ममता से उपचार
एक बार एक पत्रकार कलकत्ता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम में मदर टेरेसा का साक्षात्कार लेने पहुंचा। पत्रकार ने मदर टेरेसा के काम के बारे में काफी सुन रखा था, लेकिन वह उनके मिशन के बारे में कुछ हद तक निंदक था। साक्षात्कार के दौरान पत्रकार ने मदर टेरेसा से पूछा, ‘आप और आपकी बहनें यहां के अनगिनत गरीबों और पीड़ित लोगों के जीवन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव कैसे ला सकते हैं? समस्याएं असहनीय लगती हैं।’ मदर टेरेसा ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बजाय वह पत्रकार को एक छोटे से कमरे में ले गई, जहां एक गंभीर रूप से कुपोषित और बीमार बच्चा एक खाट पर लेटा हुआ था। चारों ओर मक्खियां भिनभिना रही थीं और कमरे की हालत बेहद खस्ता थी। यह नजारा दिल दहला देने वाला था। मदर टेरेसा ने धीरे से बच्चे को उठाया और उसे साफ करना और खाना खिलाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने बच्चे को अपनी गोद में उठाया, धीरे-धीरे उसका सिर सहलाते हुए गाने लगी। मदर टेरेसा द्वारा पीड़ित बच्चे के जीवन में बरसाए गए प्यार और देखभाल को देखकर पत्रकार की आंखों में आंसू आ गए। थोड़ी देर बाद मदर टेरेसा ने बच्चे को वापस खाट पर लिटाया और पत्रकार की ओर मुड़ीं। उन्होंने कहा, ‘आप देखिए, हम बड़े काम नहीं कर सकते, लेकिन हम बड़े प्यार से छोटे काम कर सकते हैं।’
प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार