मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Maha Kumbh 2025 : पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरुआत, कठिन होते हैं नियम...मिलता है ये फल

08:11 PM Jan 13, 2025 IST

महाकुंभ नगर, 13 जनवरी (भाषा)।

Advertisement

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही महाकुंभ और ‘कल्पवास' की शुरुआत हो गई। भारत की सांस्कृतिक विविधता में आध्यात्मिक एकता का मनोरम दृश्य संगम तट पर देखने को मिल रहा है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आस्था की डोर में बंधे त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने करोड़ों की संख्या में आ रहे हैं।

संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत
पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार श्रद्धालुओं ने संगम तट पर केला, तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की। तीर्थराज प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास करने का विधान है, महाकुंभ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसलिए इस वर्ष अनुमान के मुताबिक 10 लाख से अधिक लोग संगम तट पर पूरे एक माह का कल्पवास करेंगे। कल्पवास के विधान और महत्व के बारे में तीर्थ पुरोहित श्याम सुंदर पाण्डेय कहते हैं कि कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है कि एक कल्प अर्थात एक निश्चित समयावधि में संगम तट पर निवास करना।

Advertisement

विशेष फलदायी व मोक्षदायक माना गया है कल्पवास
पौराणिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करने का विधान है। श्रद्धालु अपनी शारीरिक और मानसिक स्थित के अनुरूप तीन दिन, पांच दिन, ग्यारह दिन आदि का संकल्प लेकर भी कल्पवास करते हैं। कल्पवास करने वाले साधक बारह वर्ष लगातार कल्पवास कर महाकुंभ के अवसर पर इसका उद्यापन करते हैं, जो कि शास्त्रों में विशेष फलदायी और मोक्षदायक माना गया है। कल्पवास को हमारे शास्त्रों और पुराणों में मानव की आध्यात्मिक उन्नति का श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है। वस्तुतः कल्पवास को सनातन परंपरा के अनुसार वानप्रस्थ आश्रम से संन्यास आश्रम में प्रवेश का द्वार माना गया है। एक माह संगम या गंगा तट पर विधिपूर्वक कल्पवास करने से मानव का आंतरिक एवं बाह्य कायाकल्प होता है।

पद्म पुराण में भगवान दत्तात्रेय ने कल्पवास के 21 नियमों का उल्लेख किया है, जिसका पालन कल्पवासी संयम के साथ करते हैं। जिनमें से तीनों काल गंगा स्नान करना, दिन में एक समय फलाहार या सादा भोजन ही करना, मद्य,मांस,मदिरा आदि किसी भी प्रकार के दुर्व्यसनों का पूर्णतः त्याग करना, झूठ नहीं बोलना,अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, दयाभाव और ब्रह्मचर्य का पालन करना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना,स्नान, दान, जप, सत्संग, संकीर्तन, भूमि शयन और श्रद्धापूर्वक देव पूजन करना शामिल है।

शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान कर, भगवान शालिग्राम और तुलसी की स्थापना कर, उनका पूजन किया। सभी कल्पवासियों को उनके तीर्थपुरोहितों ने पूजन करवा कर हाथ में गंगा जल और कुशा लेकर कल्पवास का संकल्प करवाया। इसके साथ ही कल्पवासियों ने अपने टेंट के पास विधिपूर्वक जौ और केला का पौधा भी रोपा। सनातन परंपरा में केले के पौधे को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। कल्पवासी पूरे माघ मास केला और तुलसी का पूजन करेंगे।

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune newsHindi NewsKalpavaslatest newsMaha KumbhMaha Kumbh 2025Maha Kumbh NewsMaha Kumbh PicsMaha Kumbh PicturesMahabharataMauni AmavasyaPrayagrajPrayagraj Newsकल्पवासदैनिक ट्रिब्यून न्यूजमहाकुंभ 2025महाकुंभ का नजारामहाकुंभ की तस्वीरेंमहाकुंभ मेलामहाकुंभ समाचारमहाभारतमौनी अमावस्याहिंदी न्यूज