उनका चुनाव संभाला हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मनोहर लाल की पुरानी और घनिष्ठ दोस्ती भी लोगों के बीच चर्चाओं का विषय है। ऐसे में विपक्षी दलों को पूरी रणनीति के साथ मनोहर लाल को घेरने का प्लान बनाना होगा।
मनोहर लाल को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
सीएम पद से मनोहर लाल ने जिस दिन इस्तीफा दिया था, उसी दिन यह तय हो गया था कि भाजपा नेतृत्व उन्हें अब केंद्र में बड़ा काम देने की तैयारी में है। करनाल संसदीय क्षेत्र के लोगों में भी इसकी चर्चा है। शायद, यही कारण हैं कि मनोहर लाल के प्रति लोगों का लगाव कम होता नजर नहीं आ रहा है। उनके बिना मुख्यमंत्री हुए भी लोगों का उनसे मिलना लगातार जारी है। बृहस्पतिवार को पूरा दिन करनाल स्थित भाजपा कार्यालय में मौजूद रहे। इस दौरान बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों के लोगों ने उनसे मुलाकात की। बड़ी बात यह है कि लोगों ने खुद ही उनका चुनाव संभाला हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मनोहर लाल की पुरानी और घनिष्ठ दोस्ती भी लोगों के बीच चर्चाओं का विषय है। ऐसे में विपक्षी दलों को पूरी रणनीति के साथ मनोहर लाल को घेरने का प्लान बनाना होगा।
कब कौन रहा सांसद
- 1952 सुभद्रा जोशी
- 1962 रामेश्वरानंद
- 1967 एम. राम
- 1971 माधो राम
- 1977 पं. भगवत दयाल शर्मा
- 1980 पंडित चिरंजी लाल
- 1984 पंडित चिरंजी लाल
- 1989 पंडित चिरंजी लाल
- 1991 पंडित चिरंजी लाल
- 1996 ईश्वर दयाल स्वामी
- 1998 चौ. भजन लाल
- 1999 आईडी स्वामी
- 2004 डॉ. अरविंद शर्मा
- 2009 डॉ. अरविंद शर्मा
- 2014 अश्विनी कुमार चोपड़ा
- n 2019 संजय भाटिया