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राज्यसभा की एक सीट के लिए प्रदेश में शुरू हुई लॉबिंग

08:34 AM Jun 11, 2024 IST
राज्यसभा की एक सीट के लिए प्रदेश में शुरू हुई लॉबिंग
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चंडीगढ़, 10 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट खाली हो गई है। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट रिक्त हुई है। भाजपा के कई दिग्गजों की नजर राज्यसभा जाने पर है। ऐसे में अब भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष के पद के साथ-साथ राज्यसभा के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा नायब सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश में राजनीतिक परिस्थितियां बदली हुई हैं। तकनीकी रूप से नायब सरकार अल्पमत में है। ऐसे में विपक्ष अगर एकजुट हुआ और राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले विपक्ष ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया तो बड़ा ‘खेल’ भी हो सकता है। यह संभव तभी हो सकेगा, जब जजपा के 10 विधायकों का समर्थन कांग्रेस को मिले। लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है। इस स्थिति में कांग्रेस दूसरा उम्मीदवार मैदान में खड़ा करने का जोखिम उठाएगी, इसकी कम संभावना है।
हरियाणा में राज्यसभा की कुल पांच सीट हैं। इनमें से अभी तक विपक्ष के नाम पर केवल दीपेंद्र हुड्डा ही राज्यसभा में रहे। बाकी चार सीटों पर भाजपा का कब्जा है। पिछले दिनों डीपी वत्स का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली हुई सीट पर भाजपा द्वारा सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा जा चुका है। रामचंद्र जांगड़ा और कृष्णपाल पंवार भी राज्यसभा में हैं। वहीं, भाजपा और जजपा के समर्थन से पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा भी राज्यसभा सदस्य हैं। दीपेंद्र हुड्डा का कार्यकाल 2026 तक था। यह सीट खाली होने के बाद इस पर उपचुनाव होगा। माना जा रहा है कि जुलाई में ही उपचुनाव करवाया जा सकता है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 69 (2) के तहत यदि कोई व्यक्ति जो पहले से राज्यसभा का सदस्य है और वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट सांसद चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाती है। ऐसे में 4 जून से ही दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य नहीं रहे। निर्वाचन आयोग किसी भी समय हरियाणा में राज्यसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है। भाजपा के पास इस समय सदन में 41 विधायक हैं। हलोपा और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिलने के बाद अभी भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन है। सदन में कांग्रेस विधायकों की संख्या 29 है। जजपा के दस विधायक हैं। रणजीत सिंह के इस्तीफे से एक सीट खाली है। वहीं, बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो चुका है। मुलाना से कांग्रेस विधायक वरुण भी अंबाला से सांसद चुने गए हैं।

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