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विविध क्षितिजों से रूबरू साहित्य संवाद

11:35 AM May 21, 2023 IST
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सुभाष रस्तोगी

बहुआयामी प्रतिभा के धनी यशस्वी साहित्यकार हेतु भारद्वाज के अब तक 9 कहानी-संग्रह, एक उपन्यास, दो काव्य-नाटक, एक व्यंग्य-संग्रह, एक कविता-संग्रह, एक संस्मरण-संग्रह, दो आलोचना कृतियां, 15 साक्षात्कार की पुस्तकें तथा साहित्यिक पत्रिकाओं का संपादन हमें उनके रचनात्मक खाते में उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, प्रसार भारती की हिन्दी क्लासिक्स योजना के अन्तर्गत दूरदर्शन केन्द्र रांची से ‘एक पल का सुख’ कहानी पर टेलीफिल्म निर्मित और प्रसारित।

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हेतु भारद्वाज की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘साहित्य-संवाद के विविध क्षितिज’ में कुल 15 आलेख संकलित हैं जो इस प्रकार हैंmdash; ‘एक कालखंड का जीवंत कोलाज : बजरिए हशमत’, ‘हशमत की निगाह में नामवर सिंह’, ‘विपर्ययो का समुच्चय और संयोजन : नामवर सिंह की सही समझ’, ‘जीवनी लेखन : ईमानदारी, शोध और निर्माता का समुच्चय’, ‘कृष्ण बलदेव वैद की रचनात्मकता की गहराई, तपस्वी विष्णु चन्द्र शर्मा वाया दृश्य-अदृश्य’, ‘भीष्म साहनी का रचना-संसार’, इक्कीसवीं सदी का अभूतपूर्व महाकाव्य : हिन्दनामा’, ‘छायावाद का गद्य’, ‘जेंडर तथा यौनिकता विमर्श : इंसान के अस्तित्व की तलाश’, ‘कहानी- समीक्षा : घपलों की राजनीतिक कुशलता’, ‘हिन्दी लेखक समुदाय के अन्तर्विरोध : चिंता की दिशाएं’, ‘हिन्दी का अपना काव्यशास्त्र : निरूपण की आवश्यकता’, फिल्मों के नैतिकी के नए सवाल’ एवं ‘वेबसीरीज़ फिल्मों का यथार्थ’। अब लेखक से ही इस पुस्तक का नेपथ्य जानें ‘प्रस्तुत पुस्तक में मेरे ऐसे आलेख संकलित हैं जो मैंने समय-समय पर लिखे हैं। ये अधिक पुराने नहीं हैं और तभी लिखे हैं जब कोई प्रसंग सामने आया है। …मेरा प्रयास यह रहा है कि हर आलेख में कुछ नये प्रश्नों पर बात हो तथा साहित्य के क्षेत्र में व्याप्त विसंगतियां तथा साहित्यकारों के पाखण्डों पर बात हो।’ लेखक स्वयं एक प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं, इसलिए लेखक का यह प्रयास अपने गिरेबान में झांकने के सदृश है। इसलिए लेखक में गज भर का कलेजा होना चाहिए और सचमुच लेखक में गज भर का कलेजा है। यह सभी लेख इसके साक्ष्य के रूप में देखे जा सकते हैं।

‘एक कालखण्ड का जीवंत कोलाज : बजरिए हशमत’ हेतु भारद्वाज की इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण आलेख है जिससे यह सत्य प्रतिपादित हुआ है कि यदि हम कृष्णा सोबती के रचनाकार व्यक्तिव को समझना चाहें तो हमें ‘हम हशमत’ के चारों खण्डों में प्रकाशित आलेखों से अवश्य गुजरना होगा। इन आलेखों से हम न केवल कृष्णा सोबती के रचनाकार को समझ सकते हैं प्रत्युत उनके जीवन के बड़े कालखंड की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का इतिहास भी समझ सकते हैं। निर्मल वर्मा के लेखन पर कृष्णा सोबती की यह टिप्पणी काबिलेगौर है- ‘यह है निर्मल की लेखनी का चमत्कार जिसने हिन्दी गद्य को समकालीन संवेदना से जोड़ा है। ऐसे गद्य को कविता कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। निर्मल का पूरा मिजाज, टेम्परामेंट, कवि-मन का है। वही इंटेंसिटी, वही रूमानियत, वही अधखुली आंखों से यथार्थ को अबूर करने की लापरवाही।’

दरअसल हेतु भारद्वाज की इस कृति में संकलित सारे लेख जैसे पाठक को हमारे समय के साहित्य-संवाद के विविध क्षितिजों के रू-बरू खड़ा कर देते हैं। संग्रह के अंतिम लेख ‘वेबसीरीज किस्सों का यथार्थ’ ओटीटी पर आने वाली वेबसीरीज की लम्बी फिल्मों पर है। ये फिल्में किस प्रकार हमारी भाषा को प्रदूषित कर रही है, ये फिल्में किस प्रकार मूल्यहीनता और अराजकता फैला रही हैं, यह सचमुच चिन्ता का विषय है।

पुस्तक : साहित्य-संवाद के विविध क्षितिज लेखक : हेतु भारद्वाज प्रकाशक : दीपक पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर पृष्ठ : 159 मूल्य : रु. 450.

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