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मन की सुनें, खुशहाली की राह चुनें

10:02 AM Nov 22, 2023 IST

डॉ. मोनिका शर्मा
आज की बदलती जीवनशैली में मन से जुड़ी व्याधियां तेज़ी से बढ़ रही हैं। मस्तिष्क की उलझनें और उलझाऊ बन रही हैं। व्यवहार का उद्वेलन हर किसी के व्यक्तित्व का हिस्सा बन गया है। सहज संवाद की जगह चुप्पी ने ले ली है। अर्थहीन आक्रोश भी हर कहीं दिख जाता है। ध्यान देने का विषय है कि मानसिक समस्याओं से जूझने-बचने की समझाइश देने वाले ठिकाने भी खूब बढ़ गए हैं। प्रेरणादायी बातें करने वाले चेहरे हर ओर छाये हुए हैं। मन की मजबूती का पाठ पढ़ाने वाले शब्द हर पल स्क्रीन पर तैरते रहते हैं। बावजूद इसके इंसानी मन कुछ समझने के बजाय और गुम हो रहा है। मनःस्थिति की सहजता और असहज हो रही है। ऐसे में समझना जरूरी है कि मोटिवेशन आपके भीतर ही है। केवल दूसरों की गढ़ी सूक्तियां या सलाहें आपकी जिंदगी नहीं बदल सकतीं। असल में जमीनी बदलाव और अपने जीवन को बदलने के लिए अपने ही अनुभवों और समझ का साथ आवश्यक है।

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अपने मन की सुनें

दरअसल, मन का स्वास्थ्य संभालने के लिए हम औरों की सलाहें तो खूब सुन रहे हैं पर स्वयं अपने मन की नहीं सुन रहे। शब्दों, संवादों, तस्वीरों और रेखाचित्रों के माध्यम से मिली परिचित-अपरिचित चेहरों की राय तो हम मन-मस्तिष्क तक पहुंचा रहे हैं, पर अपने मन से संवाद नहीं कर रहे। ऐसे में कभी कोई विचार सही लगता है तो कभी ठीक उसके विपरीत मिली सलाह उचित प्रतीत होती है। नतीजतन, मन और उलझ रहा है। बेचैनी और बढ़ रही है। ऐसे में समझना जरूरी है कि अपने आप को खुशहाल रखने का सूत्र स्वयं हमें ही खोजना होगा। अपने दिमाग की कार्यप्रणाली और मन की विचारशीलता को समझने के प्रयास खुद को ही करने होंगे। स्वयं अपने मन-मस्तिष्क से मिली दिशा ही जीवन को साधने के काम आती है। व्यक्तिगत जीवन के हर पहलू को समझते हुए, हर अनुभव से मिले सबक को याद रखते हुए हमारा मन कोई राह चुनता है। ऐसे में अपने मन की सुनकर आगे बढ़ें। दूसरे के विचार हर परिस्थिति में आपके जीवन और जीवनशैली पर लागू नहीं हो सकते।

अनुभवों का आधार

असल में बात ज्ञान या विज्ञान के जानकार होने भर की नहीं है। किसी भी विशेषज्ञ के विचार, आदर्श या प्रेरणादायी सलाह, सभी के जीवन में एक ही तरह से लागू नहीं हो सकतीं। न ही एक समय में सभी की मनःस्थिति और परिस्थिति एक सी होती है। किसी का मन भूतकाल में उलझा होता है तो कोई भविष्य को लेकर व्यथित-विचलित रहता है। इसीलिए व्यावहारिक रूप से औरों का दृष्टिकोण नहीं बल्कि अपने आपको समझना और अपने ही मन को समझाना स्वस्थ मनोभावों को साधने का सरल रास्ता है। चर्चित चेहरे हों या महान हस्तियां अपने अनुभव के आधार पर कहीं उनकी हर बात आपके जीवन पर हूबहू लागू नहीं हो सकती। इसलिए अपने व्यवहार को तराशने के लिए अपने अनुभवों को आधार बनाइये। अपने विचारों को दिशा देने के लिए अपनी समझ का इस्तेमाल कीजिए।

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बुनियादी जीवनशैली अपनाएं

हमारी पारंपरिक जीवनशैली इस मोर्चे पर भी मददगार बन सकती है। सामाजिकता का परिवेश और इच्छाओं के बजाय जरूरतों को पूरा करने की सोच बहुत सी चिंताओं से बचाने वाली जीवनशैली है। जैसे सभी का अनुभव है कि बेवजह के खर्च चिंता और तनाव बढ़ाते हैं। हर कोई जानता है कि आक्रोश रिश्ते बिगाड़ता है। अपराधबोध अवसाद का शिकार बनाता है। इसीलिए जमीनी जीवनशैली अपनाना बहुत सहायक बन सकता है। गलत काम का गलत नतीजा होता है। यह सीख तो घर के बड़े भी देते आए हैं। इसीलिए अपने और परिजनों की बातों को भी गौर से सुनें और समझें। ऐसे साझे अनुभव न केवल मन को उलझने से बचाते हैं बल्कि प्रेरणादायी पाठ भी साबित होते हैं। अपनों के विचार भी आपको आशावान बना सकते हैं। जीवन से जुड़ी बुनियादी समझ आपको हर जद्दोजहद से बाहर निकाल सकती है। हर परिस्थिति में जज्बाती रूप से मजबूत बनाए रखती है। ऐसी बातों के चलते ही आज भारत की पारंपरिक जीवनशैली को दुनियाभर में सराहा जा रहा है। जीने के इस सहज और मानवीय रंग-ढंग को मन से अपनाने का मार्ग चुना जा रहा है। यकीनन, मन को स्वस्थ और जीवन को सार्थक बनाने के लिए बुनियादी जीवनशैली अपनाना कई समस्याओं का साझा हल है।

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