क्यारी की सही तैयारी से बगिया करें गुलजार
अनु आर.
जलवायु परिवर्तन के कारण इस साल नवंबर माह की शुरुआत के बाद भी देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी गुलाबी सर्दियां ही आयी हैं। मतलब साफ है कि मौसम में गर्मी का असर लंबा हो चला है। बहरहाल एक बार जब सर्दियां शुरू हो ही गई हैं तो अब ठंड तो शुरू होगी ही। नवंबर का ये महीना किचन गार्डेन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। इस माह में किचन गार्डेन में जो सब्जियां उगायी जाती हैं, वे अगले साल जनवरी से लेकर मार्च, अप्रैल तक खायी जाती हैं, इसलिए किचन गार्डेन के लिए यह उर्वर समय होता है। तो जानिये इस मौसम में किचन गार्डेन में कौन सी सब्जियां बोएं व रोपें।
इन दिनों बोएं-रोपें ये सब्जियां
अगर आपके घर में 15x10 या 10x10 फीट जमीन में किचन गार्डेन है तो यकीन मानें आप खुशकिस्मत हैं बल्कि सही अर्थों में धनवान भी। इसलिए इस 100 या 150 स्क्वायर फीट के किचन गार्डेन का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए इन महीनों में आप फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, पालक, धनिया, चुकंदर, शलगम, मेथी और मटर आदि बो या रोप सकती हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि आप इन सब सब्जियों को बोएं बल्कि अपनी प्राथमिकता और उपलब्ध जमीन को ध्यान रखकर ही सब्जियां उगाना तय करें। क्योंकि नवंबर की शुरुआत में गुलाबी ठंड शुरू होने के बाद तेजी से मौसम बदलता है और ऊपर जिन सब्जियों का जिक्र है,उनका इस ठंड के मौसम में बेहतर विकास होता है। लेकिन उसके पहले आपको कुछ करना होगा।
क्यारी की तैयारी
अगर आप नगर-महानगर में रह रही हैं और 100 या 150 स्क्वायर फीट जमीन में आपके पास गार्डेन है तो निश्चित रूप से आप खास हैं और इसका फायदा आपको मिलना ही चाहिए, तो नवंबर के पहले सप्ताह में किचन गार्डेन की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार कर लें। ऐसा करने के लिए इसमें जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट मिलाएं ताकि पौधों को शुरू से ही पर्याप्त एनर्जी हासिल हो सके। इस माह के शुरू में भले लगे कि अभी तो ठंड शुरू हो रही है, लेकिन कई बार एक झटके में ही नवंबर के पहले हफ्ते के बाद उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है। इसलिए अपने किचन गार्डेन के पौधों को पाला और सर्दी के प्रकोप से बचाने के लिए पुआल आदि से बोई गई सब्जियों के बीजों या अंखुवाये पौधों को ढककर रखें।
सिंचाई और धूप
इस दौरान प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग न करें जैसे- नीम का तेल, अदरक-लहसुन का अर्क आदि। इसके साथ ही ठंड में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, इसलिए शुरू-शुरू में उग रहे पौधों की सिंचाई बड़ी सावधानी से करें, उसमें पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए। सूरज की रोशनी किचन गार्डेन को पर्याप्त रूप से मिले, यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वास्तव में ठंड के मौसम में पौधों के पोषण के लिए सूर्य का प्रकाश बाकी किसी भी चीज के मुकाबले कहीं ज्यादा जरूरी होता है।
मिट्टी पर दें खास ध्यान
नवंबर में जब अपनी किचन गार्डेन में आप नये पौधों को बोएं या उनकी नर्सरी लगाएं, उसके पहले जरूरी है कि आप अपनी किचन गार्डेन की मिट्टी को पौधों के बेहतर विकास के लिए तैयार करें। दरअसल बुआई के पहले किचन गार्डेन की मिट्टी की अच्छी तरह से तैयारी करना जरूरी होता है जैसे- सबसे पहले मिट्टी को अच्छी तरह से पलटकर मुलायम और हवादार बना दें। यह जड़ों के विकास के लिए जरूरी है। फिर खाद डाल दें, मिट्टी में जैविक खाद मिला देने से लगाये, उगे पौधों को भरपूर उर्वरता मिलती है।
पीएच स्तर भी जानें
लगाये गये या उगाये गये पौधों का पीएच स्तर भी जानना जरूरी होता है। अगर हम उगाये गये पौधों के हिसाब से मिट्टी के पीएच मान को मेंटेन करते हैं तो पौधे तेजी से बढ़ते हैं और खूब स्वस्थ फल देते हैं। सब्जियों के मामले में भी यह मौसम बहुत अनुकूल है। ब्रोकली के अलावा पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, मेथी और सरसों, गाजर, मूली और चुकंदर भी इस मौसम की सब्जियों में शुमार होते हैं। ये सब्जियां दिसंबर और उसके अंत में भरपूर रूप से मिलती हैं। इसलिए सर्दियां गहराएं इसके पहले ही अपने किचन गार्डेन में पौधों की स्थितियां और उनके विकास का सही तौर तरीका जान लेना चाहिए। -इ.रि.सें.