For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

निष्ठा का पैमाना और टिकट पाना

07:24 AM Mar 13, 2024 IST
निष्ठा का पैमाना और टिकट पाना
Advertisement

केदार शर्मा ‘निरीह’

उनको पूरी उम्मीद थी कि इस बार चुनाव में टिकट उनको ही मिलेगा। पिछले पांच साल से वे खोद रहे थे पहाड़, पर यह सोचा भी नहीं था कि टिकट की जगह निकलेगी एक अदद चुहिया के साथ कंटीले झाड़। पर्व, वार-त्योहार हो या जन्मदिन, हर चौराहे और चौपाल पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स में ऊपर मुस्कुराते हुए लहराते थे उनके हाथ, कभी राजधानी में, कभी रैली में और कभी महासभाओं में नज़र आते थे आलाकमान के साथ। इसी समाज सेवा के बहाने अखबारों में उनके समाचार और फोटो समय-बेसमय छाते थे।
जब चुनाव नजदीक आए तो अपने समर्थक रिश्तेेदारों, भाई-भतीजा सहित दिल्ली में डेरा डाल दिया। एड़ी से लेकर चोटी तक की सिफारिश लगायी, पर नतीजे ने वही दिया-ढाक का तीन पात। माना कि वे पिछली बार चुनाव हार गए थे। परंतु हार ही तो जीत का पहला कदम है। बकौल कवि नीरज के कुछ मुखड़ों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है। कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। माना कि उनकी आयु अस्सी से ऊपर हो गई है। अभी तक पूरी तरह‍ से सक्रिय हैं।
हाय! उनको टिकट नहीं मिला। इस बार भी उनका चेहरा नहीं खिला। बस अब यही है उनको गिला। उनकी इस पार्टी के प्रति निष्ठा बस यहीं तक थी। यहीं तक का था साथ उनका और इनका, पति-पत्नी की तरह कोई जन्म-जन्म का तो था नहीं। वे बाकी उम्मीदवारों से किस बात में कम हैं, उनके पैसों में दम है। तभी तो राजनीति में आए हैं। न जाने कितनी संस्थाओं के वे साए हैं ये उनमें और वे इनमें छाए हैं। जब कभी तबादलों का आता है सीजन उनके घर पर मेला-सा लगा रहता है हर दिन। भाग्यशाली हैं वे, जो उनके हैं नाती-पोते या कोई यार जिनके लिए वे रहते हैं सदा तैयार।
पर हाय! उनको टिकट नहीं मिला। सो अब वे नहीं रहेंगे मौन। उनको बगावत करने से रोक सकता है कौन? जब वे करेंगे निर्दलीय का रोल। पार्टी को घुमाएंगे गोल-गोल। अगर जीत जाते हैं तो फिर चांदी ही चांदी है। होर्स ट्रेडिंग में अपने घोड़े दौड़ाएंगे। कोई वापस बैठने की मनुहार करेगा। कोई पार्टी में नए पद के लालच का झुनझुना पकड़ाएगा। अगर मिला कुछ फायदा, तो मान लेंगे कायदा। वापस ले लेंगे अपना नाम।
अब उनकी नजर दूसरी पार्टियों पर है, अगर दूसरी पार्टी से मिल जाता है टिकट। तो वे दल-बदल कर लेंगे फटाफट। तन, मन और धन से उस पार्टी और उसके माध्यम से देश की करेंगे सेवा। खाएंगे और खिलाएंगे वही मेवा। उनकी पार्टी भी रख रही है उन पर नजर कि यह तूफान जाता है किधर। पब्लिक उत्सुकता से देख रही है यह टैक्स फ्री तमाशा, कि किधर को पलटता है उनका पासा। यह टिकट ही तो उनकी निष्ठा का असली पैमाना था। इसके पहले का सारा खेल तो बस बेमाना था।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×