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रुचि के अनुरूप जॉब के बहुतेरे मौके

07:58 AM Mar 28, 2024 IST
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राजेंद्र कुमार शर्मा
आप जीव विज्ञान के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी में रुचि रखते हैं तो बायो इंफॉर्मेटिक्स को भविष्य में एक कैरियर के रूप में चुन सकते हैं। जैव सूचना विज्ञान,जीव विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का एक संयोजन है यानी इंटर डिसिप्लिनरी फील्ड है। जीवविज्ञान, कंप्यूटर जैसे हार्डवेयर और विभिन्न सॉफ्टवेयर्स के माध्यम से हमारी अपेक्षा से भी तेज़, सटीक और समय बचाने वाले परिणाम देता है। इसीलिए विज्ञान की इस शाखा को कंप्यूटेशनल बायोलॉजी नाम दिया गया है या फिर साधारण रूप से बायो इंफॉर्मेटिक्स कह दिया जाता है। बायो इंफॉर्मेटिक्स के जरिये तैयार किए गए डाटाबेस से जेनेटिक समस्याओं पर स्टडी की जाती है। उसके निष्कर्षों का इस्तेमाल मानव जीवन बेहतर बनाने में करते हैं। लाइफ साइंस में रिसर्च बेहद अहम है। डीएनए और सेल्स पर रिसर्च करके ही क्रॉनिक व आनुवंशिक रोगों का इलाज तलाश करने का प्रयास करते हैं। जब से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का आगमन हुआ है तब से मॉलिक्युलर बायोलॉजी पर शोध पहले से विस्तृत हो गया।

जैव सूचना विज्ञान के उपयोग व कार्य

जैव सूचना विज्ञान की सहायता से जटिल जैविक डेटा का बहुत तेजी से विश्लेषण किया जा सकता है। इसीलिए इस विज्ञान में गणित, सांख्यिकी ज्ञान की भी आवश्यकता पड़ती है। एक जैव सूचना विज्ञानी का प्राथमिक कार्य जैविक नमूनों के विश्लेषण के लिए कोड और सॉफ्टवेयर विकसित करना है। जिसके कारण वैज्ञानिक अनुसंधान में मदद मिलती है।
जैसे मानव शरीर में कई प्रोटीन होते हैं जो हमारे दैनिक शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी प्रोटीन की शिथिलता हमारे शरीर में रोग का कारण बन सकती है। जैव सूचना विज्ञान सॉफ्टवेयर की मदद से, इस प्रोटीन की संरचना और अन्य प्रोटीन के साथ इसके तालमेल और कार्य करने का अनुमान लगा सकते हैं। जैव सूचना विज्ञान विश्व स्तर पर सुलभ डेटाबेस प्रदान करता है जो वैज्ञानिकों को तुलनात्मक जानकारी प्रस्तुत करने, अन्वेषण, विश्लेषण और व्याख्या करने में सक्षम बनाता है।

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संकाय, मूल योग्यता और डिग्री

बायो इंफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने हेतु विद्यार्थी निम्नलिखित में से अपनी योग्यता अनुसार कोई भी मार्ग चुन सकते हैं :

बीएससी के बाद जॉब या पीएचडी

जीव विज्ञान विषय के साथ 12वीं यानी पीसीबी के बाद बायो इंफॉर्मेटिक्स में बीएससी (ऑनर्स) और फिर एमएससी बायो इंफॉर्मेटिक्स के साथ करके जॉब में जा सकते हैं या फिर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पीएच.डी. भी कर सकते हैं।

पीजी डिप्लोमा

12वीं बायोलॉजी के पश्चात बायोइंफॉर्मेटिक्स में बीएससी (ऑनर्स) और फिर पीजी डिप्लोमा इन बायोइंफॉर्मेटिक्स कर अपना कैरियर बना सकते हैं।

12वीं पीसीएम के बाद बी.टेक.

यदि विद्यार्थी ने 12वीं गणित और विज्ञान विषयों यानी पीसीएम से पास की है तो बी.टेक. (बायोइंफॉर्मेटिक्स) तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एम.एस सी. (बायोइंफॉर्मेटिक्स) और पीएच. डी. भी की जा सकती है।

नौकरी की संभावनाएं

क्लिनिकल सॉफ्टवेयर इंजीनियर, कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञानी, सॉफ्टवेयर डेवलपर, जैव सूचना विज्ञान विश्लेषक, बायोमेट्रिक्सियन, जैव सांख्यिकीविद्, प्रोग्रामर, अनुसंधान विश्लेषक तथा महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य आदि। दरअसल, बायोइंफॉर्मेटिक्स , विज्ञान के क्षेत्र में एक उभरता हुआ विषय और कौशल है। अभी इस क्षेत्र में कुशल लोगों की मांग में दिनों दिन वृद्धि देखी जा रही है। जहां एक और परंपरागत अध्ययन क्षेत्रों में संभावनाएं सीमित हो रही हैं वहीं यह क्षेत्र , जीव विज्ञान , मेडिकल , सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाएं प्रदान कर रहा है। जैव सूचना विज्ञान के लिए शोध आधारित जॉब्स में वेतन स्तर उच्च हैं। पर्याप्त अनुभव के बाद औसत वेतन 5-6 लाख से भी अधिक हो सकता है।

संस्थान जहां कर सकते हैं बायो इंफॉर्मेटिक्स की पढ़ाई

केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, शाहपुर ( कांगड़ा), वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान वेल्लोर (तमिलनाडु), कृषि विश्वविद्यालय कोयंबटूर , केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब (बठिंडा), आईआईटी -मुंबई, दिल्ली तथा खड़गपुर , एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा एवं जयपुर , डीएवी कॉलेज चंडीगढ़, जेएनयू, नई दिल्ली, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी , आईआईएस विश्वविद्यालय जयपुर , आईआईआईटी हैदराबाद तथा इलाहाबाद।

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