पत्रिकाएं मिलीं
अरुण नैथानी
रचना सरोकारों का सेतु
डॉ. देवेंद्र गुप्ता द्वारा सीमित-संसाधनों में डेढ़ दशक से अधिक समय से साहित्य, संस्कृति एवं कला की पत्रिका ‘सेतु’ का संपादन सचमुच ऋषिकर्म जैसा है। महंगाई में बिना शासकीय-संबल के पथ कठिन हैं। अंक में आलोचना के संकट से जूझते हिंदी साहित्य में आलोचना पर गंभीर विमर्श पेश किया है डॉ.गुप्ता ने। गंभीर टिप्पणियां मैनेजर पांडेय को श्रद्धांजलि देती हैं। डॉ. सूरज पालीवाल का साक्षात्कार, प्रेमचंद का प्रायोजन, रंगकर्म का संकट, कहानी आदि अंक के आकर्षण हैं।
सृजन की शीतल बयार
साहित्य की शीतलता और जीवन की जीवंतता का मंच सरीखी पत्रिका शीतल वाणी के समीक्ष्य अंक में जहां केदारनाथ सिंह, साहिर लुधियानवी, उदय प्रकाश, हरिवंशराय बच्चन आदि का भावपूर्ण स्मरण है, वहीं हिंदी के हक में बुलंद आवाज भी। संपादक वीरेन्द्र आजम ने हिंदी विरोध की मानसिकता से ग्रस्त राजनीति को बेनकाब किया है, वहीं नेपाल की पथरीली राहों में हिंदी की संघर्ष यात्रा का सारगर्भित विश्लेषण शामिल है। साथ में सृजन के सभी स्थायी स्तंभ।
शोध-सृजन की अलख
यूं तो शोध, सृजन एवं समीक्षा को समर्पित त्रैमासिक पत्रिका अलख धीर-गंभीर विषयों के प्रकाशन के लिये जानी जाती है, लेकिन समीक्ष्य अंक में विश्वव्यापी पर्यावरण संकट की चिंता भी शामिल हुई है। संपादकीय इस बात पर बल देता है कि पर्यावरण हमारी दैनिक चिंता में शामिल होना चाहिए।‘समाज को आईना दिखाता प्रेमचंद का साहित्य’ लेख के अलावा संवाद, प्रसंग, किताब नामा, पड़ताल, यात्रा लोक, विचार वृत्त उपशीर्षकों में पठनीय सामग्री ‘तरकश’ में संकलित है।
अविस्मरणीय यादों का कृष्णांक
यूं तो शुभ तारिका के लिये यह एक उपलब्धि है कि पत्रिका नियमित अंक 51 के शुभ अंक वर्ष में प्रवेश कर गई है। लेकिन महत्वपूर्ण यह कि इस अभियान के संस्थापक डॉ. महाराज कृष्ण जैन के अविस्मरणीय योगदान के स्मरण का विशिष्ट 22वां विशेषांक है। लेखकों, पाठकों व रचनाकारों ने उनका भावपूर्ण स्मरण किया है। अंक में संपादक, महाराज कृष्ण की ऊर्जा स्रोत व संपादक उर्मि कृष्ण का संपादकीय उनके साहित्यिक अवदान का जीवंत चित्र उकेरते हुए भावविभोर कर देता है।
हरियाणवी रचनाकर्म की सुगंध
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की साहित्यिक मासिकी हरिगंधा जयंती प्रसंग में उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद का भावपूर्ण स्मरण करती है। उनके रचनाकर्म का मंथन करती है। गोदान का दौर, ऐतिहासिक विरासत की अमूल्य सम्पदा को संजोए हरियाणा के विभिन्न श्रेष्ठ संग्रहालय, बीसवीं सदी हिंदी उपन्यास का स्वर्णिम काल व हरियाणवी कहानी आदि अंक की पठनीय रचनाएं हैं। साथ ही अंक में कहानी, हास्य व्यंग्य, संस्मरण, लघुकथाएं, काव्य की विभिन्न विधाएं अंक की श्रीवृद्धि करती हैं।