किसानों की महापंचायत 15 को, होगा आरपार के संघर्ष का ऐलान
गुरुग्राम, 7 अक्तूबर (हप्र)
1128 एकड़ जमीन के अधिग्रहण पर ब्याज की मांग को लेकर पिछले 6 माह से चल रहा किसानों का धरना अब आरपार की दिशा में चल पड़ा है। अपनी मांग को मनवाने के लिए 15 अक्तूबर को एक महापंचायत का ऐलान कर संघर्ष का नया रूप घोषित करने की घोषणा की है।
औद्योगिक गांव मानेसर में एचएसआईआईडीसी कार्यालय पर चल रहे धरने पर बैठे किसानों में निराशा व्याप्त हो रही है। भाजपा के सांसद, विधायक सहित सभी लोग आश्वासन देने के बाद उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि लगभग 12 साल पहले 1128 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था और उस समय जो मुआवजा घोषित किया गया था, उसे किसानों ने नहीं लिया तथा वह कोर्ट में चले गए। अब कोर्ट से उनकी हार हो गई है तो सरकार ने उन्हें वही 12 साल पुराना मुआवजा जो आज के भाव की तुलना में आटे में नमक के बराबर है दिया है। उनकी मांग है कि सरकार उन्हें अब जमीन ले रही है तो अब का मुआवजा दे, पुराने भाव पर उन्हें मल्टीपल कर ब्याज दे।
किसान संघर्ष समिति के युवा नेता हेमराज यादव का कहना है कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक रहा है लेकिन अपने नेताओं से हमें यह उम्मीद नहीं थी कि वह हमारा चेहरा देखने की बजाय मुंह फेर लेंगे।
हमारी समस्या जायज है और हम सरकार से नाजायज मांग नहीं कर रहे हैं। पहले भी सरकार ने किसानों की मांगे पूरी की है। इस बार ऐसा क्यों हो रहा है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही।
‘सरकार की मंशा मेें कोई फर्क नहीं’
भाजपा विधायक सत्यप्रकाश जरावता का कहना है कि सरकार हर व्यक्ति की मांग पर पॉजिटिव सोचती है। इस इलाके में खासतौर पर कुछ साल पहले पुरानी सरकारों के अटके हुए कई मामले मुख्यमंत्री ने अपनी सकारात्मक सोच के कारण ही निपटाकर उन्हें भारी राहत दी है। हर बार कोई न कोई नया मामला आता है, उसका समाधान किया जाता है। इसका भी समाधान खोजा जा रहा है। सरकार की मंशा में कोई फर्क नहीं है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार ही फैसले होते हैं। किसानों को भरोसा करना चाहिए।