मेमोग्राम से उपचार में होगी आसानी
अंतरा पटेल
इस महिला दिवस पर क्या प्रोग्राम है? लेखिका ने अपनी दोस्त से सवाल किया था, ‘मुझे एक बस्ती में जाकर मेमोग्राम कराने के प्रति महिलाओं को जाग्रत करना है’, उसने जवाब दिया। फिर सवाल उभरा- महिला दिवस जश्न मनाने के लिए होता है या बीमारी से बचाने का प्रचार करने के लिए? लेकिन दोस्त का तर्क स्पष्ट था, ‘महिलाएं अगर स्वस्थ नहीं होंगीं तो फिर महिला दिवस किस काम का? इसलिए 40 बरस से ऊपर की हर महिला को मेमोग्राम के लिए साइन करना चाहिए ताकि वह कैंसर से सुरक्षित रहे।’ ये बातें वह अपने अनुभव से बोल रही थी। बात 2018 की है- वह दुबई में अपने दोस्तों के साथ अपना 42वां जन्मदिन मना रही थी,एकदम फिट और खुश; क्योंकि उसके रुटीन टेस्ट नार्मल आये थे। लेकिन जब उसने अपना मेमोग्राम कराया तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके सोनोलोजिस्ट ने दावे से कहा था कि जो छोटी सी गांठ उसके सीने में दाहिनी तरफ है, वह कैंसर की गांठ है।
यूं पकड़ी समाधान की राह
यह सुनते ही उसका मन किया था कि वह सोनोलोजिस्ट से मिलकर गुस्सा जाहिर करे, क्योंकि उसने तो ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था, ‘क्या सोनोलोजिस्ट इसी तरह से अपने रोगियों को डराते हैं?’ उसने सोचा था। उसे सोनोलोजिस्ट पर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन किस्मत से उसके साथ जो उसकी दोस्त थी, वह उसे पास के कमरे में ले गई, उसका गुस्सा शांत किया और इस संकट से निकलने का रास्ता सुझाया। उस शांति के पल ने उसके जीवन को नई दिशा दी क्योंकि उसने इस मुसीबत से लड़ने का पक्का मन बनाया। वह न केवल तीन सर्जरी, 30 कीमोथेरेपी, हर 2 थेरेपी और रेडियोथेरेपी से सफलतापूर्वक गुजरी बल्कि वह बीमा कंपनी से एक जीवन-रक्षक दवा का 50 प्रतिशत रीइम्बरस कराने में भी कामयाब रही। तब उसे अहसास हुआ था कि समय रहते स्क्रीनिंग और दवाओं का मिलना अति महत्वपूर्ण है। साथ ही वे अब महिला दिवस सहित अन्य अवसरों पर जगह-जगह जाकर वह महिलाओं को मेमोग्राम कराने के लिए प्रेरित करती हैं।
शुरुआती संकेतों की अनदेखी
भारत में महिलाओं में जो कुल कैंसर होते हैं उनमें से 28 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर होते हैं। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के ग्लोबल ब्रेस्ट कैंसर इनिशिएटिव का उद्देश्य इस समस्या से हेल्थ प्रमोशन, जल्द डायग्नोसिस और विस्तृत प्रबंधन तकनीकों के जरिये निपटने का है। लेकिन अफसोस यह है कि जागरूकता में वृद्धि के बावजूद अब भी महिलाएं डायग्नोसिस के लिए बहुत देर से पहुंचती हैं। अनहोनी के डर के कारण अधिकतर महिलाएं अपनी गांठ को अनदेखा करती रहती हैं। यह सबसे बड़ा कारण है कि उन्हें समय पर स्क्रीनिंग व उपचार नहीं मिल पाता है। भारत में 40 साल से ऊपर की 30 से 40 प्रतिशत महिलाओं पर ब्रेस्ट कैंसर का खतरा मंडराता रहता है। साथ ही 90 प्रतिशत ऐसे मामले पारिवारिक इतिहास से जुड़े हुए नहीं होते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी का कहना है कि अगर शुरुआती स्टेज में डायग्नोज हो जाये तो बचने की दर 99 प्रतिशत रहती है। मेरी दोस्त को आक्रामक तीसरे ग्रेड का एचईआर यानी हर 2 पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोज हुआ था। सभी ब्रेस्ट कैंसर में हर 2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर होने का प्रतिशत 20 से 25 रहता है। कुछ हर 2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर रोगियों को ईआर (एस्ट्रोजन रिसेप्टर) व पीआर (प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर) पॉजिटिविटी भी हो जाती है । अगर कैंसर कोशिका ईआर पॉजिटिव है तो इसका अर्थ है कि वह एस्ट्रोजन से ग्रो करने का सिग्नल हासिल कर सकती है।
कैंसर के टाइप के मुताबिक इलाज
अगर कैंसर कोशिका पीआर पॉजिटिव है तो सिगनल प्रोजेस्टेरोन हॉरमोन से आता है। यह तीन प्रकार की पॉजिटिविटी प्रभावी टारगेट थेरेपी के अनेक विकल्प खोलती है। इस प्रकार के रोग के उपचार में अब जबरदस्त सुधार आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रिपल-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर अब उन ब्रेस्ट कैंसरों में है, जिसका इलाज आसानी से संभव है, विशेषकर इसलिए कि टार्गेटेड ड्रग्स इस पर बहुत अच्छा काम करती हैं। हर महिला में ब्रेस्ट कैंसर अलग प्रकार का होता है और उपचार योजना उसी विशिष्ट जरूरत के अनुसार बनायी जाती है। इसलिए बेहतर है कि मेडिकल ओंकोलोजिस्ट की टीम से कंसल्ट किया जाये ताकि संयुक्त निर्णय से प्रभावी इलाज योजना रोगी की जरूरत के हिसाब से तैयार की जा सके। जागरूकता में योगदान देने वाली एक्टिविस्ट जरूरतमंद रोगियों की मदद करने के साथ ही महिलाओं को याद दिलाती हैं कि वह अपनी स्क्रीनिंग को मिस न करें। अगर पिछली बार आप क्लीन निकली थीं तो इसका यह मतलब नहीं है कि बढ़ती आयु के साथ आपके टिश्यू नार्मल ही रहेंगे। अमेरिकी ट्रायल्स के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर से मौतों में 33 प्रतिशत की कमी आयी उन 40 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में जो स्क्रीनिंग के लिए नियमित मेमोग्राम कराती रहीं। वैसे तो सबसे अच्छी दवा यह है कि आप हमेशा सकारात्मक रहें।’
-इ.रि.सें.