मणिपुर : जांच ‘सुस्त’ और ‘बहुत ही लचर’
नयी दिल्ली, 1 अगस्त (एजेंसी)
मणिपुर की स्थिति से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि वहां पर कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। अदालत ने राज्य पुलिस द्वारा हिंसा के मामलों की जांच को भी ‘सुस्त' और ‘बहुत ही लचर' करार दिया।
जातीय हिंसा से निपटने में एजेंसियों के तौर तरीके की आलोचना करते हुए न्यायालय ने कहा कि पुलिस ने कानून व्यवस्था पर से नियंत्रण खो दिया है। अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि सोमवार को जब मणिपुर से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होे तब वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाले वीडियो को ‘बहुत परेशान' करने वाला बताया। साथ ही पीठ ने सरकार से घटना, मामले में ‘जीरो एफआईआर' और नियमित प्राथमिकी की तारीख बताने को कहा।
शीर्ष अदालत ने पूछा कि अब तक दर्ज करीब 6000 प्राथमिकियों में कितने लोगों को नामजद किया गया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए। पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘ जांच बहुत ही सुस्त है, प्राथमिकियां बहुत देरी से दर्ज की गईं और गिरफ्तारियां नहीं की गईं, बयान दर्ज नहीं किये गये ...राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।' पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई।'
सुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं। केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि पुलिस ने वीडियो मामले में एक नाबालिग समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। राज्य पुलिस ने वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किये। इससे पहले, आज न्यायालय ने सीबीआई को मणिपुर में पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने इन महिलाओं को आज बयान दर्ज कराने को कहा था।