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Loksabha Election: उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ गिरा

01:57 PM Jun 05, 2024 IST
loksabha election  उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ गिरा
सांकेतिक फोटो।
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लखनऊ (उप्र), पांच जून (भाषा)

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Loksabha Election: राम मंदिर निर्माण की सफलता पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार करने के अति आत्मविश्वास से भरी भाजपा को लोकसभा चुनाव में अपने सबसे मजबूत किले यानी उत्तर प्रदेश में ही अप्रत्याशित चुनाव नतीजों का सामना करना पड़ा है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये राज्य के पश्चिमांचल, पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड और अवध समेत विभिन्न क्षेत्रों में परिणाम अच्छे नहीं रहे। राजनीतिक लिहाज से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा मात्र 33 सीटें ही जीत सकी।

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राज्य के पश्चिमांचल, पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, अवध, ब्रज और रुहेलखंड में पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट दर्ज की गयी है। भाजपा नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार में यह बात घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश की कि यह चुनाव राम भक्तों और 'रामद्रोहियों' के बीच है।

इसके अलावा यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया कि विपक्ष का इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) तालिबान शासन लाने की कोशिश कर रहा है और पाकिस्तान उसका समर्थन कर रहा है। मगर यह आरोप जनता को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सके और राज्य के सभी क्षेत्रों में मतदाताओं ने 'इंडिया' गठबंधन के घटकों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को समर्थन दिया।

राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10, ब्रज क्षेत्र में आठ, अवध क्षेत्र में 20, रुहेलखंड में 11, बुंदेलखंड में पांच और पूर्वांचल में 26 सीटें हैं। इन सभी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत शीर्ष नेताओं की रैलियों के बाद भी भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में खराब प्रदर्शन किया।

क्षेत्रवार नतीजों पर गौर करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर समेत 10 सीटें हैं। इस क्षेत्र में भाजपा ने चार सीटें जबकि उसकी सहयोगी रालोद को 2 सीटें मिली हैं। सपा और कांग्रेस ने क्रमश: दो और एक सीट जीती है। एक सीट आजाद समाज पार्टी के खाते में गई।

गौतमबुद्ध नगर (महेश शर्मा) और गाजियाबाद (अतुल गर्ग) में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की लेकिन अन्य सीटों पर उसका ग्राफ नीचे आया है।

साल 2019 के चुनावों में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छह सीटें और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने चार सीटें जीती थीं लेकिन अन्य पार्टियां इस क्षेत्र में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थीं।

अवध क्षेत्र में सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, मोहनलालगंज, लखनऊ, अमेठी, रायबरेली, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज, सुल्तानपुर समेत 20 सीटें हैं, जिन पर भाजपा केवल नौ सीटें जीत सकी जबकि सपा और कांग्रेस ने क्रमशः सात और चार सीटें जीतीं।

भाजपा को इस क्षेत्र में सबसे बड़ा झटका लगा क्योंकि वह फैजाबाद सीट हार गई जहां राम मंदिर का निर्माण हुआ, जिसका श्रेय खुद भाजपा ने लिया था।

पार्टी ने 'जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे' का नारा भी उछाला मगर खुद अयोध्या के मतदाताओं ने ही उसे नकार दिया।

मेनका गांधी (सुल्तानपुर) और स्मृति ईरानी (अमेठी) जैसी अहम भाजपा नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वहीं, लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जीत का अंतर 2019 के 3.47 लाख से घटकर लगभग 1.5 लाख वोट रह गया।

वर्ष 2019 में सपा अवध क्षेत्र की सीटों पर खाता नहीं खोल सकी थी, जबकि भाजपा ने सबसे ज्यादा 18 सीटें जीती थीं। बसपा और कांग्रेस ने एक-एक सीट जीती थी।

रूहेलखंड क्षेत्र की 11 सीटों मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बुलंदशहर, बदायूं, आंवला, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी और धौरहरा में भी इस बार भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं रही। इन सीटों पर भाजपा ने चार और सपा ने सात सीटें जीतीं।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को इनमें से नौ सीटों पर जीत मिली थी। खीरी से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' को हार का सामना करना पड़ा।

बुंदेलखंड की जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा और फतेहपुर समेत पांच सीटों में से भाजपा ने इस बार सिर्फ झांसी की एक सीट जीती है, जबकि सपा को सबसे ज्यादा चार सीटें मिली हैं। साल 2019 में भाजपा ने इस क्षेत्र की सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी।

पूर्वांचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के साथ-साथ गोरखपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर, जौनपुर, घोसी, सलेमपुर, गोंडा, संत कबीर नगर और भदोही समेत सबसे ज्यादा 26 सीटें हैं। इन सीटों पर भाजपा ने 10 और उसकी सहयोगी अपना दल ने एक सीट जीती, जबकि सपा और कांग्रेस ने क्रमश: 14 और एक सीट जीती।

प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी से भले ही लगातार तीसरी बार जीत हासिल की, लेकिन उनकी जीत का अंतर साल 2019 के 4,79,505 से घटकर 1,52,513 रह गया।

भाजपा ने साल 2019 के चुनाव में 18 सीटें जीती थीं, जबकि सपा, बसपा और अपना दल को क्रमशः एक, पांच और दो सीटें मिली थीं। मथुरा, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ सहित आठ सीटों वाले ब्रज क्षेत्र में भाजपा ने पांच सीटें जीतीं, जबकि सपा को तीन सीटें मिलीं।

साल 2019 में भाजपा ने इनमें से सात सीटें जीती थीं, जबकि सपा को केवल एक सीट मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं और उसके सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिली थीं।

वहीं, गठबंधन में शामिल सपा और बसपा को क्रमशः पांच और 10 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के पास केवल एक सीट थी। प्रदेश के सभी क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के बारे में जब भाजपा नेताओं से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व कारणों की समीक्षा करेगा।

वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि यह उन लोगों की जीत है जो नहीं चाहते थे कि संविधान में बदलाव हो और उनका आरक्षण बरकरार रहे।

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