प्राणायाम व खानपान से स्वस्थ रहेंगे फेफड़े
प्रदूषण, ठंडी हवाओं व वायरस आदि का असर सीधे तौर पर हमारे शरीर के सांस लेने वाले तंत्र पर पड़ता है जिसमें फेफड़े यानी लंग्स खास तौर से शामिल हैं। ऐसे में शरीर की ओवरऑल इम्यूनिटी के साथ-साथ अपने फेफड़ों की इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए भी कुछ खास उपाय करने चाहिए। ऐसे में बेहतर है कि व्यायाम, परहेज के साथ ही कुछ औषधियों का भी सेवन करें।
शिखर चंद जैन
मौसमी बदलावों का असर रोगों से लड़ने की हमारी क्षमता पर भी पड़ा है। खासकर ठंड में खांसी, जुकाम आदि से श्वास संबंधी रोग सिर उठाते ही हैं। ऐसे में हमें ओवरऑल इम्यूनिटी के साथ-साथ अपने फेफड़ों की इम्यूनिटी के लिए भी कुछ उपाय अपनाने चाहिए। वहीं कुछ सावधानियां बरतकर भी हम रोग मुक्त जीवन जी सकते हैं। इनमें व्यायाम, परहेज व कुछ औषधियों का सेवन लाभकारी है।
इन्फ्लेमेटरी फूड्स को ना
इन्फ्लेमेटरी फूड आंतरिक अंगों जैसे लिवर, किडनी ,लंग्स,हार्ट आदि को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही इनके सेवन से शरीर की इम्यूनिटी भी कमजोर होती है। इसलिए चीनी, ट्रांसफैट, अल्कोहल एवं अन्य नुकसानदायक फूड के सेवन से बचें।
इम्यूनिटी बढ़ाने को लंबे समय तक आंवला जैसे गुणकारी फलों का सेवन लाभकारी हो सकता है। हालांकि डॉक्टरी सलाह से ही सेवन हितकर है।
प्राणायाम
प्राणायाम में तमाम तरह की ब्रीदिंग एक्सरसाइज होती हैं। ये फेफड़ों की शक्ति बढ़ाने और उनका परिशोधन करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं। नियमित तौर पर अभ्यास किया जाये तो इनसे मानसिक सेहत-शांति मिलती है और शारीरिक सेहत तो दुरुस्त रहती ही है।
सप्लीमेंट की मदद
जैसे हम इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए फूड सप्लीमेंट लेते हैं ठीक उसी प्रकार लंग्स की इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए डॉक्टर की सलाह से एसिटील सिस्टीन सप्लीमेंट ले सकते हैं। कोविड-19 जैसे रोगों से रिकवरी के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसमें एक महत्वपूर्ण अमीनो एसिड होता है जो फेफड़ों में इकट्ठा म्यूकस को बाहर निकालने में मददगार है।
प्रदूषण से बचाव
बेहतर होगा कि सर्दियों में सुबह सड़क के किनारे या प्रदूषित जगहों पर मॉर्निंग वॉक नहीं करें। घर में एक्सरसाइज करना बेहतर है। आपको किसी प्रकार की तकलीफ हो तो किसी सूरत में बाहर जाने से बचें।
मास्क का उपयोग
मास्क आपको कई तरह से प्रोटेक्ट करता है। यह न सिर्फ आपकी रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट में वायरस जाने से रोकता है बल्कि तमाम धूल मिट्टी आदि से भी रक्षा करता है।
स्मोकिंग से दूरी
प्रदूषण या किसी भी प्रकार का जहरीला धुआं फेफड़ों और श्वसन प्रणाली पर अटैक करता है। अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो आपको खतरा बड़ा हो सकता है। बेहतर होगा कि धूम्रपान को तुरंत छोड़ दें और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।
फेफड़ों की दोस्त इलायची
बहुत कम लोगों को पता होगा कि इलायची हमारे फेफड़ों की बेस्ट फ्रेंड है। जाने-माने न्यूट्रीशनिस्ट ल्यूक कोटिन्हो कहते हैं कि वर्तमान समय में जबकि पॉल्यूशन की समस्या विकराल रूप ले चुकी है ,ऐसे में हमें रोजाना इलायची का सेवन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। हमारे पुरखे और आयुर्वेद के जानकार वर्षों से सर्दी-जुकाम के इलाज के लिए भी इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। दरअसल, इलायची में सीनेओल नामक तत्व होता है जो एंटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक होता है। यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया की रोकथाम में सक्षम है। विशेष रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस,न्यूमोनिया आदि में फायदेमंद होती है।
बाजारू क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से बचें
घर की साफ-सफाई के लिए केमिकल युक्त क्लीनिंग स्प्रे का इस्तेमाल करने से फेफड़ों पर उतना ही बुरा प्रभाव पड़ सकता है जितना 20 सिगरेट पीने से पड़ता है। यह मानना है नॉर्वे की बर्गन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का जिन्होंने 20 वर्षों तक 6000 लोगों की सेहत और आदतों पर अध्ययन किया। इस शोधकर्ताओं का मानना है कि क्लीनिंग स्प्रे में मौजूद कैमिकल फेफड़ों की लाइनिंग वाली नाजुक म्यूकस मेम्ब्रेन को इरिटेट और फिर धीरे-धीरे डैमेज कर देते हैं।
- जनरल फिजिशियन डॉ. एलसी राठी से बातचीत पर आधारित।