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महापंचायत आज, किसान ले सकते हैं बड़ा फैसला!

08:39 AM Apr 11, 2024 IST
महापंचायत आज  किसान ले सकते हैं बड़ा फैसला
लघु सचिवालय परिसर में बुधवार को मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपते किसान। -हप्र
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सोनीपत, 10 अप्रैल (हप्र)
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गांव नाहरा के खेतों से बिजली की हाईटेंशन लाइन के एवज में मार्केट रेट पर मुआवजे की मांग को लेकर धरनारत किसानों को समर्थन देने की घोषणा की है। इस मामले को लेकर 11 अप्रैल को धरनास्थल पर बुलायी गयी महापंचायत मेंं भी एसकेएम के नेता शामिल होंगे। एसकेएम ने कहा कि सरकार की जोर जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जायेगी और किसानों को पूरा मुआवजा देना ही पड़ेगा।
बता दें कि दिल्ली-हरियाणा के औचंदी बॉर्डर के समीपवर्ती गांव नाहरा के किसान उनके खेतों में बिना मुआवजा दिए बिजली की हाईटेंशन लाइन लगाने का कई महीनों से विरोध कर रहे हैं। दहिया चौबीसा नाहरा ने तो भाजपा व अन्य राजनीतिक दलों की चुनावों के दौरान गांवों में ‘नो एंट्री’ तक की घोषणा कर रखी है।
एसकेएम का कहना है कि इस मामले को कई अवसरों पर पुलिस और किसानें के बीच टकराव के हालात पैदा हो चुके हैं जिसके बाद अनेक किसानों की गिरफ्तारी की गयी थी। इन सबके विरोध में किसानों की मांगों को लेकर 11 फरवरी, 2024 को नाहरा में एक किसान महापंचायत हुई थी जिसमें भारतीय किसान यूनियन की ओर से एसकेएम के राकेश टिकैत व युद्धवीर सिंह समेत विभिन्न संगठनों के नेता भी शामिल हुए थे। इसी क्रम में 30 मार्च, 2024 को नाहरा में पंचायत हुई थी जिसमें 16 नामजद किसानों समेत सैकड़ों किसानों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर का विरोध किया गया था। एसकेएम ने कहा कि सरकार व प्रशासन के रवैये के विरोध में 11 अप्रैल को नाहरा में किसानों द्वारा बुलायी गयी महापंचायत में उनके नेता भी शामिल होंगे।
दूसरी ओर किसानों ने पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक लघु सचिवालय पहुंचकर डीसी मनोज कुमार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद किसान रविंद्र व सितेंद्र ने कहा कि उन्हें बताया गया था कि 16 अप्रैल को सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी किसानों से बातचीत करेंगे और सरकार के सामने पक्ष रखेंगे। वहीं किसानों का कहना था कि 16 तारीख तक पोल का काम रोक दिया जाए, लेकिन कार्य रोकने पर कोई भी सहमति नहीं बनी। उधर, डीसी मनोज कुमार ने बताया कि किसानों को मिलने के लिए बुलाया गया था। मुआवजा राशि को लेकर कुछ मतभेद है। किसानों से लिखित में देने की बात कही गई है। किसानों की बात को सरकार तक भेज दिया गया है।

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