बोझ से हांफ रही लॉरी, बे-बस सवारी
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 10 जुलाई
हरियाणा रोडवेज में बसों की कमी का खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि विभिन्न रूटों पर यात्रियों की भारी संख्या के चलते परिवहन व्यवस्था ही हांफ रही है। कमी बसों की ही नहीं, कर्मियों की भी है जिसके चलते व्यवस्था करने वाले अधिकारियों को भी दिक्कत हो रही है।
बात अगर करनाल की करें तो यहां 31 साल बाद भी मानदंड पूरे नहीं हुए। यहां ऐसा कोई रूट नहीं, जहां बसों की संख्या पर्याप्त हो। वर्ष 1992 में करनाल डिपो के लिए 201 बसें तय की गयी थीं। अब 2024 आ गया, उस हिसाब से यहां 283 बसें होनी चाहिए, जबकि डिपो के पास मात्र 155 बसें हैं। इनमें से भी मात्र 130 ही सड़क पर चलती दिखती हैं। इनमें से भी 12 बसें लड़कियों के लिए स्पेशल हैं। पूरे बेड़े में 10 बसें वोल्वो हैं। करीब 128 बसें कम होने के कारण रोडवेज कर्मचारी भी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। सवाल यही कि करीब 13 लाख की आबादी को बेहतर परिवहन सुविधा कैसे दी जाए। यात्रियों की ओर से समय-समय पर ज्यादा बसों की मांग की जाती है। एक रूट से घटाकर दूसरे रूटों पर या फिर टाइमिंग मिस कर बसों को रूटों पर एडजस्ट किया जाता है। ताकि काम चल निकले।
रोडवेज के अधिकारी कहते हैं कि बसों की कमी के साथ ही चालक-परिचालकों की भी भारी कमी है। काम चलाने के लिए सुबह-शाम विशेष तौर पर प्लानिंग करनी पड़ती है। डिपो की बसें प्रतिदिन 43 से 44 हजार किलोमीटर चलकर 13 से 14 लाख रुपए का राजस्व एकत्रित करती हैं। डिपो के पास 177 ड्राइवर ओर 176 परिचालक हैं। जरूरत 300 चालक-परिचालकों की है। यात्रियों की सुविधा के लिए दिन-रात योजनाएं बनती हैं। यहां बसों की कमी का असर विद्यार्थियों पर भी पड़ रहा है। उन्हें स्कूल, कॉलेज या संस्थानों तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। बसों की कमी के चलते निजी वाहनों की संख्या सड़कों पर बढ़ रही है।
इन रूटों पर सबसे ज्यादा दिक्कत
ड्यूटी इंसपेक्टर भगवान देव ने बताया कि ज्यादातर रूटों पर बसों की कमी है। करनाल से गढ़ी बीरबल, लाडवा, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, डांड वाया सीतामाई, वाया नीलोखेड़ी आदि रूटों पर परेशानी ज्यादा है। इस रूटों पर तीन से पांच बसों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लम्बे रूटों पर स्थिति ठीक है। उन्होंने कहा कि करीब 140 रूटों पर रोडवेज की बसें चलाई जा रही हैं, हर रूट पर सवारियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं।
क्या कहते है महाप्रबंधक रोडवेज महाप्रबंधक कुलदीप ने कहा कि बसों की जहां से भी डिमांड आती है, वहां शुरू कराई जाती हैं। उन्होंने कहा कि अभी 10 एसी बसों की डिमांड भेजी गयी हैं। यात्रियों को बेहतर यातायात सुविधा देने का हमेशा प्रयास रहता है। स्टाफ मिलने पर यात्रा को और सुगम किया जाएगा।