Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में लगे आस्था के 84 स्तंभ से प्राप्त होगा मोक्ष, जानिए इसकी पौराणिक कहानी
चंडीगढ़, 4 जनवरी (ट्रिन्यू)
Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारी जारी है। 12 साल बाद लग रहे इस मेले के लिए प्रशासन द्वारा कई कार्य किए जा रहे हैं। मेले में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
भक्तों का मानना है कि कुंभ मेले के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है, पापों का प्रायश्चित होता है और मोक्ष या मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी के चलते मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सड़क पर 84 स्तंभ लगाए जा रहा है।
स्तंभ पर लिखे गए भगवान शिव के नाम
लाल बलुआ पत्थरों से बने इन स्तंभों को ‘आस्था के स्तंभ’ नाम दिया गया है, जिनपर भगवान शिव के 108 नाम लिखे गए हैं। इसके अलावा हर स्तंभ के ऊपर सनातन का प्रतीक कलश भी लगाए गए है। ऐसा कहा जा रहा है कि इन स्तंभों का निर्माण राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में किया गया है, जिनमें करीब 20 लाख की लागत आई है।
4 हिस्सों में लग रहे हैं स्तंभ
ये 84 स्तंभ चार हिस्सों में लगाए गए है। ऐसे में प्रत्येक हिस्से में 21 स्तंभ होंगे। ये स्तंभ सनातन धर्म के चार वेद, चार आश्रम, चार वर्ण और चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्तंभ लगाने वाली एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक, इन स्तंभों की परिक्रमा करने से 84 लाख योनियों का सफर पूरा करने की अनुभूति होगी। साथ ही इससे सनातन धर्म की गूढ़ शिक्षाओं का भी ज्ञान होगा।
महाकुंभ में मिलेगा मोक्ष
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह चक्र 21 लाख की चार श्रेणियों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में विभाजित है। इसी प्रकार आत्मा मानव शरीर में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने आती है, जिसके लिए उन्हें ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास से गुजरना पड़ता है। ऐसे में ये स्तंभ आत्मा को भरोसा देते हैं कि शिवकृपा से मुक्त होकर अपने परम गति को प्राप्त होंगे।
गौरतलब है कि महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की हिंदू पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसे दूध के सागर का मंथन कहा जाता है। अमरता के अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरी, जिनमें प्रयागराज भी शामिल है। यहहां 2025 का कुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा।