मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Mahakumbh 2025 : 108 बार डुबकी, भूखे पेट तपस्या… नागा साधु बनने के लिए हजारों लोगों ने ने दिया आवेदन

03:24 PM Jan 19, 2025 IST

महाकुंभ नगर, 19 जनवरी (भाषा)

Advertisement

Mahakumbh 2025 : सनातन धर्म की रक्षा के लिए हजारों लोगों ने नागा साधु के तौर पर दीक्षा लेने के लिए अखाड़ों में आवेदन किया है और तीन स्तरों पर इन आवेदनों की जांच कर दीक्षा देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। निरंजनी अखाड़ा के महंत रवींद्र पुरी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि निरंजनी में प्रथम चरण में 300-400 लोगों को नागा संन्यासी के तौर पर दीक्षा दी जा रही है और 13 अखाड़ों में सात शैव अखाड़े हैं, जिनमें से छह अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जाती है।

उन्होंने बताया कि इनमें निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी, अटल, जूना और आह्वान अखाड़ों में नागा साधु बनाए जाते हैं जबकि अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी होते हैं, वहां नागा नहीं बनाए जाते हैं। शंकराचार्य ने नागा साधु बनाने की जो परंपरा डाली थी, वह संन्यासी अखाड़ों के लिए है। जूना अखाड़ा के महामंत्री हरि गिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़े में नागा साधुओं को दीक्षा के लिए जगह का अभाव है, इसलिए कई चरणों में इन्हें नागा साधु की दीक्षा दी जाएगी और हजारों की संख्या में नागा साधु के लिए आवेदन आए हैं।

Advertisement

महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुनापुरी महाराज ने बताया कि महानिर्वाणी में 300-350 लोगों को नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है जिसके लिए पहले से काफी लोगों के आवेदन आए थे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि विभिन्न अखाड़ों में नागा साधु के तौर पर दीक्षा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने आवेदन कर रखा है जो सनातन धर्म के लिए अपना सब कुछ बलिदान करके नागा साधु बनना चाहते हैं।

एक आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर ने बताया कि पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और पर्चियां जारी की जा रही हैं, साथ ही गोपनीय ढंग से आवेदकों के साक्षात्कार लिए जा रहे हैं, सभी पात्रता पूरी करने वाले लोगों को ही नागा साधु के तौर पर दीक्षा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के किनारे नागा साधुओं के संस्कार किए जा रहे हैं, इसमें मुंडन संस्कार और पिंडदान शामिल है, ये संन्यासी अपना स्वयं का पिंडदान कर यह घोषणा करते हैं कि उनका भौतिक दुनिया से अब कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने कहा कि इन सभी अनुष्ठान के बाद मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के साथ नागा साधु बनने की प्रक्रिया पूरी होती है। महामंडलेश्वर ने बताया कि ये सभी लोग धर्म ध्वजा के नीचे नग्नावस्था में खड़े होंगे और आचार्य महामंडलेश्वर उन्हें नागा बनने की दीक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि सभापति उन्हें अखाड़े के नियम आदि बताएंगे और उन्हें नियमों का पालन करने की शपथ दिलाएंगे, यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद हर किसी को अमृत स्नान के लिए भेजा जाएगा। एक अन्य अखाड़े के महंत ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हर उम्मीदवार को नागा साधु बनाया जाएगा क्योंकि जांच के दौरान कई लोग अपात्र पाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि तीन चरणों में आवेदनों की जांच की गई और यह प्रक्रिया छह महीने पहले शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि अखाड़ा के थानापति ने उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और गतिविधियों की जांच की और इसकी रिपोर्ट आचार्य महामंडलेश्वर को दी गई और आचार्य महामंडलेश्वर ने अखाड़े के पंचों से पुनः इसकी जांच कराई जिसके बाद ही नागा साधु बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

कैसे बनते हैं नागा साधु?

बता दें कि प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है। नागा साधु बनने के लिए 24 घंटे बिना भोजन-पानी के तप करना पड़ता है, जिसके बाद उन्हें गंगा घाट पर ले जाया जाता है। इसके बाद गंगा में 108 बार डुबकी लगानी पड़ती है और फिर विजय हवन किया जाता है। फिर सुबह लंगोट खोलकर उन्हें नागा बना दिया जाता है। हालांकि उनको वस्त्र यानि दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाता है।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune newsEkta Ka MahakumbhHindi Newslatest newsMahakumbh 2025Mahakumbh MelaMahakumbh WebsitePrayagraj MahakumbhPrayagraj Mahakumbh 2025uttar PradeshYogi Governmentदैनिक ट्रिब्यून न्यूजमहाकुंभ 2025महाकुंभ मेलाहिंदी न्यूज

Related News