दिल-दिमाग पर छा जाए प्यार ऐसा खुशनुमा अहसास
लोकमित्र गौतम
प्यार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। ऐसा कहने वाले एक-दो नहीं बल्कि लाखों शब्दशिल्पी हैं। वे सही ही कहते हैं। क्योंकि दुनिया में हर किसी के लिए प्रेम के अलग-अलग मायने हैं, अलग अलग अहसास हैं। जहां अमेरिका की बधिर और दृष्टिहीन लेखिका हेलेन केलर कहती हैं, ‘प्रेम जीवन में ताजगी भर देता है।’ वहीं महात्मा गांधी स्वीकारते हैं, ‘प्रेम कभी दावा नहीं करता, वो तो हमेशा देता है और कष्ट सहता है। मगर यह कष्ट सहते हुए न तो वह झुंझलाता है और न ही बदला लेता है।’ दरअसल प्रेम एक ऐसा वैयक्तिक अहसास है। इसकी भावनाएं तूफान की तरह दिल-दिमाग को मथती हैं और प्रेम में डूबा शख्स यह तय नहीं कर पाता कि वह प्रेम को किस तरह व्यक्त करे? उसे क्या कहे, उसे क्या रूप दे, उसे किस तरह का अहसास बताए? क्योंकि जब कोई प्यार में होता है तो वह भावनाओं के अनगिनत तूफानों से घिरा होता है। उसके अंदर लगातार खुशियों, उमंगों और इंद्रधनुषी कल्पनाओं और सपनों के विस्फोट होते रहते हैं। ये विस्फोट ऐसे होते हैं, जिसका अहसास वही कर सकता है, जो उससे गुजर रहा हो या कभी गुजरा हो। ऐसा व्यक्ति चाहे दूसरों से अपनी प्रेम संबंधी भावनाओं को कितना ही व्यक्त करे, लेकिन हमेशा उससे बहुत कुछ छूट जाता है। क्योंकि प्रेम होता ही इतना तूफानी आकर्षण है।
अकथ प्रेम की असंख्य कथा-कविताएं
यह प्यार के अकथ होने का ही सबूत है कि जबसे इंसान ने लिखना, पढ़ना सीखा है, अब तक प्रेम के असंख्य आख्यान रच चुका है। दुनिया में करोड़ों प्रेम कविताएं लिखी जा चुकी हैं, करोड़ों प्रेम की कहानियां रची जा चुकी हैं, प्रेम के करोड़ों अनुभव साझा किए जा चुके, न जाने कितनी प्रेम से ओतप्रोत घटनाएं हमारे इर्दगिर्द घट चुकी हैं, फिर भी प्रेम है कि अभी तक पूरी तरह से व्यक्त ही नहीं हो सका। अगर ऐसा न होता तो हर दिन, हर पल, हजारों नई प्रेम कहानियां कहां से लिखी जा रही होतीं? हर दिन नये नये प्रेम आख्यान न गढ़े जा रहे होते। फिर भी न तो प्रेम कहानियां खत्म हो रही हैं, न ही प्यार पर लिखे जाने की जरूरत खत्म हो रही है। जरूरत तो तब खत्म हो, जब प्यार में पड़ने वाले लोग कम हो रहे हों, जब प्यार की कहानियां पढ़ने वाले खत्म हो रहे हों, जब प्यार की फिल्में देखने वाले छीज रहे हों। जब से कहानियां लिखी जा रही हैं, जब से कविताएं लिखी जा रही हैं और जब से फिल्में बन रही हैं, अभिव्यक्ति की इन सभी विधाओं में प्रेम हमेशा केंद्र में रहा है, पहले दिन से रहा है और आज भी है। क्योंकि इंसान में कभी भी प्रेम की चाहत नहीं खत्म होती। इंसान न तो भोजन के बिना रह सकता है और न ही प्यार के बिना रह सकता है।
जरूरी चीज प्यार
दुनिया में हर इंसान के लिए रोटी जितनी ही जरूरी चीज प्यार भी है। इसीलिए इंसान का स्वाभाव कैसा भी हो- वह गुस्सैल हो, वह बिल्कुल सीधा हो, बहुत चालबाज हो, पढ़ा-लिखा हो, गैर पढ़ा-लिखा हो। लब्बोलुआब यह कि चाहे जिस तरह का इंसान हो, लेकिन उसे जीवन में कभी न कभी, किसी न किसी से प्यार जरूर होता है। इस मामले में दुनिया का हर शख्स भाग्यशाली है कि उसे कोई न कोई प्यार जरूर करता है। क्योंकि हर किसी को प्यार की जरूरत होती है। प्यार को लेकर यह बात भी सही नहीं है कि इंसान को जीवन में सिर्फ एक बार प्यार होता है। हां, पहली बार का प्यार हमेशा जेहन में ताजा रहता है। उसको लेकर याद्दाश्त बहुत मजबूत होती है। लेकिन यह सच्चाई है कि इंसान के जीवन में जब भी प्यार की कमी होती है या प्यार का अभाव होता है, उसे तब फिर से प्यार की जरूरत महसूस होती है। चाहे वह उसके पहले एक बार प्यार कर चुका हो या कई बार कर चुका हो। अब तो विज्ञान भी इस बात को अपने तौरपर साबित कर चुका है कि प्यार करने की न तो कोई सीमा होती है, न कोई उम्र होती है और न कोई संख्या होती है।
ये बताते हैं शोध
जब भी किसी के जीवन में प्यार का नितांत अभाव होता है, उसे किसी न किसी से प्यार हो ही जाता है। क्योंकि प्यार न सिर्फ हमारे शरीर की बल्कि हमारी भावनाओं या अहसास की भी जबरदस्त जरूरत होता है। पश्चिमी दुनिया में प्यार को लेकर कई वैज्ञानिक शोध हुए हैं, जिनके निष्कर्ष बताते हैं कि अगर प्यार को गणितीय आईने में देखें तो औसतन हर किसी को जीवन में तीन बार प्यार होता है। अब यह अलग बात है कि कई बार हमें टूट जाने या खत्म हो जाने के बाद पता चलता है कि उस समय हम प्यार में डूबे थे। दरअसल प्यार के बिना जिंदगी को बहुत गहरे तक महसूस कर पाना संभव ही नहीं है। अगर आपकी जिंदगी में प्यार नहीं है तो जिंदगी का कोई बहाना या अर्थ भी कई बार नहीं रहता।
जिंदगी में आकर्षण की वजह
यह अकारण नहीं है कि दुनिया में जितनी आत्महत्याएं होती हैं, उनमें सबसे ज्यादा उन लोगों द्वारा की जाती हैं, जिनके मन में यह हताशा भर चुकी होती है कि उनके जीवन में किसी तरह का प्यार नहीं है, उनकी किसी को जरूरत नहीं है। जिस भी इंसान को जब भी यह अहसास हो जाए कि वह बेमतलब है, किसी को उसकी जरूरत नहीं है, तो वह अपनी जिंदगी से आकर्षण खो देता है। वास्तव में यही प्रेमविहीन स्थिति है। प्यार किसी एक दिन या एक वक्त की जरूरत भी नहीं है। जिस तरह से हर पल जिंदा रहने के लिए सांस लेना जरूरी होता है, उसी तरह जिंदगी सुखद, सहज अहसासों से भरी रहे, इसके लिए प्यार जरूरी होता है। कई बार जब हम किसी के प्यार में पड़ जाते हैं तो हमें उसकी आदत पड़ जाती है। हम उस पर काफी हद तक निर्भर हो जाते हैं। इसका पता हमें तब चलता है जब वह हमें किसी वजह से छोड़ देता है या हमें उससे बिछुड़ना पड़ता है। इसलिए कई बार जब हम किसी के प्यार में होते हैं, तो इसका उसे अहसास कराने की जरूरत ही नहीं महसूस करते और न ही इसे कोई खास बात या उपलब्धि मानते हैं।
केयर करते है तो अहसास भी दिलाएं
लेकिन हमारी इसी लापरवाही से जब हमारा प्यार हमसे दूर हो जाता है तो हम बहुत गहरे तक उसकी जरूरत महसूस करते हैं और प्यार की तमाम कहानियों में जो खुद को बर्बाद करने के मजनूनुमां किस्से देखे-सुने जाते हैं, वह दरअसल इसी पछतावे का नतीजा होते हैं। इसलिए जो आपसे प्यार करे और आप भी उससे प्यार कर रहे हों, तो दूसरा अगर यह कभी न भी कहे तो भी आपको रह-रहकर उसे यह अहसास दिलाते रहना चाहिए कि आप उसके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और उसे दुनिया का कितना खूबसूरत तोहफा दे रहे हैं। वैलेंटाइन डे जैसे औपचारिक अवसरों का यही सबसे बेहतर उपयोग है कि आप जिसे प्यार करते हैं, उससे जताएं कि आप उसे प्यार करते हैं।