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Manmohan Singh: अमर्त्य सेन बोले- शानदार अर्थशास्त्री थे मनमोहन सिंह, जिन्होंने सहिष्णु और दुनिया की जरूरत को समझा

11:03 AM Feb 15, 2025 IST
RIP Manmohan Singh

शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल), 15 फरवरी (भाषा)

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Manmohan Singh: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सराहना करते हुए कहा कि वह एक ‘‘अच्छे राजनीतिक नेता'' और ‘‘शानदार अर्थशास्त्री'' थे जिन्होंने सहिष्णु और एकजुट दुनिया की जरूरत को समझा।

कैम्ब्रिज में साथ बिताए समय से ही लगभग सात दशक तक सिंह के करीबी मित्र रहे प्रख्यात बुद्धिजीवी सेन ने ‘वज्रच्छेदिका प्रज्ञापारमिता' सूत्र में दिए गौतम बुद्ध के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए भी सिंह की प्रशंसा की। इस सूत्र में मनुष्यों द्वारा विभिन्न धर्मों के अस्तित्व को पहचानने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

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सेन ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में अपने पैतृक निवास पर ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘मनमोहन एक बेहतरीन व्यक्ति, अच्छे राजनीतिक नेता और शानदार अर्थशास्त्री थे।''

अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘उन्होंने गौतम बुद्ध के ‘वज्रच्छेदिका प्रज्ञापारमिता' सूत्र के संदेश को समझा कि यह महत्वपूर्ण है कि मनुष्य विभिन्न धर्मों के अस्तित्व को पहचाने। आप किसी विशेष धर्म का समर्थन कर सकते हैं लेकिन आपको अन्य धर्मों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।''

‘वज्रच्छेदिका प्रज्ञापारमिता सूत्र' महायान (बौद्ध धर्म की दो प्राथमिक शाखाओं में से एक) बौद्ध धर्मग्रंथ है, जो प्रज्ञापारमिता (ज्ञान की पूर्णता) सूत्रों की शैली से लिया गया है। इस सूत्र में गौतम बुद्ध द्वारा एक भिक्षु सुभूति को दिया गया प्रवचन शामिल है।

सेन ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' में पूर्व प्रधानमंत्री के सहकर्मी भी थे। उन्होंने सिंह के साथ अपने लंबे विचार-विमर्श को याद किया तथा ‘‘अन्य धर्मों और समुदायों के लोगों के प्रति सम्मान'' के बुद्ध के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए उनकी सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मनमोहन उस (वज्रच्छेदिका प्रज्ञापारमिता में गौतम बुद्ध के) संदेश को बहुत अच्छी तरह से समझते थे। जब हम साथ में पढ़ते थे और उसके बाद भी जब वह ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' में मेरे सहकर्मी थे, तब मेरी उनसे लंबी बातचीत हुई थी।''

सेन ने कहा, ‘‘हालांकि मनमोहन एक सिख थे और यह पहचान उनके लिए महत्वपूर्ण थी लेकिन उन्होंने अन्य धर्मों और समुदायों के लोगों के प्रति सम्मान के गौतम बुद्ध के संदेश को आगे बढ़ाया।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मनमोहन बहुत पसंद थे और इसका कारण केवल यह नहीं था कि वह मेरे मित्र थे।''

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