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‘राष्ट्र और व्यक्तित्व निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका’

07:31 AM Sep 07, 2024 IST
‘राष्ट्र और व्यक्तित्व निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका’
समराला में शुक्रवार को डॉ नीतू कौशल अध्यक्ष हिंदी विभाग पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला विशिष्ट अतिथि को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए।-निस

समराला, 6 सितंबर (निस)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रचारित पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में राष्ट्र निर्माण में साहित्य की भूमिका पर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों में आज दूसरे दिन भी विभिन्न भाषाओं के विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। अध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठित अंग्रेजी तथा विदेशी भाषाओं की जानकर हैदराबाद विश्विद्यालय की प्रतिनिधि डॉ. कोकिला कालेकर ने कहा कि राष्ट्र के लिए व्यक्तित्व निर्माण आवश्यक है और व्यक्तित्व के निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका होती है। विशिष्ठ वक्ता पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के डॉ पुष्पेंद्र जोशी ने भी राष्ट्रवाद से संबंधित अनेक संस्कृतनिष्ठ सूक्तियों के हवाले से अपने विचारों को प्रस्तुत किया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से आई डॉ अंजू पुरी ने हिंदी साहित्य और राष्ट्र निर्माण की संकल्पना को स्पष्ट किया। इसी दौरान द्वितीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए पंजाबी विश्वविद्यालय के डॉ रवि दत्त कौशिक ने कहा कि जीवन की श्रेष्ठता प्रदान करने वाले सभी प्रयत्नों में साहित्य सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से आई डॉ. सुनीता ठाकुर ने कहा कि व्यक्ति का स्वयं का निर्माण ही राष्ट्र का निर्माण है। लुधियाना विश्वविद्यालय से आए डॉ. सौरभ कुमार ने हिंदी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। बिहार विश्वविद्यालय से आए डॉ राजेश्वर कुमार ने कहा कि हिंदी साहित्य मानवता से ओतप्रोत है और राष्ट्रीय उत्थान में सहायक है। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की ज्योति शर्मा ने कहा कि हिंदी भाषा भारत की अनेक बोलियों की संयोजिका के रूप में राष्ट्र को एकीकृत करती है। गुजरात विश्वविद्यालय के डॉ दिलीप मेहरा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण हेतु शिक्षा के स्तर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है। इस अवसर पर पंजाबी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ नीतू कौशल ने सभी सत्रों के वक्ताओं का स्वागत किया और समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आयोजन में हिंदी विभाग की डॉ रजनी प्रताप, डॉ ऋतु, डॉ वरिंदरजीत कौर तथा डॉ परविंदर कौर का विशेष योगदान रहा।

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