Manmohan Singh Memorial Row : निगमबोध घाट पर मनमोहन के अंतिम संस्कार से भड़के Navjot Sidhu, वीडियो शेयर कर कही ये बात
चंडीगढ़, 28 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Manmohan Singh Memorial Row : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को निगम बोध घाट पर किया गया। इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई राजनेताओं ने इसे पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रति सम्मान की परंपरा का उल्लंघन बताया है। वहीं इस विवाद में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री भी हो गई है। दरअसल, सिद्धू ने इस मामले को लेकर एक्स पर एक वीडियो शेयर की है।
उन्होंने कहा कि मैं एक प्रधानमंत्री के सम्मान की बात कर रहा हूं। आज सबसे बड़ी ताकत दुनिया में नैतिकता, ईमानदारी और किरदार की है। आज समाज में एक चरित्र संकट है। लोगों में विश्वास नहीं है, लेकिन सभी को इस आदमी पर विश्वास था। यह आदमी एक संस्था थी, संस्था है और रहेगी पीढ़ी दर पीढ़ी। संस्था हमारी यादों में रहती है। ऐसे आदमी के लिए राजघाट का स्थान न देकर उन्हें इज्जत नहीं दी गई। जिसने भी ऐसा किया उसने अपनी बेइज्जती करवाई है।
By honouring Sardar Manmohan Singh with a memorial and funeral service at Raj Ghat , the government would have gained respect, by belittling an institution like him they’ve lost face !!! pic.twitter.com/IYF4I85LsY
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) December 28, 2024
मनमोहन सर्वोच्च सम्मान और समाधि स्थल के हकदार
इससे पहले राहुल गांधी ने कहा कि, भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार ने उनका अपमान किया गया है। एक दशक के लिए वह भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनके दौर में देश आर्थिक महाशक्ति बना और उनकी नीतियां आज भी देश के गरीब और पिछड़े वर्गों का सहारा हैं। डॉ. मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान और समाधि स्थल के हकदार हैं।
इंद्रप्रस्थ के राजा युधिष्ठिर ने की थी स्थापना
बता दें कि, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार के स्थान के रूप में चर्चा में रहा निगमबोध घाट, यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो न केवल दिल्ली का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और व्यस्ततम श्मशान घाट है, बल्कि पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए भी पसंदीदा स्थल है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना इंद्रप्रस्थ के राजा युधिष्ठिर ने की थी।