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फिर खाली रह गयी जिला महेन्द्रगढ़ की झोली, पड़ोसी जिले को मिली चौधर

08:45 AM Jun 06, 2024 IST
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असीम यादव/हप्र
नारनौल, 5 जून
वर्ष 1957 के आम चुनाव से वर्ष 2024 के चुनाव तक महेन्द्रगढ़ लोकसभा हलका तो रहा है मगर एक बार को छोड़कर यहां से सांसद दूसरे जिलों के लोग ही बनते रहे हैं। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की लहर में जीते मनोहरलाल सैनी एकमात्र सांसद थे जो महेन्द्रगढ़ जिले के निवासी थे अन्यथा इस सीट पर रेवाड़ी व भिवानी जिले के लोगों का ही कब्जा रहा है।
2009 के लोकसभा चुनाव से पूर्व हुए परिसीमन में इस सीट का नाम बदलकर भिवानी-महेन्द्रगढ़ कर में दिया गया और इसमें से गुड़गांव, रेवाड़ी जिलों को हटाकर भिवानी और दादरी को जोड़ दिया गया। लेकिन भिवानी के साथ जुड़ जाने से हुआ सिर्फ यह की जो चौधर पहले रेवाड़ी को मिलती थी वो अब भिवानी चली गई। क्योंकि उस चुनाव में यहां से कांग्रेस की श्रुति चौधरी सांसद चुनी गई थीं जो भिवानी जिले की निवासी हैं। हालांकि सांसद बनने के बाद उन्होंने नारनौल में घर बनाकर स्वयं को नारनौल का निवासी साबित करने का प्रयास किया लेकिन स्थाई निवासी वो भिवानी की ही रही। उसके बाद लगातार 2014, 2019 और 2024 में चुनाव जीते भाजपा के धर्मबीर सिंह भी भिवानी के ही निवासी हैं।
ऐसा नहीं है कि जिला महेन्द्रगढ़ के लोगों ने चौधर लाने का प्रयास नहीं किया। 2009 में हजकां से राव नरेंद्र सिंह, 2014 में इनेलो से राव बहादुर सिंह और 2024 में कांग्रेस से राव दानसिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत की दहलीज पर आकर अटक गए। इनमें से राव बहादुर सिंह और राव दानसिंह को दादरी और भिवानी ने तो अच्छा समर्थन दिया लेकिन जिला महेन्द्रगढ़ के मतदाताओं द्वारा हाथ खींच लेने के कारण ये सफल नही हो पाए। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की लहर में जीते मनोहर लाल सैनी हो एकमात्र अपवाद हैं जो रेवाड़ी के राव बीरेंद्र सिंह को हराकर सांसद बने थे। जो महेन्द्रगढ़ जिले के निवासी थे अन्यथा इस सीट पर रेवाड़ी व भिवानी जिले के लोगों का ही कब्जा रहा है।

मनोहरलाल सैनी ने दिलवाई चौधर

महेन्द्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से 1962 और 1967 में हुए पहले दो चुनाव रेवाड़ी निवासी कांग्रेस के राव गजराज सिंह ने जीते। 1971 का लोकसभा चुनाव विशाल हरियाणा पार्टी के राव बिरेन्द्र सिंह ने जीता जो रेवाड़ी जिले के थे। आपातकाल के बाद जब 1977 में लोकसभा चुनाव हुआ तो जनता पार्टी ने नारनौल के मनोहरलाल सैनी को टिकट दिया और उन्होंने अहीरवाल के दिग्गज माने जाने वाले राव बिरेन्द्र सिंह को मात देकर पहली बार महेन्द्रगढ़ जिले को चौधर दिलवाई। 1980 के चुनाव में राव बिरेन्द्र सिंह इंदिरा काग्रेस के से टिकट पर मैदान में उतरे और सांसद बने। 1984 में राव बिरेन्द्र सिंह कांग्रेस के और 1989 में जनता दल के टिकट पर सांसद बने। 1991 में रेवाड़ी की ही रहने वाले कर्नल रामसिंह कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंचे तो 1996 में भांजपा के टिकट पर। 1998 में राव बीरेंद्र सिंह के बेटे और रेवाड़ी निवासी राव इन्द्रजीत सिंह कांग्रेस और 1999 में रेवाड़ी की ही निवासी सुधा यादव भाजपा की टिकट पर संसद पहुंचे। 2004 में फिर राव इन्द्रजीत सिंह कांग्रेस टिकट पर सांसद चुने गये। परिसीमन के बाद 2009 में चौ. बंसीलाल की पौत्री और भिवानी निवासी श्रुति चौधरी कांग्रेस की टिकट पर संसद पहुंची। इसके बाद 2014 से लेकर 2024 तक भिवानी निवासी धर्मवीर सिंह भाजपा के टिकट पर संसद पहुंचे।

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